Jaipur:  कोविड 2.0 महामारी में राज्य के मेडिकल कॉलेज और इनसे संबद्ध अस्पतालों ने मेडिकल ऑक्सीजन को बचा पाने में बड़ी सफलता अर्जित की है. चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ने के साथ ही चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सूक्ष्म स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग शुरू कर दी थी.


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इसके लिए अस्पतालों में बेड टू बेड ऑडिट की गई और ऑक्सीजन की बर्बादी को रोकने के तमाम उपाय अपनाए गए. उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के तहत ही पिछले 5 दिन में राज्य के मेडिकल कॉलेज 15 प्रतिशत तक ऑक्सीजन बचा पाने में कामयाब रहे हैं.


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गालरिया के मुताबिक, अब मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत घटकर 2.5 सिलेंडर प्रति मरीज प्रति दिन की रह गई है. प्रयास किए जा रहे हैं कि मेडिकल ऑक्सीजन की बर्बादी को पूरी तरह रोककर इसकी खपत को और ज्यादा तर्कसंगत बनाया जाए.


चिकित्सा शिक्षा सचिव ने कहा कि अप्रैल महीने में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी अत्यधिक बढ़ गई थी. राज्य सरकार ने इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए तमाम उपाय अपनाए. साथ ही, ऑक्सीजन को बचाने के लिए भी सूक्ष्म स्तर पर प्रयास किया गया क्योंकि बर्बादी से बचाई गई ऑक्सीजन भी इसका उत्पादन ही है. सभी हितधारकों के साथ नियमित बैठकें कर इस संदर्भ में आवश्यक कार्रवाई की गई.


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चिकित्सा शिक्षा सचिव ने सोमवार को भी निजी चिकित्सालयों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बैठक की. इस वीसी में गालरिया ने मेडिकल ऑक्सीजन की खपत को तर्कसंगत बनाने और इसकी लीकेज को रोकने के संदर्भ में आवश्यक निर्देश दिए.


उन्होंने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन मॉनिटरिंग टीम और ऑक्सीजन ऑडिट समितियों का गठन कर नियमित जांच की जाती रहनी चाहिए. गालरिया ने कहा कि जिला कलेक्टर चिकित्सा महाविद्यालयों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम का गठन करें, जो निजी अस्पतालों का दौरा कर मेडिकल ऑक्सीजन के अनुकूलतम उपयोग के संदर्भ में विचार करे.


उन्होंने कहा कि ये टीम इस दिशा में और किए जा सकने वाले सुझाव जिला कलेक्टर को प्रस्तुत कर सकती है. इस वीसी में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन पर भी चर्चा की.