Alwar News: सर्दी की जोर कमजोर पड़ चुकी है. फरवरी के बीच ही गर्मी दस्तक दे चुकी है जबकि ऐसी गर्मी का असर होली बाद महसूस होता है. इससे रबी सीजन में किसानों के सपने बढ़ते तापमान में दबते दिखाई दे रहे है. 


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इसका असर यह होगा कि समय से पहले गर्मी पड़ने से गेहूं, जौ और चने का उत्पादन घटने की आशंका है. कृषि अधिकारियों का भी मानना है कि इन दिनों मौसम में उतार-चढ़ाव ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं.


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फसलों पर होगी मौसम की मार
अभी फरवरी चल रही है. इसके बावजूद दोपहर को लोग गर्मी से परेशान रहने लगे है. इसके विपरीत पर्याप्त ठंडक के अभाव में गेहूं, जौ में समय से पहले बालियां निकल रही हैं. इसके दाना भी गुणवत्तापूर्ण नहीं बन रहा. पारे में गिरावट नहीं आई तो मौसम की मार गेहूं की फसल पर भारी साबित होगी. जबकि होता यह रहा है कि फरवरी के अंत तक सर्दी का जोर रहता था. सर्दी का असर रहने से गेहूं की फसल रंगत पर रहती थी.


क्या कहना है कृषि अधिकारी का
कृषि अधिकारी छोटे लाल यादव ने बताया कि रबी फसलों में सरसों की बुवाई का उचित समय एक से 15 अक्टूबर, गेहूं की बुवाई का समय 15 से 20 नवम्बर बीच माना गया है. इसी प्रकार पूरे फरवरी में अधिकतम तापमान 20 से 27 डिग्री का रहना आवश्यक है. इससे अधिक तापमान रहने पर फसलें समय से पहले पकना शुरू हो जाती है. इससे उत्पादन पर असर पड़ने की सम्भावना है. सरसों फसल के लिए तो यह तापमान उचित कहा जा सकता है. जबकि हवा की गति बढ़ने व तापमान में तेजी से पछेती गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित होगा. 


इन दिनों गेहूं, जौ और चने की फसल के लिए अधिकतम तापमान करीब 27 डिग्री के आसपास ही रहना आवश्यक है लेकिन पर्याप्त ठंडक के अभाव में गेहूं में समय से पहले बालियां निकलने व दाने में गुणवत्ता का अभाव रहेगा. पछेती फसल में ठंडक और नमी की आवश्यकता है. इसके अभाव में फूटन कम होगी तथा फसल जल्द लावणी आएगी.