Jayal: नहीं रहे जगत मामा, खुद अनपढ़ रहकर भी जगाई थी शिक्षा की जोत
नागौर जिले के जायल के राजोद गांव निवासी पूर्णाराम गोदारा थे. गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. पूर्णाराम गोदारा पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. गुरुवार को 90 वर्ष की आयु में इस दुनिया को छोड़ गए.
Jayal: एक इंसान जिसने शिक्षा और मान्यता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया और अपना सब कुछ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए न्यौछावर कर दिया और जीवन भर सरकारी स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को नकद इनाम के साथ शिक्षण सामग्री बांटी और जब मन किया तो बच्चों को हलवा, पूरी, खीर बनाकर खिला दिया. नागौर जिले के जायल के राजोद गांव निवासी पूर्णाराम गोदारा थे. गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. पूर्णाराम गोदारा पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. गुरुवार को 90 वर्ष की आयु में इस दुनिया को छोड़ गए. पूर्णाराम गोदारा जगत मामा के नाम से विख्यात थे और पूर्णाराम गोदारा अपने जीवन काल में हर किसी को भाणू ही कहकर पुकारते थे इसलिए सभी उन्हें मामा ही कहते थे.
वहीं जगत मामा पूर्णाराम गोदारा के निधन के समाचार सुनते ही पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी. वहीं नागौर के सभी राजनेताओं से लेकर आम व्यक्ति ने जगत मामा के निधन पर संवेदना व्यक्त की है. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, पूर्व सांसद सीआर चौधरी, नागौर जिले की समस्त विधानसभाओं के सभी विधायकों, ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा सहित तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर संवेदना व्यक्त की है.
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जगत मामा पूर्णाराम गोदारा के संपर्क में रहे लोगों ने बताया कि पूर्णाराम गोदारा खुद अनपढ़ थे लेकिन उनका शुरू से ही स्कूली बच्चों से प्रेम था. वहीं सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों को पैसे बांटते, शिक्षण सामग्री बांटते और कभी-कभार तो पूरे स्कूली बच्चों के लिए अपने पैसों से हलवा, पूरी, खीर भी बनाकर खिला देते थे. जगत मामा पूर्णाराम गोदारा को मानो स्कूली बच्चों को कड़क 50/100/500 के नोट बांटने की धुन सी थी. पूर्णाराम गोदारा खुद साधारण साधु की तरह ही रहते थे. हल्की फटी धोती, सफेद कुर्ता, सर पर साफा और नोटों से भरा थैला लिए वह हर रोज किसी ना किसी सरकारी स्कूलों में जाकर वहां बच्चों को पैसे और शिक्षण सामग्री बांटते और उनकी यही सोच कई अमीर लोगों को पीछे छोड़ देती थी. जगत मामा पूर्णाराम गोदारा दिल और सोच के बहुत अमीर और प्यार के सागर से भरे इंसान थे.
क्यों कहलाए पूर्णाराम गोदारा जगत मामा
कहते हैं हर किसी को कोई उपाधि मिलना इतना आसान नहीं होता और राजोद गांव के पूर्णाराम गोदारा को जगत मामा की उपाधि उन्हें नागौर जिले के वासियों ने दी है. लोगों ने बताया कि पूर्णाराम गोदारा बच्चों को भाणू और भाणियों कहकर ही बुलाते थे और बच्चे भी उन्हें मामा कहकर पुकारते थे. पूर्णाराम गोदारा कोई पढ़े-लिखे इंसान नहीं थे वह अनपढ़ थे. वहीं अनपढ़ होने के बावजूद उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा संत की पहचान दी. पूर्णाराम गोदारा ने कई वर्षों पूर्व ही अपना घर त्यागकर शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था.
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जगत मामा पूर्णाराम गोदारा ने गरीब बच्चों के प्रवेश फीस से लेकर किताब, ड्रेस, स्टेशनरी, बैग और छात्रवृत्ति तक की व्यवस्था कर देते थे. वहीं पूर्णाराम गोदारा ने अबतक हजारों लड़के-लड़कियों को स्कूल से जोड़ा था. वहीं शिक्षा में जीवन समर्पित करने के कारण जगत मामा पूर्णाराम गोदारा ने शादी तक नहीं की. उन्होंने अपने जीवन-काल में लगभग 4 करोड़ रूपए दान कर दिए और अपनी 300 बीघा जमीन भी गांव की स्कूल, ट्रस्ट और गौशाला को ही दान कर दी थी. जगत मामा पूर्णाराम गोदारा दो भाई और एक बहन थे. दोनों भाईयों का निधन हो गया. वहीं अब ग्रामीणों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों से उनका पाठ स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल कराने और जायल के राजकीय महाविद्यालय का नाम जगत मामा पूर्णाराम गोदारा के नाम से करने की मांग भी की है.
Report: Damodar Inaniya