Chaksu: जैन धर्मावलंबियों के दशलक्षण महापर्व आरंभ हो गए है. जैन मंदिरों में अभिषेक, शान्ति धारा, दशलक्षण विधान पूजन के कार्यक्रम चल रहे हैं. उत्तम क्षमा धर्म का पूजन किया गया, कोट मोहल्ले में स्थित बड़ा मंदिर में आचार्य शशांक सागर जी महाराज द्वारा चातुर्मास किया जा रहा है. चातुर्मास आयोजन समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेंद्र छाबड़ा और मीडिया प्रभारी जगदीश नारायण जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि एक सप्ताह से आचार्य श्री शशांक सागर जी महाराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से कार्यक्रमों में उनका मार्गदर्शन कम मिल रहा है. 


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छाबड़ा ने महाराज श्री से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया कि मानव का जीवन में अहंकार का त्याग कर देना ही उत्तम मार्दव धर्म है, व्यक्ति की यह सोच कि ''सब मैं ही कर रहा हूं '', यह विचार ही अहंकार को जन्म देता है. अहंकार सभी तरह के विकारों का कारण बनता है, इसलिए जीवन में अहंकार का त्याग करते हुए विनम्रता ग्रहण करनी चाहिए, यही उत्तम मार्दव धर्म है. 


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महाराज श्री ने उत्तम क्षमा धर्म के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि धर्म पर चलने की प्रथम सीढी ही जीवन में सदैव क्षमा भाव रखना है. जीवन में क्रोध के भाव का त्याग करना ही उत्तम क्षमा धर्म है. जीवन को सुखी सरल और प्रभावशाली बनाना है तो इससे मानव का जीवन हमेशा सच्चाई के पथ पर चलता रहता है. क्षमा भाव का पालन करें. चाकसू के सभी जिनालयों में नियमित रूप से अभिषेक शान्ति धारा, दशलक्षण विधान पूजन आदि के साथ अन्य धार्मिक आयोजन हो रहे हैं, आज उत्तम आर्जव धर्म की पूजा भी की जाएगी.


Reporter: Amit Yadav


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