Lakheri, Keshoraipatan: देश मे सीमेंट उद्योग की रीड़ माने जाने वाले ठेका श्रमिक वेतन के मामले मे लंबे समय से उपेक्षा का शिकार होते आ रहे है. स्थाई कर्मचारियों की तरह सीमेंट उद्योग में काम करने वाले इन ठेका श्रमिकों को उद्योग न्यूनतम मजदूरी के स्लैब के माध्यम से देते हैं. जो उनके काम के अनुसार बहुत कम है. सीमेंट वर्कर फेडरेशन ठेका श्रमिकों की इस समस्या को लेकर प्रयासरत हैं कि ठेका श्रमिकों को समान काम समान वेतन का हक मिले.


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यह बात आल इंडिया सीमेंट वर्कर फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री देवराज सिंह ने लाखेरी मे श्रमिकों से संवाद करते हुए कही. वे दिल्ली से एक दिन की कार्यशाला मे श्रमिकों से उनकी समस्या पर चर्चा कर रहे थे. देवराज सिंह ने कहा कि सीमेंट उद्योग में जब से ठेका प्रथा का चलन बढ़ा है तब स्थाई कर्मचारियों की संख्या बहुत कम हो रही है. वर्तमान मे सीमेंट उद्योग में कार्यरत कुल मजदुरों के महज बीस प्रतिशत ही स्थाई कर्मचारी हैं, बाकी ठेका श्रमिकों से काम लिया जा रहा है. ये ठेका श्रमिक सीमेंट उद्योग में वे सभी काम करते हैं जिनको स्थाई कर्मचारियों से करवाना चाहिए. ऐसे मे ठेका श्रमिको को समान काम समान वेतन मिलना चाहिए.


सबसे चिंता इस बात की है कि राजस्थान मे मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी का स्लैब सबसे कम है. इसके चलते राज्य के सीमेंट उद्योग में काम करने वाले ठेका श्रमिकों को भी कम वेतन मिलता है. इसके साथ ठेका श्रमिकों को कार्य के अनुभव के आधार पर पदोन्नति से भी वंचित किया जा रहा है. इन समस्या को लेकर फेडरेशन लगातार सीमेंट उत्पादक संघ से वार्ता कर रहा है. हाल ही में चैन्नई मे इस दिशा में चर्चा हुई है. ठेका श्रमिकों को समान काम समान वेतन पर ठोस निर्णय नहीं होता है, तो फेडरेशन कोर्ट की शरण मे जाएगा. इस दौरान उन्होंने मजदुरो की समस्या सुनीं और लाखेरी प्रबंधन से बातचीत की. उन्होंने फैक्ट्री साइट का अवलोकन किया. इस दौरान लाखेरी कामगार संघ के अध्यक्ष कुमार आशुतोष और मजदुर संगठन के पदाधिकारी मौजुद रहे. 


Reporter- Sandeep Vyas