नसीराबाद के चहुंमुखी विकास की कड़ी में गायनिक विभाग का भी बढ़ गया रूतबा, जानिए कैसे
कहते हैं कि सकारात्मक सोच और सामूहिक प्रयासों से सीमित संसाधनों के बाद भी ऐतिहासिक कार्यों को भी अंजाम दिया जा सकता है. ऐसा ही नजारा नसीराबाद चिकित्सालय में देखने को मिला. यहां पर तीन साल से बंद पड़े गायनिक ऑपरेशन अस्पताल प्रशासन की सकारात्मक सोच से फिर प्रारंभ हो गए.
Nasirabad: नसीराबाद अस्पताल में काफी समय बाद अस्पताल प्रशासन के सकारात्मक प्रयासों से गायनिक विभाग में एक महिला की बच्चेदानी से गांठ निकालकर जटिल ऑपरेशन करते हुए महिला को राहत पहुंचाई गई.
कहते हैं कि सकारात्मक सोच और सामूहिक प्रयासों से सीमित संसाधनों के बाद भी ऐतिहासिक कार्यों को भी अंजाम दिया जा सकता है. ऐसा ही नजारा नसीराबाद चिकित्सालय में देखने को मिला. यहां पर तीन साल से बंद पड़े गायनिक ऑपरेशन अस्पताल प्रशासन की सकारात्मक सोच से फिर प्रारंभ हो गए.
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को काफी राहत मिलेगी
पहला ऑपरेशन ही जटिल गांठ को निकालते हुए महिला को राहत पहुंचाकर अस्पताल प्रशासन ने बड़ी उपलब्धि अर्जित की. अब तक सिजेरियन और जटिल प्रसव के मामले आने पर अजमेर रेफर कर दिए जाते थे लेकिन अब नसीराबाद में ही सिजेरियन और अन्य जटील समस्याओं का निस्तारण होने से उपखंड क्षेत्र के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को काफी राहत मिलेगी.
इन लोगों ने उठाया ऐसे ऑपरेशन का बीड़ा
नसीराबाद चिकित्सालय में कार्यरत डॉ. मधु शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद से ही ऑपरेशन थियेटर में गायनिक संबंधी ऑपरेशन पर जैसे ब्रेक सा लग गया था. सिजेरियन या गायनिक की जटिल समस्या से ग्रसित महिला को अजमेर रेफर कर दिया जाता था. संसाधन होने के बाद भी गायनिक विशेषज्ञ, निसचेतन विशेषज्ञ या अन्य कारणों के चलते अस्पताल प्रशासन के हाथ बंधे हुए थे. करीब 3 सालों से बंद गायनिक ऑपरेशन फिर से प्रारंभ करने का बीड़ा संयुक्त निदेशक इन्द्रजीत सिंह एवं अस्पताल पीएमओ डॉ. विनय कपूर के नेतृत्व में गायनिक विशेषज्ञ डॉ. सरिता ने उठाया. नसीराबाद अस्पताल में पदस्थापित होने के बाद से ही गायनिक विशेषज्ञ डॉ. सरिता ने अस्पताल प्रशासन से चर्चा करते हुए ऑपरेशन कक्ष में बंद पड़े गायनिक ऑपरेशन को फिर से प्रारंभ करने की तैयारी करवाई.
महिला की बच्चेदानी पर भी बढ़ रहा था खतरा
निकटवर्ती गांव राममालिया निवासी सूरमा पति भागचंद परिजन के साथ पेट दर्द से पीड़ित होने पर चिकित्सा परामर्श लेने आई. डॉ. सरिता ने जांच के दौरान सोनोग्राफी करवाई तो बच्चेदानी के पास एक गांठ होने का पता चला. यह गांठ समय के साथ बड़ी होती जा रही थी. इसके चलते महिला की बच्चेदानी पर भी खतरा बढ़ता जा रहा था. गायनिक विशेषज्ञ ने परिजन को जटिल ऑपरेशन के जरिए ही गांठ निकलवाने की सलाह दी. चिकित्सक की सलाह पर परिजन भी राजी हुए और उन्होंने अस्पताल प्रशासन और गायनिक विशेषज्ञ पर पूरा भरोसा दर्शाते हुए ऑपरेशन करने को कहा.
डॉ. सरिता के नेतृत्व में स्टाफ ने लगभग एक घंटे के जटिल ऑपरेशन के जरिए गांठ को बाहर निकालते हुए पेट दर्द से परेशान महिला को राहत पहुंचाई. ऑपरेशन के दौरान उक्त गांठ का जुड़ाव बच्चेदानी से होने के चलते सावधानी से दोनों हिस्सों को काटते हुए अलग किया गया. जटिल ऑपरेशन के सफल होने पर परिजन ने चिकित्सक स्टाफ का आभार जताया. इधर काफी वर्षों बाद गायनिक विभाग में जटिल ऑपरेशन करने पर पूरी टीम को पीएमओ डॉ. विनय कपूर के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन ने अभिनंदन कर हौसला अफजाई की.
प्रसूताओं को नहीं किया जाएगा रेफर
नसीराबाद अस्पताल से प्रसूताओं को रेफर करने की परम्परा पर काफी हद तक अंकुश लगा है. अब तक काफी अच्छी व्यवस्थाएं होने के बाद भी गायनिक या निश्चेतन चिकित्सक के अभाव में सिजेरियन ऑपरेशन या जटिल प्रसव वाली महिलाओं को अजमेर रेफर करना पड़ रहा था लेकिन अस्पताल में गायनिक विशेषज्ञ का चार्ज संभालने के बाद से ही डॉ. सरिता ने सकारात्मक सोच से सिजेरियन ऑपरेशन करने का निर्णय लिया है. जटिल ऑपरेशन करने के बाद उन्होंने बताया कि अब नसीराबाद में ही सिजेरियन प्रसव के अलावा गायनिक समस्या से परेशान महिलाओं के जटिल ऑपरेशन भी अस्पताल में ही करने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि सीमित संसाधन के बाद भी अस्पताल प्रशासन के सहयोग से प्रसूताओं को अजमेर रेफर करने के बजाय नसीराबाद में ही ऑपरेशन कर राहत पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे.
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