Indian Spy: एक्टर बना जासूस, नाम पड़ा 'Black Tiger', पाकिस्तानी सेना में राजस्थान के रवींद्र कौशिक की जासूसी की कहानी

RAW agent black tiger story: ब्लैक टाइगर के नाम से प्रसिद्ध रवींद्र कौशिक ने पाकिस्तान में एक गुप्त भारतीय जासूस के रूप में हिम्मत भरा दूसरा जीवन जिया, जिसके बाद उनकी पहचान उजागर हो गई, जिसके कारण उन्हें वर्षों तक यातनाएं सहनी पड़ीं और जेल में रहना पड़ा.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jan 3, 2025, 04:15 PM IST
  • कौशिक, भारत का एक अंडरकवर एजेंट
  • कौशिक थिएटर में परफॉर्म करते थे
Indian Spy: एक्टर बना जासूस, नाम पड़ा 'Black Tiger', पाकिस्तानी सेना में राजस्थान के रवींद्र कौशिक की जासूसी की कहानी

Indian Spy in Pakistan/ Ravindra Kaushik: जासूसी की असल जिंदगी की दुनिया कहीं ज्यादा क्रूर और अक्सर दिल दहला देने वाली होती है. ऐसी ही कहानी थी रवींद्र कौशिक की. ब्लैक टाइगर के नाम से मशहूर उन्हें नवंबर 1975 में सिर्फ 23 साल की उम्र में पाकिस्तान भेज दिया गया था.

11 अप्रैल 1952 को राजस्थान के श्री गंगानगर में जन्मे वे भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी और युद्ध की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए. उन्होंने श्री गंगानगर के एस. डी. बिहानी पी. जी. कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की और वे थिएटर में परफॉर्म करना पसंद करते थे.

विभिन्न रिपोर्टों में बताया गया कि वह R&AW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के अधिकारियों के संपर्क में आए थे. हालांकि, एक रिपोर्ट का दावा है कि उनके एक्टिंग कौशल के कारण उन्होंने सबका ध्यान खींचा, जिसके कारण उन्हें एक अंडरकवर एजेंट के रूप में भर्ती किया गया.

Project X
चूंकि कौशिक को भारत के लिए एक अंडरकवर एजेंट के रूप में पाकिस्तान में प्रवेश करना था, इसलिए उनको पहले उर्दू और इस्लाम की धार्मिक प्रथाओं में निपुणता हासिल करनी थी.

उन्होंने खतना भी करवाया और नबी अहमद शाकिर की पहचान अपना ली. उनकी भारतीय पहचान पूरी तरह से मिट गई और वह इस्लामाबाद के निवासी बन गए. कौशिक अब शाकिर हैं. उन्होंने कराची विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और LLB की पढ़ाई की. आखिरकार उन्हें पाकिस्तानी सेना में एक लिपिक की नौकरी मिल गई.

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 'कार्यालय से जो जानकारी निकलती थी, वह एजेंसी (भारतीय) के लिए सोने की खान थी. पाकिस्तान की सैन्य लेखा सेवा में अपने पद से, कौशिक सैन्य इकाइयों की गतिविधियों, प्रमुख अधिकारियों की पोस्टिंग और यहां तक ​​कि युद्ध सामग्री से भरी ट्रेनों की आवाजाही पर भी रिपोर्ट करने में सक्षम थे.'

'1979 और 1983 के बीच, उन्होंने अमानत नबी नाम की एक पाकिस्तानी महिला से शादी भी की और उसके साथ उनके बच्चे भी हुए. उनका काम बेदाग था और किसी को भी, यहां तक ​​कि उनकी पत्नी को भी, यह संदेह नहीं था कि वे भारत से हैं.'

आखिरकार हुआ खुलासा
हालांकि, उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और आखिरकार पाकिस्तानी काउंटर-इंटेलिजेंस ने उनके भारतीय जासूस होने का खुलासा कर दिया. चूंकि जासूसों के बारे में रिकॉर्ड और जानकारी नहीं रखी जाती है, इसलिए कौशिक के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है. उनकी पहचान कैसे उजागर हुई, इसके बारे में अलग-अलग विवरण हैं.

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनायत मसीह नाम के एक अन्य एजेंट को RAW ने भेजा था और उन्हें पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के ज्वाइंट काउंटर-इंटेलिजेंस ब्यूरो ने पकड़ लिया था. जिससे कौशिक का खुलासा हुआ.

वहीं, एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि क्योंकि कौशिक का पाकिस्तान में कोई रिश्तेदार नहीं था, इसलिए एजेंसी ने उन पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी थी.

मौत की सजा सुनाई गई
कौशिक को 1985 में गिरफ्तार कर मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया. सियालकोट के हिरासत केंद्र में उन्हें सालों तक प्रताड़ित किया गया. 16 साल जेल में रहने के बाद, पाकिस्तान की मियांवाली जेल में उनकी मृत्यु हो गई. उनकी कहानी कई किताबों और फिल्मों की प्रेरणा रही है.

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