Chittorgarh: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में बोराव अस्पताल में संवेदनहीनत मामला सामने आया है, जिसमें प्रग्नेंसी के दर्द से तड़पती एक आदिवासी गर्भवती महिला को समय रहते इलाज नहीं मिल सका और अस्पताल की गैलरी में प्रसव हो जाने से नवजात की मौत हो गई.


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साथ ही बोराव ग्राम पंचायत के कोठारीकुआं गांव के रहने वाले नारायण भील ने बताया कि बोराव अस्पताल पहुंचने पर नर्सिंग स्टॉफ ने उसकी पत्नी को ढंग से देखा तक नहीं और बगैर रैफर कार्ड बनाए भेज दिया. इस दौरान परिजनों ने एम्बूलेंस दिलवाने की मांग की तो वो भी उपलब्ध नहीं करवाई.


ऐसे में भील आदिवासी परिवार के लोग महिला को किराए की गाड़ी से रावतभाटा उपजिला अस्पताल लेकर गए. यहां वार्ड में प्रवेश करते समय बीच रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया और महिला जमीन पर पड़े नवजात पर गिर पड़ी, जिससे बच्चे की मौत हो गई. परिजनों के अनुसार वो गर्भवती महिला को लेकर दोपहर 3 बजे बोराव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गए थे. महिला नसिंग स्टॉफ ने बताया कि डॉक्टर जयप्रकाश छूट्टी पर है.


बता दें कि परिजनों का आरोप है कि अस्पताल बंद होने का टाइम नजदिक था. ऐसे में महिला नर्सिंग कर्मी और सफाई कर्मचारी अस्पताल के ताला लगाने की तैयारी में थे, जिसके चलते उन्होंने गर्भवती महिला को बगैर ढंग से देखे बेगूं अस्पताल ले जाने को कह दिया. वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रैफर कार्ड भी नहीं बनाया. एंबूलेंस मांगी वो भी उपलब्ध नहीं करवाई, जिसके चलते गरीब परिवार को पर 14 सौ रूपए में किराए की गाड़ी से महिला को रावतभाटा उपजिला अस्पताल ले जाना पड़ा.


ईधर, जहां इस मामलें में बोराव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम एम्मारम्मा का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टर जयप्रकाश छुट्टी पर थे. गर्भवती महिला की प्री मेच्योर डिलिवरी के कारण समय बचाने के लिए उसे जल्द से जल्द बेगूं अस्पताल भेजना जरूरी था. परिजन निजी गाड़ी लाए थे. बेगूं में गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर अवेलेबल है. महिला को जल्द से जल्द अच्छा इलाज मिल सके, इस वजह से एम्बुलेंस बुलाने या रेफर कार्ड बनाने में समय गवाना उचित नहीं जरुरी समझा और परिजनों को भेज दिया.


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