मेघवाल जाति का वो इतिहास जो नई पीढ़ी के युवाओं को नहीं पता, जानिए कैसे बनी थी ये जाति
History of Meghwal caste : मेघवाल जाति का इतिहास क्या है. मेघवाल जाति की उत्पति कैसे हुई. मेघवाल समुदाय के लोग किन राज्यों में रहते है. मेघवाल जाति के नेताओं और अफसरों की सूची. इस जाति के गौरवशाली इतिहास के बारे में भी बहुत कम लोगों को पता है. जानिए.
History of Meghwal caste : राजस्थान के अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश के साथ साथ महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में मेघवाल समुदाय के लोग निवास करते है. सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक मेघवाल जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है. ये समाज मुख्य रुप से पशुपालन और खेती किसानी का काम करता है. आज जानेंगे कि मेघवाल जाति का इतिहास क्या है. मेघवाल समाज की उत्पति कहां से और कैसे हुई थी. साथ ही साथ राजस्थान समेत अन्य राज्यों में जनसंख्या कितनी है.
राजस्थान में मेघवाल को रिखिया कहते है. ग्रामीण इलाकों में राम के भजन कीर्तन में मेघवाल बुलाए जाते है. उनको राम का रिखिया कहते है. ये समाज हिंदू धर्म की पालना करता है. रामदेवजी, कबीर दास जी, बंकर माता और मेघ ऋषि इस जाति के प्रमुख देवताओं और संतों में गिने जाते है.
मेघवाल जाति की उत्पति
मेघवाल जाति की उत्पति को लेकर अलग अलग मान्यता है. इस जाति के लोग खुद की उत्पति बादलों से मानते है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है. मेघ शब्द का अर्थ बादल होता है. ऐसे में मेघवाल जाति के लोगों का दावा है कि उनकी उत्पति बारिश से हुई थी. इसके अलावा कुछ इतिहासकारों का ये भी दावा है कि मेघ ऋषि की संतानों को मेघवाल कहा गया.
उत्तर पश्चिमी भारत के साथ साथ पाकिस्तान के कुछ इलाकों में भी मेघवाल जाति के लोग रहते है. मेघवाल जाति कई उपसमूहों में भी बंटी हुई है. कालांतर में जिन अन्य जातियों से लोग कनवर्ट होकर मेघवाल बने तो उन जातियो के नाम के हिसाब से वर्गों में बंटे. जैसे- मारु भांबी, चरणिया भांबी, बामणिया भांबी और जटा भांबी.
मेघवालों की ऐतिहासिक भूमिका
भारत और राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में भी मेघवाल जाति का बड़ा योगदान है. धार्मिक नेता गोकुलदास ने साल 1982 में किताब "मेघवाल इतिहास" लिखी जिसमें मेघवालों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है. मेघवाल जाति के लोग कला में भी बेहद निपुण थे. चमड़े के जूते बनाने में बेहद माहिर माने जाते थे. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में घर की छोटी मोटी चीजें सुरक्षित रखने के लिए एक महलनुमा आकृति बनाई जाती थी. उसे स्थानीय भाषा में 'वील' कहा जाता था. वील बनाने का काम मेघवाल जाति की महिलाएं ही करती थी.
मेघवाल जाति के नेता और अफसर
मेघवाल जाति के लोगों का राजनीति और प्रशासन में भी बड़ा योगदान है. राजस्थान के बीकानेर से सांसद अर्जुनराम मेघवाल मोदी सरकार में मंत्री है. उससे पहले श्रीगंगानगर सांसद निहालचंद मेघवाल भी मंत्री रह चुके है. कैलाश चंद मेघवाल राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके है. गुजरात में फकिर भाई वाघेला 3 बार राज्य सरकार में मंत्री रहे. राजस्थान में गोविंदराम मेघवाल अशोक गहलोत सरकार में मंत्री है. मोहनलाल बारुपाल नागौर के जायल से 4 बार एमएलए रहे. मोहनलाल ने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था.
मिल्खी दास ने पंजाब सिविल सेवा के पहले बैच में सलेक्शन पाया था. मिल्खीदास ने ही मेघों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने का काम किया था. इसके अलावा भी जम्मू कश्मीर में सुमन भगत, पंजाब में चुनी लाल भगत जैसे नेता हुआ. स्नेह लता कुमार पंजाब की पहली मेघ महिला थी जो सीधे आईएएस बनी. स्नेह लता ने तैराकी में कई मेडल भी जीते थे. हिमाचल प्रदेश में विमला भगत विधानसभा की अध्यक्ष भी बनी थी. राजस्थान में चूरू के कालेरा बास में जन्मे धनपतराय कल्ला एक स्वतंत्रता सेनानी थे. इसके अलावा मास्टर भंवरलाल मेघवाल राजस्थान में शिक्षा मंत्री भी रह चुके है.