Nimbahera: बिनोता के प्रसिद्ध स्थल खाकलदेव मंदिर धर्मशाला मेंव्यसन के दुष्परिणाम और समाधान विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. डॉक्टर हीरा लाल लुहार अनिल भारद्वाज ने बताया कि कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर ताराशंकर शर्मा, कुलपति श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय कल्याण नगरी, मुख्य अतिथि खाकलदेव सेवा समिति, अध्यक्ष गजराज सिंह शक्तावत और विशिष्ठ अतिथि चेयर पर्सन कैलाशचंन्द्र मूंदडा, डॉ मृत्युञ्जय तिवारी, डॉ बी मुकुंद भट्ट, जगदीशचन्द्र त्रिपाठी रहे. मुख्यवक्ता डॉ लोकेश चौधरी रहे. व्यसन मुक्ति के लिए समाज के प्रत्येक जागरूक नागरिक को जुड़ना होगा. इस मुहिम से संगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती पूजन के साथ हुआ.


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व्यसन करने वाले का कोई जीवन नहीं होता, न तो सामाजिक ना व्यक्तिगत वह प्रत्यक्ष क्षेत्र से हताशा भरा जीवन जीता है. वह अलग बात है कि जब नशा करता है तो उसको लगता है कि अपना सामाजिक स्तर सुधारने के लिए वह ऐसा कर रहा है. उपयुक्त बाते कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय, श्री खाकलदेव विकास सेवा समिति और राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में बतौर अध्यक्ष प्रो ताराशंकर शर्मा कुलपति वैदिक विश्वविद्यालय से बोल रहे थे. मुख्य वक्ता योग विभाग से डॉ. लोकेश चौधरी ने कहा कि सभी व्यसन व्यक्ति और प्रत्यक्ष रूपेण हानिकारक है लेकिन धूम्रपान करने वालों के साथ रहने वालों पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है. 


हॅाल ही में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सिगरेट पीने वालों के परिवारजनों को फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका सात गुना अधिक है. इसलिए समझा जा सकता है कि सिगरेट पीने वाले परिवार के मुखिया द्वारा परिवार के सदस्यों और बच्चों का जीवन किस प्रकार खतरे में डाला जा रहा है. धूम्रपान के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष फायदे एक भी नहीं है, जबकि उसके द्वारा होने वाले शारीरिक नुकसान की फेहरिस्त काफी लंबी है. ब्रांकाइटिस, एसीडिटी, फेफड़ों का कैंसर, आमाशय का कैंसर, मूत्राशय का कैंसर, बर्जर रोग (पैरों की मध्यम और छोटी धमनियों में अवरुद्धता) जैसे गंभीर रोग शरीर में घर कर जाते है. 


व्यसन के समाधान को लेकर आयुर्वेद चिकित्साधिकारी विशिष्ट अतिथि डॉ बी मुकुंद भट्ट ने कहा कि तंबाकू, जर्दा और सुपारी चबाने से मुख के कैंसर के होने का रास्ता आसान हो जाता है. जबड़े अथवा गले का कैंसर रोगी को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ देता है. इसके अलावा पारिवारिक और सामाजिक जीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाता है. मुख्य अतिथि पूर्व उप प्रधान गजराज शाक्तावत ने कहा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि युवाओं को नशे की लत से रोके, किसी के माता-पिता को यदि कोई सूचना दे कि आपका बालक गलत रास्ते पर है तो उसका प्रतिकार करने की बजाय अपने बालक को सजग करें. 


जयपुर से पधारे सारस्वत अतिथि प्रो जगदीश त्रिपाठी ने कहा कि समाज में नशा एक जहर की तरह फैल रहा है, इससे संपूर्ण विश्व ग्रसित है. इसका समाधान लोगों की जागरूकता और शिक्षा दीक्षा से है. कार्यक्रम के संरक्षक विश्वविद्यालय चेयर पर्सन कैलाश चंद्र मूंदड़ा ने केवल भाषण से काम नहीं चलेगा, इसका व्यवहारिक तरीके से प्रतिकार करना होगा. कहते हुए सभा में उपस्थित कुछ युवाओं और बुजुर्गों को तत्काल प्रभाव से ठाकुर श्री और खाकालदेव भगवान का संकल्प दिलाकर मादक पदार्थों की डिब्बियां और पैकेट फेंकवा दिया. 


कई प्रकार के उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने जनजागृति कराई, उन्होंने कहा श्री कल्लाजी वेदपीठ और शोध संस्थान द्वारा आज तक दस हजार से अधिक लोगों को व्यसन से मुक्त किया है और आगे भी वैदिक विश्वविद्यालय के साथ मिलकर हम मुहिम चलाते रहेंगे. प्रारंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए ज्योतिष विभागाध्यक्ष और संगोष्ठी संयोजक डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने कहा कि संस्कृत संस्कार सिखाती है और संस्कार हीनता से ही व्यक्ति व्यसन की ओर प्रवृत्त होता है. इसीलिए वैदिक विश्वविद्यालय का दायित्व है कि समाज से कुरीति, भ्रम, व्यसन आदि को दूर करने के लिए लोगों को जागरूक बनाए. 


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निंबाहेडा वासियों के लिए गौरव होना चाहिए कि वैदिक विश्वविद्यालय यहां पर जिन मूल उद्देश्यों के साथ स्थापित है, उसमें प्रवृत्त होकर कार्य भी कर रहा है. इसीलिए समाज के प्रत्येक वर्ग को आकार इस पुनीत कार्य में सहयोग देना चाहिए, क्योंकि स्वस्थ्य समाज से ही स्वस्थ्य राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है. वैदिक विश्वविद्यालय में आधुनिक विषय की शिक्षा भी दी जाती है, जिसमें हिंदी अंग्रेजी इतिहास आदि पढ़ाए जा रहे है. 


आयुषदान चारण, गोपालदान चारण ने नशा मुक्ति पर प्रेरक अभिव्यक्ति दी. सञ्चालन समन्वयक डॉ हीरालाल लुहार हिन्द ने किया है. इस संगोष्ठी कार्यक्रम में कैलाश दुबे, जसवन्त डोषी, शिक्षक संघ के शाखाध्यक्ष गोपाल व्यास, मनोहरलाल गर्ग, गोपाल तिवाडी, अनिल शर्मा पन्नालाल लखारा, प्रहलाद प्रजापत, रमेश लखारा, वर्धमान जैन, उपसरपंच हार्दिक भीमावत, नंदकिशोर पाराशर, धनराज कुमावत, त्रतिक सोनी, बद्री भारद्वाज, राकेश भारद्वाज, गोपाल डोराया, सुरेश वैष्णव, हिम्मतसिंह, सहित गांव और नगर के गणमान्य सदस्यों की उपस्थिति रहे. शांतिपाठ के द्वारा संगोष्ठी का समापन हुआ और धन्यवाद संगोष्ठी संयोजक डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने जताया है.


Reporter: Deepak Vyas


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