Big news: भारतीय रेलवे देश में हजारों की संख्या में लोगों को नौकरी देता है. लेकिन हाल ही में एक खबर सामने आई. जिसमें ये बताया गया था कि सरकार ने रेलवे में 72 हजार जॉब खत्म कर दी है. अब इस बारे में राज्यसभा में सरकार ने जानकारी दी है.


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झारखंड से कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू ने राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा था जिसका सरकार ने जवाब दिया है. सांसद ने पूछा कि- क्या ये सच है कि भारतीय रेल ने पिछले 6 सालों में समूह ग और समूह घ श्रेणियों के लगभग 72 हजार पदों को खत्म कर दिया है. यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इसके कारण क्या है


रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का जवाब


इस सवाल पर राज्यसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया. रेल मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. पदों का युक्तीकरण आवधिक रुप से जनशक्ति की जरुरत के आधार पर किया जाता है. जनशक्ति योजना बनाने के लिए बदलते कार्यभार की स्थिति, नई प्रोद्योगिकियों के समावेश, कार्य प्रणाली नई परिसंपत्तियों के सृजन आदि के मद्देनजर स्वीकृत संख्या की निरंतर समीक्षा करने की आवश्यकता है. 


विभिन्न कार्यकलापों के लिए रेलवे में जनशक्ति के यौक्तिकरण के लिए नियमित रुप से कार्य अध्ययन किया जाता है. यह प्रक्रिया भारतीय रेलवे अपने मानव संसाधनों के अधिक कुशल और उत्पादक तरीके से उपयोग करने में सक्षम बनाती है. 


सासंद धीरज प्रसाद साहू ने पदों को समाप्त करने पर जवाब मांगने के साथ ये भी पूछा था कि क्या ये सच है कि रेल बोर्ड कर्मचारी-संघों से परामर्श किए बिना ही ऐसे आदेश जारी कर देता है.


दूसरे सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने संसद में बताया कि ऐसा सवाल ही नहीं उठता है. 


क्यों हुआ ये विवाद


हाल ही में ये खबर सामने आई थी कि पिछले 6 साल में भारतीय रेलवे ने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 72 हजार पदों को समाप्त कर लिया है. और  रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल को 82 हजार पद समाप्त करने का प्रस्ताव भी भेजा है. यानि कुल मिलाकर करीब डेढ़ लाख पदों पर अब कभी भर्ती नहीं होगी. इस खबर के सामने आने के बाद विपक्ष ने इसको लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की. हालांकि सरकार ने अब इस तरह के दावों को खारिज कर दिया है.


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