Bikaner News: राजस्थान की उस्ता कला को मिला GI टैग, ऊंट की खाल पर सोने की जाती है नक्काशी
Bikaner News: केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेंड के चेन्नई स्थित कार्यालय ने राजस्थान की पांच पारंपरिक कलाओं को GI टैग दिया है. इसके साथ ही अब इन कलाओं पर भारत का ही एकाधिकार स्थापित हो गया है.
Bikaner News: केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेंड के चेन्नई स्थित कार्यालय ने राजस्थान की पांच पारंपरिक कलाओं को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिल गया है. ये कलाए है जोधपुर बंधेज कला, उदयपुर की कोफ़्तगिरी मेटल शिल्प, राजसमंद की नाथद्वारा पिचवाई शिल्प, बीकानेर की उस्ता कला, बीकानेर की हस्त कढ़ाई कला शामिल है.
दस साल तक रहेगा राजस्थान का ही एकाधिकार
इन कलाओं के उत्पादों पर दस साल तक राजस्थान का ही एकाधिकार रहेगा. इसके साथ ही हमेशा इन कलाओं को सरकारी प्रोहत्साहन भी मिलेगा. सबसे बड़ी बात है अब इनके कारीगरों को इनका लागत से कम दाम नहीं होने मिलेंगे.
एक हजार लोग जुड़े हैं उस्ता से
बीकानेर की उस्ता कला से अभी भी एक हजार से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. इस कला को स्थानीय स्तर पर बढ़ावा भी दिया जा रहा है. खासकर अवार्ड समारोहों में लोग इस कला के उकेरे फ्रेम देते हैं. इसके अलावा तमाम प्रदर्शिनयों और मेलों में भी स्टाल के जरिए उस्ता कला के प्रचार-प्रसार में सरकार भी सहयोग कर रही है. गौरतलब है कि इस कला के सिद्धहस्थ बीकानेर शहर में ही ज्यादा हैं.
तीन ब्लॉक में पांच हजार बुनकर
बीकानेर हैंडीक्राफ्ट को भी जीआई टैग मिला है. यह धागे को बुनकर बनाए जाने वाले बंधनवॉल, सजावटी सामान बनाने वाले बुनकरों के लिए है. खाजूवाला, कोलायत और लूणकरनसर ब्लॉक में इस कार्य से करीब पांच हजार लोग जुड़े हुए है.
GI Tag क्या है
जीआई टैग (GI Tag) एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है. जीआई टैग उत्पाद की विशेषता बताता है.
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