किसान नहीं बेच रहे है समर्थन मूल्य पर अपनी फसल, मंडियों में पसरा सन्नाटा
कोरोना काल में प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हुए भी गत वर्ष गेहूं, सरसों, चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का नया रिकॉर्ड बनाने वाली सरकार के लिए इस बार खरीद करना कठिन हो रहा है.
Khajuvala: कोरोना काल में प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हुए भी गत वर्ष गेहूं, सरसों, चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का नया रिकॉर्ड बनाने वाली सरकार के लिए इस बार खरीद करना कठिन हो रहा है.
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ऐसा नहीं है कि सरकार के लिए स्थिति प्रतिकूल है, बल्कि परिस्थिति इस बार किसानों के अनुकूल है. समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम किसानों को उनके दरवाजे पर ही मिल रहे हैं यानी कृषि मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक उन्हें उनकी जिंसों के भाव मिल रहे हैं. चाहे वो बात सरसों की हो या चने, गेहूं की. सभी के इन दिनों कृषि मंडियों में एमएसपी (MSP) से ज्यादा भाव मिल रहे हैं, जिसके चलते किसान एमएसपी पर अपनी जींस बेचने के बजाय कृषि मंडियों में व्यापारियों के पास अपनी जिंस बेचने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं.
बात करें खाजूवाला कृषि मंडी की तो यहां पर प्रतिदिन 5000 से 5500 क्विंटल सरसों इन दिनों कृषि मंडी में पहुंच रही है, लेकिन समर्थन मूल्य पर अभी तक एक भी किसान ने आवेदन नहीं किया और सरकार के द्वारा 25 मार्च से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए आवेदन लेना शुरू कर दिए. खाजूवाला कृषि मंडी के मंडी सचिव सुनील कुमार गोदारा बताते हैं कि इन दिनों खाजूवाला की कृषि मंडी में प्रतिदिन सरसों की आवक 5000 से 5500 क्विंटल तक हो रही है और 6000 से 6800 तक व्यापारियों के द्वारा खरीद की जा रही हैं. किसान लगातार अपनी जिंसों को कृषि मंडी में लेकर पहुंच रहे हैं. जहां पर मंडी की ओर से किसानों के लिए पानी बिजली सहित मूलभूत सुविधाएं करवाई गई है ताकि किसानों को कोई परेशानी ना हो.
खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष मोहनलाल सियाग ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित की गई है, जिसमें चना 5230 रुपए जो बाजार में 5000 से ₹5500 तक बिक रहा है. वहीं एमएसपी सरसों का मूल्य ₹5050 निर्धारित किया गया है वहीं सरसों कृषि मंडी में 6000 से ₹6800 तक बिक रही है. बात करें गेहूं की तो एफसीआई(FCI) के द्वारा ₹2015 मूल्य निर्धारित किया गया है, लेकिन मंडी में 2100 से 2200 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं इन दिनों बिक्री हो रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य से कृषि मंडी में अधिक भाव होने की वजह से किसान कृषि मंडी में अपनी जींस को बेचने में ज्यादा रुचि दिखा रहा है.
बेरियावाली क्रय विक्रय सहकारी समिति के अधिकारी मुलचंद गजरा ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए 25 मार्च से आवेदन लेना शुरू कर दिया गया, लेकिन खाजूवाला खरीद केन्द्र पर आज तक चने के लिए 22 आवेदन प्राप्त हुए. सरसों के लिए तो आज तक एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हो पाया. आवेदन नहीं होने के कारण आज तक खाजूवाला में समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं करवाई जा सकी. विभाग के द्वारा खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, लेकिन किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से अभी तक शुरू नहीं हुई.
कुल मिलाकर बात की जाए तो किसानों को इन दिनों कृषि मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक अपनी जिंसों के भाव मिल रहे हैं, जिसकी वजह से किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की और रुचि नहीं दिखा रहे. इसी के कारण बीकानेर जिले भर में आज तक एक भी खरीद केन्द्र पर जिंसों की खरीद शुरु नहीं हो पाई। जरूरत है सरकार किसानों के मनो भाव को समझ समर्थन मूल्यों में कुछ सुधार करे जिससे वीरान पड़ी मंडिया फिर से आबाद हो.
REPORTER- TRIBHUWAN RANGA