Rajasthani girl: चीन के हांग्जो में हाल ही में आयोजित 19वें एशियन गेम्स में भारतीय ड्रेसाज टीम ने इक्वेस्ट्रियन (ड्रेसाज) में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस जीत में राजस्थान की दिव्यकृति सिंह चमकते सितारे के रूप में उभरी हैं. ड्रेसाज के इक्वेस्ट्रियन डिसिप्लिन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, दिव्यकृति सिंह के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने टीम को यह उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह उपलब्धि इंडियन इक्वेस्ट्रियन खेलों के लिए महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है, क्योंकि आखिरी बार देश ने एशियाई खेलों में ड्रेसाज में 1986 में कांस्य पदक जीता था. 


यह भी पढ़ेंः Rajasthan Election New Date: राजस्थान चुनाव में बड़ा बदलाव! अब 23 नहीं बल्कि 25 नवंबर को होगा मतदान, जानें नया संशोधन


भारत ने इक्वेस्ट्रियन में आखिरी बार स्वर्ण पदक 1982 में इवेटिंग में जीता था. 41 वर्ष बाद अब इक्वेस्ट्रियन में स्वर्ण पदक जीता है. इक्वेस्ट्रियन टीम में दिव्यकृति राजस्थान की एकमात्र एथलीट हैं. नागौर जिले के पीह मारवाड़ गांव की रहने वाली दिव्यकृति ने चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड और गल्फ देशों जैसे खेल महाशक्तियों सहित 12 देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच भारत को जीत दिलाने में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर दिया.


भारतीय ड्रेसाज टीम में दिव्यकृति सिंह के अलावा कोलकाता से अनुश अग्रवाल, इंदौर से सुदीप्ति हजेला और पुणे से हृदय छेदा भी शामिल हैं. दिव्यकृति की उपलब्धि को और भी विशेष बनाने वाली बात उनकी उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय किंग है.  इंटरनेशनल इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन (एफईआई) ग्लोबल ड्रेसाज रैंकिंग के अनुसार, वह वर्तमान में एशिया में नंबर एक और वैश्विक स्तर पर 14वें स्थान पर है. 


यह भी पढ़ेंः Rajasthan: सांचौर में देवजी पटेल का विरोध, फोड़े गाड़ी के शीशे, दिखाए काले झंडे


दिव्यकृति, जो कि मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल, अजमेर की पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने कहा कि एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करना और अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए ड्रेसाज में भारत के लिए पदक जीतने में योगदान देना मेरे लिए गर्व का क्षण है. एशियाई खेलों में प्रतिस्पर्धा करना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है और यह बहुत ही सुखद अनुभव था. इसके लिए में अपने घोड़ों, प्रशिक्षकों और इंडियन इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन की आभारी हूं. गौरतलब है कि इक्वेस्ट्रियन एकमात्र ऐसा डिसिप्लिन है, जहां पुरुष और महिलाएं एक साथ और एक- दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हैं. पुरुषों और महिलाओं के लिए कोई अलग श्रेणियां नहीं हैं.