Ex CM Mohanlal Sukhadia: राजस्थान को वो मुख्यमंत्री जो इंटरकास्ट मैरिज कर बना हीरो, विरोधी भी हुए मुरीद
Ex CM Mohanlal Sukhadia : मोहनलाल सुखाड़िया ने 23 साल की उम्र में इंटरकास्ट विवाह किया. शादी के बाद मोहनलाल युवाओं के हीरो और चहते बन गए. इसके बाद युवाओं को हुजूम उमड़ पड़ा और मोहन भइया जिंदाबाद के नारे लगे.
Rajasthan Election 2023, Ex CM Mohanlal Sukhadia : राजस्थान में 25 नवंबर को 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. ऐसे में इस ऐतिहासिक राज्य मरूधरा की राजनीति के बारे में कुछ बातें जानना बेहद जरूरी हैं. राजस्थान का गठन 30 मार्च 1949 को भारत के सातवें राज्य के रूप में हुआ था. अब राज्य में कुल जिलों की संख्या 33 से बढ़कर 52 हो गई है. राजस्थान में अब तक 14 मुख्यमंत्री हुए हैं, जिनमें मोहन लाल सुखाड़िया सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बने. सुखाड़िया चार बार राजस्थान की सत्ता की कुर्सी पर काबिज हुए.
सुखाड़िया चर्चित क्रिकेटर के बेटे थे
मोहनलाल सुखाड़िया का जन्म 31 जुलाई 1916 को राजस्थान के झालावाड़ में हुआ. वहीं उनका परिवार मूलरूप से गुजरात के सूरत का रहने वाला था. पिता पुरुषोत्तम दास सुखाड़िया चर्चित क्रिकेटर थे और मुंबई और सौराष्ट्र टीम के लिए खेला करते थे.
पिता पुरुषोत्तम दास सुखाड़िया के निधन के बाद मोहनलाल ने मुंबई से पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा किया. इसी दौरान वे कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर राजनीति में रूचि दिखाई. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उदयपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली, लेकिन वहां सामान की बिक्री कम होती और राजनीतिक जमावड़ा और पॉलीटिकल गपशप ज्यादा. इसका असर ये हुआ कि जल्द ही उन्होंने राजनीति में कदम रखा. शुरुआत में उदयपुर और नाथद्वारा में प्रजामंडल आंदोलन में हिस्सा लेकर अपनी ताकत दिखाई.
इंटरकास्ट मैरेज के विरोध में पूरा शहर बंद रहा
मोहनलाल सुखाड़िया ने 23 साल की उम्र में इंटरकास्ट विवाह किया. इस आंदोलन में भाग लेने के दौरान ही इनका प्यार परवान चढ़ा. जहां इनकी मुलाकात आर्य समाज परिवार से आने वाली इंदुबाला से हुई. दोनों का प्यार पनपा और फिर इजहार के बाद शादी करने का मन बनाया. लेकिन ये इतना आसान नहीं था. अब समस्या ये थी कि मोहनलाल जैन परिवार से थे, जहां सभी कट्टर वैष्णव थे. छुआ-छूत इस कदर थी कि जब मोहनलाल या फिर घर का कोई अन्य सदस्य खाना खाने बैठता तो उसकी थाली में रोटियां ऊपर से गिराकर दी जाती थीं.
ऐसे में अंतरजातीय विवाह नामुमकिन था. परिवार को शादी के लिए राजी करना मुश्किल था. आखिरकार एक जून, 1938 को मोहनलाल और इंदु ने ब्यावर के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली.
इस शादी की खबर घर पहुंची तो मोहनलाल की मां, महंत और पूरा नाथद्वारा के लोग नाराज हो गये. नाराजगी ऐसी की शादी के विरोध में अगले दिन पूरा नाथद्वारा बंद कर विरोध जताया, लेकिन इस शादी के बाद मोहनलाल युवाओं के हीरो और चहते बन गए. इसके बाद युवाओं को हुजूम उमड़ पड़ा और मोहन भइया जिंदाबाद के नारे लगे.
मोहनलाल सुखाड़िया का राजनीतिक कद था बड़ा
13 नवंबर 1954 को मोहनलाल सुखाड़िया राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री बने थे, 1952 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद टीकाराम पालीवाल मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद जयनारायण व्यास को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया था.
38 वर्ष की उम्र में सीएम पद की ली शपथ
मोहनलाल सुखाड़िया जब राजनीति में कदम रखे तो कई जमे जमाए दिग्गजों की छुट्टी कर दी. सुखाड़िया कम उम्र में राजनीति के दांव पेच समझ लिया था. इसी का नतीजा था कि वे कम उम्र में मुख्यमंत्री बने और 17 साल तक राज्य के मुखिया रिकॉर्ड कायम किया.
मोहनलाल सुखाड़िया का राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि नेहरू और इंदिरा भी उन्हें किनारे नहीं कर सके. ये ऐसा नेता थे जो पैदल ही रास्ते नाप लिया करते थे. खेतों में जाकर किसानों से मिलना और कार में सफर के दौरान फाइलों का काम निपटाना इनकी आदत ही इन्हें पहचान और ख्याति दिलाई. जहां भूख लगती, वहीं दरी बिछाकर लोगों के साथ मिलकर खाना खा लेते थे.
उनकी राजनीति करियर से लेकर सियासी कद जितना बड़ा रहा, उनके उपनाम का किस्सा ही उतना दिलचस्प है. मोहनलाल लाल 'सुखाड़िया' टाईटल सुखाड़िया' की भी कहानी के पीछे की कहानी गुजरात से है. कहा जाता है कि गुजरात की प्रसिद्ध मिठाई सुखड़ी बनाने वाले परिवार से उनका नाता था.
सुखड़ी मिठाई के नाम पर पड़ा ‘सुखाड़िया’
जिसकी वजह से इनका उपनाम ‘सुखाड़िया’ पड़ा. दरअसल, गुजरात का एक प्रसिद्ध घरेलू मिष्ठान सुखड़ी है जो देशी घी, भुने हुए आटे और गुड़ से तैयार कर बर्फी मिठाई बनाई जाती है. सुखड़ी मिठाई से बना ‘सुखाड़िया’ उपनाम यानी सरनेम मुख्यतः गुजरात और महाराष्ट्र में ये कम्यूनिटी पाई जाती है. ये परिवार जो इस मिठाई को तैयार करते है ये उनका व्यवसाय है, उन्हें ही गुजरात में ‘सुखाड़िया’ कहा गया.
प्रदेश में अब तक सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के नाम है. सुखाड़िया राजस्थान में सबसे ज्यादा समय 6,038 दिन सीएम रहे थे. अपने चार बार के कार्यकाल में सुखाड़िया कुल 17 साल यानी कुल 6,038 दिन सीएम रहे. 17 साल तक राजस्थान की कमान संभालने वाले मोहन लाल सुखाडिय़ा महज 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे.
17 साल बेमिसाल सरकार चलाई
राजस्थान के गठन के बाद जब पहली बार जब इलेक्शन हुए तो जयनारायण व्यास सीएम निर्वाचित हुए. अभी इनके कार्यकाल सफर ढाई साल ही बीता था और नवंबर, 1954 में विधायकों ने बगावत कर दी और उन्हें पद से आखिरकार हटना पड़ा.
इस स्थिति में जवाहर लाल नेहरू ने पर्यवेक्षक के रूप में बलवंत राय मेहता जयपुर के लिए रवाना किया. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसका निर्णय लेना था इसके लिए वोटिंग कराई गई.
एक तरफ नेहरू खेमे के चहेते जयनारायण व्यास थे तो दूसरी तरफ 38 साल का युवा विधायक मोहन लाल सुखाड़िया. अब नतीजे की बारी थी. इस नतीजे पर सबकी निगाहें टिकी थी. नतीजा आया तो सब हैरान रह गए. जयनारायण व्यास के पक्ष में 51 विधायक थे और युवा विधायक के पक्ष में 59 विधायक. इसी के साथ राजस्थान को नया CM मोहन लाल सुखाड़िया के रूप में मिल गया. 13 नवंबर, 1954 को मोहन लाल सुखाड़िया ने 38 वर्ष की उम्र में सीएम पद की शपथ ली और अगले 17 साल बेमिसाल सरकार चलाई.