पूर्व राज्यसभा सांसद पर 40 बीघा भूमि हड़पने का आरोप,मामला दर्ज होने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
पूर्व राज्यसभा सांसद पर 40 बीघा भूमि हड़पने का आरोप लगाया गया है. मामला दर्ज होने के बाद भी अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
Dungarpur: डूंगरपुर शहर निवासी एक परिवार पूर्व राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह द्वारा 40 बीघा भूमि हड़पने के मामले में न्याय के लिए भटकने को मजबूर है. एक साल पहले कोर्ट के इस्तगासे पर कोतवाली थाने में पूर्व राज्यसभा सांसद के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने से परेशान पीड़ित परिवार ने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर पूर्व राज्यसभा सांसद व पुलिस और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया.
न्याय नहीं मिलने पर पीड़ित ने अब आत्मदाह की धमकी दी है. डूंगरपुर शहर निवासी पीड़ित सलीम ने बताया कि वर्ष 1965 में डूंगरपुर महारावल के सेकेट्री अम्बालाल पटेल से उनके पिता पीरवक्ष मेवाफरोश ने 40 बीघा जमीन खरीदी थी और 1985 को उपपंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री भी करवाई थी, लेकिन सीलिंग एक्ट लागू होने के बाद उनकी जमीन बिलानाम हो गई थी जिसके चलते प्रार्थी का नाम राजस्व रिकॉर्ड में अंकित नहीं हो सका था.
इसके बाद प्रार्थी ने डूंगरपुर एसडीएम कोर्ट में खातेदारी हक के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें 13 फरवरी 2001 को लेंड होल्डर डूंगरपुर तहसीलदार द्वारा राजकीय भूमि बताने पर डूंगरपुर एसडीएम ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था, जिसके बाद प्रार्थी ने राजस्व अपील अधिकारी डूंगरपुर के समक्ष अपील की थी. जिसमें 14 अगस्त 2001 को राजस्व अपील अधिकारी ने डूंगरपुर एसडीएम कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए रजिस्ट्रेड दस्तावेजों के आधार पर प्रार्थी को हिस्सेदार काश्तकार घोषित किया था.
इस निर्णय के बाद डूंगरपुर तहसीलदार के राजस्व मंडल अजमेर में अपील की थी, जिसमें राजस्व मंडल अजमेर ने तहसीलदार की अपील को खारिज कर दिया था.जिसके बाद प्रार्थी ने 5 जुलाई 2004 को नामान्तरण खोलने के लिए डूंगरपुर तहसीलदार को प्रार्थना पत्र पेश किया था, लेकिन रेवेन्यु बोर्ड में मामला लंबित होने का हवाला देते हुए तहसीलदार ने नामान्तरण नहीं खोला था. इस बीच 13 जून 2017 को राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह ने अपने प्रभाव से कूट रचित दस्तावेज तैयार कर तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव से मिलीभगत कर उक्त 40 बीघा जमीन का नामान्तरण अपने नाम खुलवा लिया था.
जिसके बाद पीड़ित सलीम ने सितम्बर 2021 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस्तागासा दिया था. उसी इस्तगासे पर कोतवाली थाना पुलिस ने 29 सितम्बर 2021 को राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह और तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. इधर मामला दर्ज हुए एक साल से अधिक का समय बीत गया है लेकिन मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही पीड़ित को अभी तक न्याय मिला है.
इधर पीड़ित परिवार ने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर अपना विरोध जताया. पीड़ित का कहना है कि इस मामले में उसने संभागीय आयुक्त, एसीबी, अल्पसंख्यक आयोग, राजस्व बोर्ड अजमेर को भी शिकायत की उसके बाद इन सभी ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन जिला प्रशासन ने आज तक इन सभी को कोई रिपोर्ट पेश नहीं की. जिससे जिला प्रशासन की पूर्व राज्यसभा सांसद से मिलीभगत उजागर करता है. इधर पीड़ित सलीम ने धरने के बाद जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर न्याय दिलाने की मांग की है. वहीं न्याय नहीं मिलने पर पीड़ित सलीम ने आत्मदाह की चेतावनी दी है.
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