चुरू-बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सुबह जहां घरों में पूजा अर्चना का आयोजन हुआ.वहीं शाम को बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया गया.वहीं रतनगढ़ में स्थित रेलवे रामलीला समिति द्वारा गत 73 वर्षों से आयोजित हो रही लीला के तहत 75 फुट ऊंचे पुतले का दहन किया गया. इस पुतला दहन को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ यहां एकत्रित होती है. यहाँ पर शहर ही नही आस पास के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोग रावण दहन देखने के लिए आते हैं.
वहीं रतनगढ में प्रशासन द्वारा आचार संहिता की पालना करते हुए स्टेडियम में 51 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया. SDM डॉ अभिलाषा एवंCI सुभाष बिजारणियां ने पुतले का दहन किया. इस दौरान 31 फुट ऊंचे कुंभकर्ण एवं मेघनाद के पुतले का भी दहन हुआ. पुतला दहन से पूर्व आतिशबाजी का आयोजन हुआ तथा झांकियों की प्रस्तुति दी गई.वहीं सुरक्षा की दृष्टि से दोनों ही स्थानों पर पुलिस जाब्ता तैनात रहा.


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शस्त्र पुजन 
देशभर में अलग-अलग जगह रावण दहन होता है और हर जगह की परंपराएं बिल्कुल अलग हैं। इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है. आज के ही दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, जिसे अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं


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