Rajasthani Marwari Horse: नई तकनीक से हुआ मारवाड़ी घोड़ी 'राज-हिमानी' का ऐतिहासिक जन्म, जानें ब्रीड से लेकर कीमत तक सब कुछ
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Rajasthani Marwari Horse: नई तकनीक से हुआ मारवाड़ी घोड़ी 'राज-हिमानी' का ऐतिहासिक जन्म, जानें ब्रीड से लेकर कीमत तक सब कुछ

वैज्ञानिकों ने एक नए प्रयोग में सफलता प्राप्त की है, जिससे अच्छे नस्ल के घोड़ों की समस्या जल्द ही समाप्त हो सकती है. इस प्रयोग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले घोड़े पैदा किए जा सकते हैं, जो उनकी नस्ल को सुधारने में मदद करेंगे.

Rajasthani Marwari Horse: नई तकनीक से हुआ मारवाड़ी घोड़ी 'राज-हिमानी' का ऐतिहासिक जन्म, जानें ब्रीड से लेकर कीमत तक सब कुछ

Rajasthan Marwari Horse Breed: वैज्ञानिकों ने एक नए प्रयोग में सफलता प्राप्त की है, जिससे अच्छे नस्ल के घोड़ों की समस्या जल्द ही समाप्त हो सकती है. इस प्रयोग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले घोड़े पैदा किए जा सकते हैं, जो उनकी नस्ल को सुधारने में मदद करेंगे. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे राजस्थान की मारवाड़ी घोड़ी 'राज-हिमानी' के बारे में सब कुछ...

राजस्थान की दमदार घोड़े की ब्रीड 
देश में अच्छे नस्ल के घोड़ों की कमी एक गंभीर समस्या है, लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस नए प्रयोग से इस समस्या का समाधान हो सकता है. इस प्रयोग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले घोड़ों को पैदा किया जा सकता है, जिससे अच्छे नस्ल के घोड़ों की संख्या में वृद्धि हो सकती है. यह एक महत्वपूर्ण खोज है जो घोड़ों की नस्ल सुधार में क्रांति ला सकती है और देश में घोड़ों की कमी को दूर करने में मदद कर सकती है.

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बीकानेर में वैज्ञानिकों ने किया अनोखे प्रयोग
बिकानेर स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के इक्वाइन प्रोडक्शन कैंपस में वैज्ञानिकों ने एक नए और अनोखे प्रयोग के माध्यम से भारत में पहली बार घोड़ी के बच्चे का जन्म कराया है. इस प्रयोग में भ्रूण प्रत्यर्पण तकनीक और हिमीकृत वीर्य का प्रयोग किया गया है. जन्मे घोड़े के बच्चे का नाम "राज-हिमानी" रखा गया है, जो हिमीकृत वीर्य से उत्पन्न होने के कारण है. यह एक महत्वपूर्ण खोज है जो घोड़ों की नस्ल सुधार में क्रांति ला सकती है.

सरोगेट मां के माध्यम से होता है बच्चे का जन्म
अब तक  होता आया है, लेकिन भ्रूण को माँ के पेट में तैयार करने की नई तकनीक के माध्यम से एक नए दिशा में कदम बढ़ाया गया है. इस तकनीक में, भ्रूण को लगभग साढ़े सात दिन तक माँ के पेट में तैयार किया जाता है, और फिर उसे सरोगेट माँ के पेट में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहाँ वह विकसित होकर बच्चे का जन्म देता है. यह एक नवीन और उन्नत तकनीक है जो प्रजनन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर सकती है.

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यह है ब्रीड को तैयार करने का प्रोसेस 
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ तिरुमला राव तल्लूरी ने बताया कि देश में घोड़े पर भ्रूण स्थानांतरण तकनीक का प्रयोग पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन पहली बार अच्छी नस्ल की घोड़ी में भ्रूण तैयार करने के बाद उसे सरोगेट माँ में रखकर बच्चा पैदा करने की तकनीक का प्रयोग किया गया है. उन्होंने आगे बताया कि "राज हिमानी" नामक घोड़े का जन्म 4 अक्टूबर को सुबह 03:40 बजे हुआ था, जिसका जन्म के समय वजन 35 किलो था. यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो घोड़ों की नस्ल सुधार में एक नए दिशा की ओर ले जा सकती है.

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डॉ तल्लूरी ने दी जानकारी
डॉ तल्लूरी ने इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया, "सबसे पहले, हमने फ्रॉजेन सीमेन का उपयोग करके मारवाड़ी नस्ल की घोड़ी को कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से गर्भवती कराया. जब वह घोड़ी गर्भवती हो गई, तो साढ़े सात दिन बाद भ्रूण को निकालकर सरोगेट माँ की कोख में डाल दिया गया. और अब 11 महीने बाद, राज हिमानी का जन्म हुआ है." यह एक जटिल और उन्नत प्रक्रिया है जिसमें वैज्ञानिकों ने घोड़ों की नस्ल सुधार के लिए एक नए दिशा की ओर कदम बढ़ाया है.

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राजस्थान के मारवाड़ में हुई मारवाड़ी घोड़ों की उत्पत्ति
मारवाड़ी घोड़ों की उत्पत्ति राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में हुई है, जो इनका प्राकृतिक आवास है. मारवाड़ क्षेत्र में राजस्थान के उदयपुर, जालोर, जोधपुर, और राजसमंद जिले और गुजरात के कुछ निकटवर्ती क्षेत्र शामिल हैं. मारवाड़ी घोड़ों को मुख्य रूप से सवारी और खेल के लिए पाला जाता है, और ये अपनी गति, सुंदरता, और बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते हैं.

 फ्रोजन सीमेन का उपयोग करके किया गया भ्रूण प्रत्यारोपण
डॉ तल्लूरी का यह बयान एक नए दिशा की ओर संकेत करता है जिसमें फ्रोजन सीमेन का उपयोग करके भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo transfer) किया गया है. इससे पहले सिर्फ फ्रेश सीमेन का उपयोग किया जाता था, लेकिन फ्रोजन सीमेन का उपयोग करने से घोड़े के सीमेन को 100 साल तक भी सुरक्षित रखा जा सकता है, जो इसकी एक बड़ी ख़ासियत है. यह तकनीक घोड़ों की नस्ल सुधार में एक नए युग की शुरुआत कर सकती है.

आठ से दस बच्चों को दे सकती है जन्म...
डॉ तल्लूरी ने बताया कि आमतौर पर एक घोड़ी अपने जीवन में आठ-दस बच्चे दे सकती है, लेकिन इस तकनीक से हम 20-30 बच्चे ले सकते हैं. इसके लिए घोड़ी के एम्ब्रयो को प्रिजर्व करके फिर दूसरे सरोगेट में उसे ट्रांसफर किया जाता है. 19 मई 2023 को एक सरोगेट माँ के माध्यम से एक ब्लास्टोसिस्ट-स्टेज भ्रूण के ट्रांसफर से एक स्वस्थ मादा घोड़े का जन्म हुआ था, जिसका वजन 23.0 किलो था. इस नवजात घोड़े का नाम 'राज-प्रथम' रखा गया था, जो इस तकनीक की सफलता का प्रतीक है. यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल को बचाने और उनकी आबादी में वृद्धि करने में मदद कर सकती है. यह तकनीक घोड़ों की नस्ल सुधार में एक नए दिशा की ओर ले जा रही है.
 
तेजी से घट रही मारवाड़ी घोड़ों की आबादी 
मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल की आबादी तेज़ी से घट रही है, जो एक चिंताजनक स्थिति है. 2019 की पशुगणना के अनुसार, देश में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की संख्या मात्र 33,267 है, जबकि घोड़े और टट्टू की सभी नस्लों की संख्या 3 लाख 40 हज़ार है, जो 2012 में 6 लाख 40 हज़ार थी. यह आंकड़े बताते हैं कि मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल की आबादी में तेज़ी से गिरावट आ रही है, जो एक बड़ी चुनौती है.

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