Rajasthan News: देश का दम, थार रेगिस्तान में सेना के जवानों का दम! भारत और अमेरिका के बीच एक विशाल युद्धाभ्यास जारी है, जिसमें दोनों देशों के 1200 से अधिक सैनिक शामिल हैं. यह अभ्यास 9 से 22 सितंबर तक एशिया के सबसे बड़े महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहा है, जहां सैनिक अपने हथियारों की दक्षता को अलग-अलग परिस्थितियों में परख रहे हैं. आतंकवाद के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन के लिए यह अभ्यास किया जा रहा है, जिसमें गोलियों की गरज से थार का रेगिस्तान थर्राया हुआ है. यह दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है.

 

देश का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास 
राजस्थान के बीकानेर में स्थित देश के सबसे बड़े महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में एक विशाल युद्धाभ्यास किया जा रहा है, जहां भारतीय सेना और अमेरिकी सेना मिलकर अपनी प्रहार दक्षता का प्रदर्शन कर रही हैं. इस युद्धाभ्यास में दोनों सेनाएं अपने हथियारों और तकनीक का प्रदर्शन कर रही हैं और थार के रेगिस्तान में देश का दम दिखा रही हैं. यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और एकता का प्रतीक है.



 

सेना दिखा रही देश का दम 
देश का दम , सेना के जवानों का जोश , दुश्मन के ठिकानो को पूरी तरह ख़त्म करने का जब्जा और थार के रेगिस्तान में हर परिस्थित से लड़ने का जूनून जी हाँ ये नज़ारा है राजस्थान के बीकानेर में इन दिनों चल रहे देश के सबसे विशाल युद्धाभ्यास का . जहां भारतीय सेना के जाबाज अमेरिका के सेनिको के साथ उतरे है रण के मैदान में अपनी युद्ध कौशल को दिखाने और प्रहार दक्षता को पूरी दुनिया को दिखने की भारतीय सेना किसी से काम नहीं है.

 

दुश्मनों के ठिकानों को किया बर्बाद 

इस बार युद्ध के मैदान में सैनिक जमकर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद कर रहे हैं! एक धमाका, दो धमाका, तीन धमाका... यह गर्जन है देश की शक्ति की, देश के टॉपों की! जहां देश के जाबाज सैनिक दुश्मन पर विजय प्राप्त करने की दक्षता दिखाते नज़र आ रहे हैं, वहीं दुश्मन के ठिकानों पर गोला बारी भी की जा रही है. यह एक शक्तिशाली प्रदर्शन है भारतीय सेना की ताकत और क्षमता का, जो दुश्मनों को पस्त करने में सक्षम है.

 


 

युद्धाभ्यास भारतीय सेना की ताकत और क्षमता​
भारतीय थल सेना थार के रेगिस्तान में एक विशाल युद्धाभ्यास कर रही है, जिसमें दुश्मन के इलाकों में दूर तक प्रहार करने और एकीकृत हवाई-जमीनी लड़ाई के वातावरण में परीक्षण को परखने का लक्ष्य है. इस युद्धाभ्यास में मुख्य रूप से आधुनिक युग में इस्तेमाल होने वाली तकनीक और हथियारों की प्रणाली का प्रदर्शन किया जा रहा है, साथ ही युद्ध व्यवस्था में हो रहे परिवर्तन और थिएटर लड़ाई की अवधारणाओं को एक जगह कर सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. यह युद्धाभ्यास भारतीय सेना की ताकत और क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

 

भारतीय सेना समय-समय पर महाजन के फील्ड फायरिंग रेंज में नियमित अंतराल पर विभिन्न स्तर के युद्धाभ्यास करती रहती है, लेकिन यह अपने आप में बेहद विशाल युद्धाभ्यास है, जहां सुनिश्चित किया जाता है कि कैसी भी परिस्थिति हो, सेना सदैव लड़ाई के लिए तैयार है. यह युद्धाभ्यास सेना की तैयारी और क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और दुश्मनों को दिखाता है कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.

 

भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास-2024 का 20वां संस्करण आज राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में विदेशी प्रशिक्षण नोड में चल रहा है यह अभ्यास 09 से 22 सितंबर l तक आयोजित होने वाला है. इस युद्ध अभ्यास का आयोजन 2004, से हर साल भारत और अमेरिका के बीच किया जाता है यह संस्करण सैन्य शक्ति और उपकरणों के संदर्भ में संयुक्त अभ्यास के दायरे और जटिलता में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है. 

 

600 सैनिकों की भारतीय सैन्य टुकड़ी का प्रतिनिधित्व राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन के साथ-साथ अन्य हथियारों और सैन्य सेवाओं के कर्मियों द्वारा किया जा रहा है. समान संख्या के अमेरिकी टुकड़ी का प्रतिनिधित्व अमेरिकी सेना के अलास्का स्थित 11वें एयरबोर्न डिवीजन की 1-24 बटालियन के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र जनादेश के सातवें अध्याय के तहत सब - कन्वेंशनल माहौल में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है. यह अभ्यास सेमि डेजर्ट वातावरण में सैन्य कार्यवाही पर केंद्रित है.

 


 

अभ्यास के दौरान किए जाने वाले सामरिक अभ्यासों में, आतंकवादी कार्रवाई के लिए संयुक्त प्रतिक्रिया, संयुक्त योजना और संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास शामिल हैं जो वास्तविक दुनिया के आतंकवाद विरोधी मिशनस का अनुकरण करते हैं यह युद्ध अभ्यास दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाएगा. इससे दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता, भाई चारा और ताल मेल विकसित करने में मदद मिलेगी. संयुक्त अभ्यास से रक्षा सहयोग भी बढ़ेगा, दोनों मित्र राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे.

 

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