Shahpura: रायला में आयोजित भागवत कथा के संघ का दूसरे दिन व्याख्यान करते हुए कथावाचक पंडित दुर्गेश व्यास ने कथा प्रसंगों में राजा परीक्षित को 7 दिनों में मृत्यु हो जाने का मुनि द्वारा श्राप मिला.


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मृत्यु के डर को टालने के लिए महा मुनि श्री सुखदेव जी ने श्रीमद् भागवत कथा राजा परीक्षित को सुनाने का निश्चय किया. कथा के दौरान आज भगवान के द्वारा उत्पन्न की गई सारी सृष्टि का वर्णन एवं धरती पर प्रथम पुरुष महाराज मनु के राज्य की स्थापना का प्रसंग सुनाया हिरण्याक्ष वध के लिए भगवान ने वराह अवतार लिया. इसके बाद मनु एवं शतरूपा की वंश का वर्णन सुनाया. भगवान शिव एवं पार्वती के विवाह का प्रसंग सुनाया और ध्रुव राज का चरित्र सुनाएं. 


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आज की कथा के दौरान पंडित दुर्गेश जी चतुर्वेदी ने बताया कि जीवन में ब्रम्हचर्य संतोष भक्ति और सेवा यह चारों गुण मनुष्य को मनुष्यता प्रदान करते हैं. अतः मनुष्य को भोग विलास से बचकर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. मानव जीवन में सबसे ज्यादा दुखी होने का कारण लोभ मद मोह अहंकार होता है.


अतः मनुष्य को संतोषी होना चाहिए, जिसके जीवन में संतोष है. वहीं, मनुष्य सुखी है. मानव जीवन मिला है तो सेवा के लिए मिला है. मनुष्य को सेवा में सदा आगे रहना चाहिए. गौ सेवा, हरी सेवा, माता - पिता की सेवा राष्ट्र की सेवा, धर्म की सेवा, जहां कहीं भी और जब कभी भी सेवा का मौका मिले सेवा में तत्पर रहने वाला मनुष्य ही श्रेष्ठ मनुष्य होता है.


आज के इस कथा प्रसंग में भक्तों ने संगीत में कथा का आनंद लिया. कथा समापन के बाद आरती की गई तथा भगवत प्रसाद वितरित किया गया. यह जानकारी भगवत कथा आयोजक गोपाल दरगड ने प्रदान की.


Reporter- Dilshad Khan


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