इस गांव में लाखों रुपए की लागत से पक्षियों के लिए बना कई फ्लोर का बंगला, देखकर दंग रह जाएंगे आप
देश की पहली कबूतर शाला जिसमें पक्षियों के लिए 7 फ्लोर का बंगला तैयार किया गया है. इसमें अलग-अलग फ्लोर और फ्लैट के हिसाब से एक साथ करीब 3 हजार पक्षियों के रहने की व्यवस्था की गई है.
Parbatsar: पक्षियों के लिए घोसला, उनके दाना-पानी का इंतजाम करते तो आपने लोगों को खूब देखा होगा पर राजस्थान में युवाओं ने ऐसी पहल की है जो इन सबसे कहीं आगे है. ये एक ऐसी जगह बन गई है जिसे लोग देखने आ रहे हैं. यहां बुजुर्ग से लेकर जवान तब शानदार वक्त बीता रहे हैं और सेल्फी ले रहे हैं. हम बात कर रहे हैं नागौर जिले परबतसर में बने कबूतरशाला की.
राजस्थान में अजब गजब चीजों से रूबरू कराने के लिए Zee Rajasthan के नॉलेज सीरीज Rajastha Ajab gazab के तहत हम आपको इस बर्ड हाउस से रूबरू करा रहे हैं.
देश की पहली कबूतर शाला जिसमें पक्षियों के लिए 7 फ्लोर का बंगला तैयार किया गया है. इसमें अलग-अलग फ्लोर और फ्लैट के हिसाब से एक साथ करीब 3 हजार पक्षियों के रहने की व्यवस्था की गई है. चंचलदेवी बालचंद लुणावत ट्रस्ट, अजमेर द्वारा पीह गांव में बनवाए गए इस 65 फीट ऊंचे 7 फ्लोर बर्ड हाउस में करीब 8 लाख रुपए का खर्च हुआ है.
जैन संत रूप मुनि की प्रेरणा से वर्धमान गुरु कमल कन्हैया विनय सेवा समिति पीह के सदस्यों व 18-20 युवाओं की टीम ने यहां कबूतरशाला बनाई है. भामाशाह से मिली एक करोड़ लागत की दो बीघा जमीन पर सेवा समिति के माध्यम से बनाई इस कबूतरशाला में बच्चों के खेलने के लिए पार्क भी है तो बुजुर्गों के लिए प्रार्थना कक्ष भी बनाया गया है. सुबह-शाम गांव के बुजुर्ग कबूतरों को दाना डालने के बाद इकट्ठा होकर भजन कीर्तन करते हैं. 400 पेड़-पौधे भी लगाए गए हैं, इनमें से 100 अशोक के पेड़ हैं.
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कबूतरशाला का उद्घाटन जैन संत रूप मुनि व विनय मुनि ने 14 जनवरी 2014 को किया था. रोजाना 5 -6 बोरी धान कबूतरों को खिलाया जाता है. अध्यक्ष नथमल दुग्गड़ ने बताया कि अभी कबूतरशाला में हर महीने चार से पांच बार पिकअप धान अजमेर मंडी से आता है, जिसकी अनुमानित लागत हर महीने तीन लाख रुपए है. अब बर्ड हाउस बनने से कबूतरशाला में पक्षियों के लिए दाने-पानी की खपत भी बढ़ेगी.
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उन्होंने बताया कि यहां पक्षी घर के अलावा पक्षियों के पानी पीने के लिए एक वाटर पूल का भी निर्माण कराया गया है. पहले कई सालों तक टैंकरों से पानी की व्यवस्था की जाती रही, लेकिन अभी हाल ही में यहां कबूतरशाला में ही बोरिंग करवा दी गई है. कबूतरशाला में ट्रस्ट के माध्यम से आने वाली राशि को सीधे बैंक खाते में एफडी बनाकर जमा कर दी जाती है. मूल राशि को कभी भी काम में नहीं लिया जाता. एफडी पर बैंक से मिलने वाले ब्याज को ही खर्च किया जाता है। वर्तमान में 50 लाख रुपए बैंक खाते में जमा है.
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