Alwar news: आंदोलनकारी किसानों ने निकाली रैली, केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ लगाए मुर्दाबाद के नारे!
Alwar news: चंबल के पानी व अवैध प्लांटों के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों ने रैली निकाल कर रामगढ़ एसडीएम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन दिया, रैली के दौरान आक्रोशित आंदोलनकारी किसानों ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए.
Alwar news: राजस्थान के अलवर में चंबल के पानी की मांग का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा क्योंकि आंदोलनकारी किसान अपनी मांग मनवाने के लिए अडे़ हुए हैं. आज रामगढ़ कस्बे में किसान नेता वीरेंद्र मोर के नेतृत्व में आंदोलनकारी किसानों ने गोविंदगढ़ मोड़ से रैली निकालते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचे जहां पर आंदोलनकारी किसानों ने उमस भरी गर्मी में धरती पर बैठकर धरना प्रदर्शन दिया.
रैली के दौरान आक्रोशित किसानों ने कांग्रेस व बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए विरोध जताया. उसके पश्चात एसडीएम अमित कुमार वर्मा को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से मांग रखी कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना जिसमें अलवर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में चंबल कालीसिंध जैसी नदियों को जोड़कर पेयजल सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी उपलब्ध करवाना था लेकिन अलवर जिले में पानी की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है. जलस्तर घटता जा रहा है जिसके कारण अलवर जिला डार्क जोन में आ चुका है.
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प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 में भी अजमेर और जयपुर की सभा में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात कही थी. साथ ही रामगढ़ क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहे खनन प्लांटों की जांच कराने के संबंध में ज्ञापन सौंपा. इसमें भी मांग रखी थी मानकी मांडला चंडीगढ़ और पुठी गांव में खनन लीज आवंटित है जिसमें प्लांट संचालक सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं क्योंकि कई बार हैवी ब्लास्टिंग होने के कारण प्लांटों के पास रहने वाले ग्रामीणों को खतरा बना रहता है.
धूल भरे गुब्बारे उठते हैं जिसके कारण लोगों को सांस लेना तक दुर्लभ हो जाता है. किसानों के मावेशी को पहाड़ और वन क्षेत्र में चराने के लिए ले जाते वक्त हैवी ब्लास्टिंग के कारण मवेशी भी जख्मी हो जाता है. इन मांगों को लेकर किसानों ने ज्ञापन सौंपा साथ ही चेतावनी दी यदि सरकार ने हमारी यह मांग पूरी नहीं की तो मजबूरन किसानों को बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा.