Kishanganj News, Baran : राजस्थान के बारां के शाहाबाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश सहरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं. लेकिन रोजगार के अभाव में ये लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. खुशियारा गांव की सहरिया कॉलोनी में सरकार की सहायता से सहरिया परिवारों की आजीविका चलाने के लिए पोल्ट्री फार्म विकसित किया गया था. ये सहरिया परिवारों की आजीविका का साधन बन चुका था.


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पोल्ट्री फॉर्म से कई सहरिया परिवारों को रोजगार तो मिला, लेकिन वो कुछ समय बाद सरकार ने आर्थिक सहायता बंद कर दी गई और पोल्ट्री फॉर्म बंद हो गए. नतीजतन कई परिवार बेरोज़गार हो गए. इन परिवारों ने रोजगार की मांग की है.


सहरिया परिवार के सुदामा, ज्ञानी, घनश्याम, कालीचरण, रमेश, कमलेश बाई, लीला बाई ,बेजन्ती बाई, भाटो बाई, बत्तो बाई, गब्बो बाई, सुरजा बाई ने बताया कि सन् 1998 के लगभग 20 परिवारों को रोजगार के लिए पोल्ट्री फार्म विकसित किया गया था.


चिकित्सकीय देखरेख एवं जानकारी के अभाव में मुर्गा मुर्गियों में बीमारियां फैल गई. जिसकी वजह से मुर्गा मुर्गीयों की मौत हो गई और रोजगार बंद हो गया और पोल्ट्री फॉर्म खंडर में तव्दील हो गया. सहरिया परिवार ने बताया कि हमारे पैसे बैंक में उलझे हुए हैं. जो पैसा बचत का मिलता था. उसे बैंक में जमा किया जाता था. खाता समूह में होने की कह कर पैसा नहीं दिया गया प्रत्येक परिवार का पैसा जमा है. जो आज तक नहीं मिला हमारी मांग है की पुन: पोल्ट्री फॉर्म का काम शुरू किया जाए, ताकि हमें रोजगार मिल सके और हमारे परिवार को पुन पुरानी खुशियां मिल सके.


सहरिया परिवारों का कहना है कि पोल्ट्री फार्म बंद होने से रोजगार नहीं है. रोजगार नहीं होने से भूखे मरने की स्थिति बनती जा रही है. सरकार से मिलने वाली राशन सामग्री से गुजर बसर नहीं हो पाता. मनरेगा के तहत भी लोगों को काम नहीं मिल रहा है. ऐसे में रोजी-रोटी का संकट है. रोजगार नहीं होने से भी लोगों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते वे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.


राज्य सरकार द्वारा सहरिया परिवारों को आजिविका चलाने के लिए 36 बीघा जमीन पोल्ट्री फॉर्म के नाम से 20 सहरिया परिवारों को आवंटित की गई थी,  जो अतिक्रमण का शिकार हो गई. वहां पोल्ट्री फॉर्म के घरों को तोड़कर अतिक्रमण कर प्लाट बनाए जा रहे हैं.


रिपोर्टर- राम मेहता


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