Rajasthan News: दिवाली के त्योहार का हिंदू धर्म में काफी महत्व है और इस दिन को लेकर सभी लोगों में खासा उत्साह देखा जाता है. हर भारतवासी को दीपावली के त्यौहार का इंतजार रहता है, क्योंकि ये दिन उनकी आस्था से जुड़ा है. भगवान राम चौदह वर्षों के वनवास के बाद रावण का वध कर जब अयोध्या लौटे थे, तो पूरी अयोध्या नगरी को मिट्टी के दीये से सजाया गया था. तब से मिट्टी के दीपक को शुभ माना जाता है. मिट्टी के दीपक पर ये खास रिपोर्ट


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आमेर क्राफ्ट विलेज आमेर किले के पास स्थित है और जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर है जो परंपरा और आधुनिकता का संगम है, जहाँ कारीगर अपनी सदियों पुरानी कला को जीवित रखे हुए हैं और सालों से चली आ रही उनकी परंपरा और कला है. "मिट्टी के दीपक" शास्त्रों में मिट्टी के दीपक को तेज, शौर्य और पराक्रम का प्रतीक माना गया है. ये दीपक की खरिद खास तौर पर दिवाली के त्योहार पर होती है, जो इनके लिए एक खास और सीजन का समय होता है. ये दीपक तैयार करने के लिए मिट्टी से दीपक का आकार देने में इन कारीगरों को दिन रात मेहनत करनी पड़ती है. वहीं दिवाली की तैयार ये काफी समय पहले से ही शुरू कर देते है. दिवाली पर मिट्टी से बने दीपक जलाना शुभ माना जाता है.



कुम्हार पॉटरी व्हील पर दीपकों को विभिन्न आकार और डिजाइन में ढालते हैं, जिसके लिए पहले मिट्टी को गूंधते है और फिर उन्हें आकर दी जाती है. तैयार दीपकों को धूप में सुखाकर भट्टी में पकाया जाता है, जिससे वे मजबूत और टिकाऊ बनते हैं. पकाए गए दीपकों पर रंग और कलर किया जाता है, जिससे वो और भी सुंदर लगे. यहां पर अलग-अलग तरह के दीपक बनते है. साधारण छोटे दीपक, जिनमें तेल और रुई की बत्ती रखी जाती है. ये पूजा और घर के प्रवेशद्वार पर लगाने के लिए बनाए जाते हैं. ये दीये मुख्य रूप से घर के आँगन, बालकनी, या पूजा कक्ष की सजावट के लिए होते हैं औऱ बडे़ दीपक जिन्हे विशेष लक्ष्मी जी की पूजे के समय जलाया जाता है. 



दिवाली के समय यहां के कुम्हार स्थानीय बाजारों और मेलों में दीपक बेचते हैं. कई कारीगर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भी दीपकों की बिक्री कर रहे हैं. जिससे उनकी पहुँच देश और विदेश तक हो रही है. वहीं इको-फ्रेंडली उत्पादों की बढ़ती मांग ने इन्हें खास तौर पर पसंदीदा बना दिया है. इसे पर्यटन को बढ़ावा देने और यहां के कारीगरों को के लिए क्राफ्ट विलेज का सौंदर्यीकरण किया गया जिसका उद्घाटन 5 फरवरी को उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने वर्चुअली किया, तब से ये स्थान पर्यटकों को काफी पसंद आता है और हमारी परंपरा को लेकर उनका अनुभव बढ़ाने में भी मदद करता है. आमेर का ये क्राफ्ट विलेज ना केवल पर्यटकों के लिए एक सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि स्थानीय शिल्पकारों के लिए एक आर्थिक अवसर भी उत्पन्न करता है.



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