Rajasthan Election: राजस्थान की वो सीट, जहां BJP-कांग्रेस नहीं निर्दलीयों की बोलती है तूती, गुर्जर बनाम मीणा होता है मुकाबला
Thanagazi Alwar Vidhansabha Seat: थानागाजी विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा वक्त में निर्दलीय विधायक कांति प्रसाद मीणा विधायक है. पढ़ें इस सीट का सियासी गणित..
Thanagazi Alwar Vidhansabha Seat: सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध थानागाजी विधानसभा क्षेत्र पिछले कुछ वक्त में कुछ घटनाओं के लिए भी सुर्खियों में रहा. यह वह सीट है जहां पिछले 32 सालों में सिर्फ एक बार कांग्रेस जीते में कामयाब रही है. यहां बीजेपी के बागी और निर्दलिय भी उसके लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं. यहां से मौजूदा वक्त में निर्दलीय विधायक कांति प्रसाद मीणा विधायक है.
खासियत
थानागाजी विधानसभा क्षेत्र यूं तो शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन पिछले तीन दशकों में यहां की सियासी तस्वीर बदली है. यहां हुए पिछले सात विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा जितने में कामयाब रही है तो वहीं दो बार निर्दलीयों ने और एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इस सीट पर अब तक कोई भी विधायक दो बार से ज्यादा जीत का रिकॉर्ड नहीं बना पाया है. यहां अब तक दो बार जीत का रिकॉर्ड जय किशन, रमाकांत, हेमसिंह भड़ाना और कांति प्रसाद मीणा के नाम रहा है.
जातीय समीकरण
थानागाजी विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता मीणा समाज से आते हैं, जबकि इसके बाद सबसे ज्यादा दबदबा गुर्जरों का है. वहीं बागड़ा ब्राह्मण का भी यहां खास प्रभाव माना जाता है.
2023 का विधानसभा चुनाव
इस सीट पर लंबे अरसे से त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलता रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि यहां एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. कांग्रेस के पास इस सीट पर कोई बड़ा चेहरा नहीं है. हालांकि इस सीट से पूर्व उम्मीदवार रह चुकी उर्मिला योगी ने एक बार फिर दावेदारी जताई है, तो वहीं पूर्व विधायक कृष्ण मुरारी गंगावत भी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. वहीं यहां से मौजूदा विधायक कांति प्रसाद मीणा भी कांग्रेस आलाकमान पर टकटकी लगाए बैठे हैं. हालांकि अगर कांति प्रसाद मीणा को कांग्रेस टिकट नहीं देती है तो वह एक बार फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में दिखाई पड़ सकते हैं.
वहीं बीजेपी की बात करें तो यहां टिकट दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिसमें हेमसिंह भड़ाना सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं, तो वहीं पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा की पुत्रवधू आरती शर्मा भी टिकट दावेदारों की कतार में है. वहीं रोहिताश और अभिषेक मिश्रा जैसे भी कई नाम कतार में है. इस सीट पर सबसे बड़ा मुद्दा पानी को लेकर है. वहीं सरिस्का टाइगर रिजर्व और महिला सुरक्षा जैसे भी यहां चुनावी मुद्दे हैं.
थानागाजी विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
पहला विधानसभा चुनाव 1951
1951 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भवानी सहाय को चुनावी मैदान में उतरा तो वहीं उन्हें कृषिकार लोक पार्टी के गुर्जर मल से कड़ी चुनौती मिली. इस चुनाव में गुर्जर मल को 6,475 मत हासिल हुए तो वहीं कांग्रेस के भवानी सहाय 38 फीसदी से ज्यादा मतों के साथ 6,935 मत पाने में कामयाब हुए और उसके साथ ही भवानी सहाय थानागाजी के पहले विधायक चुने गए.
दूसरा विधानसभा चुनाव 1962
1957 में सीट को आसपास की सीट में मर्ज कर दिया गया था, लेकिन 1962 में परिसीमन के बाद थानागाजी एक बार फिर विधानसभा क्षेत्र बना. 1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जय किशन को टिकट दिया तो वहीं उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार मूलचंद से चुनौती मिली. इस चुनाव में जय किशन 11,168 मतों के साथ विजई हुए तो वहीं मूलचंद सिर्फ 4,481 मत हासिल कर सके.
तीसरा विधानसभा चुनाव 1967
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर उस वक्त के तत्कालीन विधायक जय किशन को ही टिकट दिया तो वहीं निर्दलीय के तौर पर लक्ष्मी नारायण उन्हें चुनौती देने उतरे. इस चुनाव में लक्ष्मी नारायण 11,464 मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में कामयाब हुए, लेकिन 12,667 मतों के साथ जय किशन ने एक बार फिर जीत दर्ज की.
चौथा विधानसभा चुनाव 1972
1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर जय किशन पर ही दांव खेला तो वहीं अब की बार लक्ष्मी नारायण ने स्वराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. चुनाव में लक्ष्मी नारायण जयकिशन को चुनावी शिकस्त देने में कामयाब हुए और 20,692 मतों के साथ विजय हुए, जबकि इस चुनाव में जय किशन के हार के साथ ही कांग्रेस का अजय रथ रुक गया.
पांचवा विधानसभा चुनाव 1977
1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी की ओर से शिवनारायण ने ताल ठोकी तो वहीं कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार बदला और सीताराम को टिकट दिया. इस चुनाव में जनता पार्टी के शिव नारायण 14,479 मतों के साथचुनाव जीतने में कामयाब रहे तो वहीं कांग्रेस के सीताराम सिर्फ 6,579 मत ही हासिल कर सके और उसके साथ ही एक बार फिर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
छठा विधानसभा चुनाव 1980
1980 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने शोभाराम को टिकट दिया तो वहीं अब की बार शिव नारायण बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में शोभाराम ने एक बार फिर कांग्रेस की वापसी कराई और 16,404 मतों के साथ चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो वहीं शिवनारायण 14,071 के साथ मत ही पा सके.
उपचुनाव 1984
1984 के विधानसभा के उप चुनाव कराने पड़े. इस चुनाव में कांग्रेस ने डी लाल को टिकट दिया तो बीजेपी की ओर से एक बार फिर शिव नारायण ही चुनावी मैदान में थे. इस चुनाव में बीजेपी को बहुत सी उम्मीदें थी, हालांकि चुनावी नतीजे आए तो कांग्रेस 25,770 मतों के साथ विजई हुई. हालांकि शिव नारायण ने कड़ी टक्कर देने की कोशिश की लेकिन वह 24,255 मत ही हासिल कर सके.
सातवां विधानसभा चुनाव 1985
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बदला और राजेश को टिकट दिया जबकि भाजपा की ओर से शिव नारायण ही चुनावी मैदान में थे .इस चुनाव में शिव नारायण को 23,166 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस के राजेश 25,544 मतों के साथ विजयी हुए और उसके साथ ही लगातार तीसरी बार शिवनारायण को हार का सामना करना पड़ा.
आठवां विधानसभा चुनाव 1990
1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जहां फिर से राजेश को ही टिकट दिया तो वहीं भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदला और रमाकांत को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में कांग्रेस के राजेश कुछ कमाल नहीं दिखा सके और बीजेपी के रमाकांत चुनाव जीतने में कामयाब हुए और इसके साथ ही भाजपा का दांव सफल रहा. रमाकांत को 29,882 मत हासिल हुए.
9वां विधानसभा चुनाव 1993
1993 के विधानसभा चुनाव में रमाकांत एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार बने तो वहीं कांग्रेस अपने पुराने और मजबूत खिलाड़ी जय किशन को फिर से थानागाजी के चुनावी मैदान में लेकर आई. इस चुनाव में दोनों ही उम्मीदवारों के बीच बेहद कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन सिर्फ 129 मतों के अंतर से रमाकांत जयकिशन को चुनावी शिकस्त देने में कामयाब हुए और 29,244 मतों के साथ विजयी हुए.
दसवां विधानसभा चुनाव 1998
1998 के विधानसभा चुनाव में कृष्ण मुरारी गंगवार चुनावी मैदान में उतरे तो उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार हेम सिंह भडाना से कड़ी टक्कर मिली. वहीं बीजेपी ने रमाकांत को टिकट दिया. इस चुनाव में एक और निर्दलीय उम्मीदवार कांति मीणा भी थे. जिसने चुनावी मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया. इस चुनाव में कांग्रेस के कृष्ण मुरारी गंगावत चुनाव जीते हुए कामयाब रहे और उन्हें 25,181 मत हासिल हुए जबकि दूसरे स्थान पर हेमसिंह भड़ाना, तीसरे स्थान पर कांति मीणा और चौथे स्थान पर भाजपा उम्मीदवार रमाकांत रहे. इस चुनाव में कांग्रेस की जहां जीत हुई तो वहीं बीजेपी को करारी शिकायत का सामना करना पड़ा.
11वां विधानसभा चुनाव 2003
2003 के विधानसभा चुनाव में क्रांति प्रसाद मीणा एक बार फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में थे तो वहीं भाजपा ने निर्दलीय उम्मीदवार हेमसिंह भड़ाना को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस की ओर से एक बार फिर मैदान में कृष्ण मुरारी गंगावत ही थे, जबकि रमाकांत इस चुनाव में बगावत पर उतर आए और निर्दलीय ही ताल ठोक दी. इस चुनाव के नतीजे आए तो निर्दलीय उम्मीदवार कांति मीणा चुनाव जीत चुके थे, जबकि भाजपा को बगावत भारी पड़ी और दूसरे स्थान पर रही जबकि कांग्रेस के कृष्ण मुरारी गंगावत तीसरे स्थान पर रहे.
12वां विधानसभा चुनाव 2008
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से कृष्ण मुरारी को ही टिकट दिया तो वहीं कांतिलाल मीणा एक बार फिर निर्दलीय ही चुनावी मैदान में थे. इस बार मुकाबला त्रिकोणीय था. इस त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी के हेमसिंह भड़ाना 35,271 मतों के साथ विजयी हुए जबकि कांतिलाल मीणा 33,976 मतों के साथ दूसरे और कांग्रेस के कृष्ण मुरारी 25,717 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
13वां विधानसभा चुनाव 2013
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से एक बार फिर हेमसिंह भड़ाना ही उम्मीदवार बनाए गए तो वहीं कांति प्रसाद मीणा नेशनल पीपल पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में थे. इस त्रिकोणीय चुनाव में कांग्रेस को फिर से हार का सामना करना पड़ा और मोदी लहर पर सवार हेमसिंह भड़ाना की जीत हुई और उन्हें 52,583 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ. जबकि कांति प्रसाद मीणा भी 48000 से ज्यादा मत ही पा सके.
14वां विधानसभा चुनाव 2018
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सुनील कुमार शर्मा को टिकट मिला तो वहीं बीजेपी ने बानसूर से पूर्व विधायक रहे रोहित शर्मा को थानागाजी से उतारा. वहीं हेमसिंह भड़ाना बगावत पर उतर आए और उन्होंने निर्दलीय ही पर्चा भर दिया. वहीं कांति प्रसाद मीणा एक बार फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में थे. इस चुनाव में कांति प्रसाद मीणा को थानागाजी की जनता ने भर-भर के वोट दिए और उन्हें 64,709 मत हासिल हुए जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले हेमसिंह भड़ाना सिर्फ 34,729 मत हासिल कर सके. बीजेपी के रोहिताश कुमार और कांग्रेस के सुनील कुमार क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहे और उन्हें तकरीबन 22000 मतदाताओं का ही समर्थन हासिल हो सका. इस चतुष्कोणीय मुकाबले में कांति प्रसाद मीणा एक बार फिर विजयी हुए.
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