Nawalgarh ke Rajbhog: दिवाली के त्योहार पर मिठाइयों का जिक्र होता हैं तो हर झुंझुनूं जिले के हर कस्बे में बनने वाले प्रसिद्ध व्यंजनों का जिक्र होने लगता हैं. जिले का हर कस्बा अलग अलग मिठाई के लिए अपनी पहचान रखता है. कोई पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है तो कोई सिकाई वाले राजभोग के लिए. कहीं पर दूध वाली घेवर बनती हैं तो कहीं पर जलेबी. यानी हर कस्बे में स्वाद का अलग रंग है. ऐसे ही नवलगढ़ कस्बा सिकाई के राजभोग के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. यहां करीब 80 साल पहले सिकाई के राजभोग बनाने की शुरुआत की गई थी.


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देश में पहली बार राजभोग की सिकाई करने की शुरुआत नवलगढ़ से हुई थी. नवलगढ़ के मिंतर चौक में एक छोटी सी गली में छोटी सी दुकान में करीब 80 वर्ष पहले भगवानजी सैनी ने यह कारोबार शुरू किया था. उनकी दुकान इतनी प्रसिद्ध हुई कि उस गली का ही नाम भगवानजी की गली पड़ गया. आज उनकी चौथी पीढ़ी यह काम संभाल रही है. पार्सल सुविधा के कारण भगवानजी का शिकाई वाला राजभोग देश के कोने-कोने में पहुंच रहा है. गिरधारीलाल सैनी बताते हैं कि उनके यहां शुरुआत से ही देशी गाय के दूध से राजभोग तैयार किए जाते हैं. इसके लिए गांवों से दूध लेकर आने वाले दूधियों से कॉन्टैक्ट कर रखा है.


उन्हें देशी गाय का दूध ही लाने की हिदायत दे रखी है. कभी कभार मिलावटी दूध लाने पर उसे गर्म करते ही पता चल जाता है. इसलिए दूधिये बिना मिलावट का ही दूध लाते हैं. एक लीटर दूध से करीब 6 पीस तैयार हो जाते हैं. इसके लिए दूध को गर्म कर छैन्ना तैयार किया जाता है और फिर छैन्ने से राजभोग बनाते हैं. राजभोग की गर्म चीनी में सिकाई की जाती है. कोई कलर नहीं दिया जाता. इसलिए इसका स्वाद सबसे अलग है. दिवाली पर मिठाइयों में सबसे ज्यादा डिमांड सिकाई के राजभोग की होने के कारण लगातार कारीगर सिकाई का राजभोग बनाने में जुटे हुए हैं.


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