यहां पसंद की युवती के साथ पहले लिव-इन में रहते हैं युवक, फिर करते हैं शादी, जानिए चौंकाने वाली वजह
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यहां पसंद की युवती के साथ पहले लिव-इन में रहते हैं युवक, फिर करते हैं शादी, जानिए चौंकाने वाली वजह

राजस्थान में अजब-गजब कहानियां, किस्से, परंपरा, अजग-गजब स्थान हैं. भले ही मध्य प्रदेश पर्यटन का पंच लाइन है एमपी अजग है गजब है पर ये पंचलाइन राजस्थान पर भी खूब जमती है.

यहां पसंद की युवती के साथ पहले लिव-इन में रहते हैं युवक, फिर करते हैं शादी, जानिए चौंकाने वाली वजह

Jaipur: राजस्थान में अजब-गजब कहानियां, किस्से, परंपरा, अजब-गजब स्थान हैं. भले ही मध्य प्रदेश पर्यटन की पंच लाइन है 'एमपी अजग है गजब है' पर ये पंचलाइन राजस्थान पर भी खूब जमती है. zee Rajasthan आपके लिए Rajasthan Ajab gazab सीरीज के तहत ऐसी कहानियां लेकर आ रहा है जो न सिर्फ चौंकाने वाली होंगी बल्कि प्रदेश की विविधता को बताएंगी. इस नॉलेज सीरीज के तहत हम आपको राजस्थान की एक ऐसी जनजाति के बारे में बता रहे हैं जो सालों से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही हैं और ये उनके लिए परंपरा बन गई है. 

फिल्म लुक्का-छिपी में लिव-इन रिलेशनशिप को बहुत अलग अंदाज में पेश किया गया है. आज के युवा भी अब इसे स्वीकार करने लगे हैं. पर हम आपको बता हैं कि राजस्थान के उदयपुर में गरासिया जनजाति में लिव-इन की परंपरा कई सालों पुराना है. यूं कहें तो ये किसी को याद भी नहीं है कि कब और कैसे शुरू हुआ. कहते हैं कि इस जनजाति में शादी के बाद जब बच्चे पैदा नहीं हुए तो उस वक्त के बुजुर्ग काफी परेशान थे. उसी बीच एक वाकया हुआ और एक युवक व युवती बिन ब्याहे रहे और बच्चे भी हो गए. बस तब से जनजाति के लोग इसे टोटके के रूप में मानने लगे. 

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अब इस जनजाति के लोग पहले लिव-इन में रहकर बच्चे पैदा करते हैं फिर जरूरत महसूस हुई तो शादी करते हैं. ऐसी ही एक शादी 6 साल पहले 80 साल के पाबुरा और 70 साल की रूपाली के बीच हुई थी. राजस्थान की कुल आदिवासी आबादी का 2.5 प्रतिशत आबादी गरासिया जनजाति की बताई जाती है. ये मुख्य रूप से उदयपुर जिले के खेरवाड़ा, कोटड़ा, झाड़ोल, फलासिया गोगुंदा और सिरोही जिले के पिंडवाड़ा और आबू रोड व पाली जिले में निवास करती हैं.

ये जनजाति उदयपुर के गोगुंदा को अपनी उत्पत्ति का स्थान मानते हैं. दंत कथाओं के अनुसार गरासिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के गृह+ऋषि शब्द से हुई जो अपभ्रंश होकर ग्रासिया, गरासिया या गराइया बन गया. कहा जाता है कि सदियों पहले जब ऋषि-मुनि पर्वतों और वनों में तपस्या करते थे तो उनकी रक्षा और सेवा के लिए क्षत्रिय समुदाय के कुछ लोगों ने भी जंगल में ही अपने घर यानी गृह बना लिए और वे गृहऋषि कहलाए. 

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