ERCP को लेकर भाजपा ने जानबूझकर गलत तथ्य पेश किए-गोविंद सिंह डोटासरा
डोटासरा ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ( ERCP) को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के एक प्रेस नोट जारी किया है. इस बैठक में भाजपा नेता राजेंद्र राठौर ने ERCP के तकनीकी पहलुओं पर जानकारी मांगी.
Jaipur: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ( ERCP) पर सर्वदलीय बैठक के बाद भाजपा की ओर से जारी प्रेस नोट पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि ERCP पर सर्वदलीय बैठक के बाद भाजपा ने जानबूझकर गलत तथ्य पेश किया और फिर इस परियोजना पर राजनीति की है, जबकि इस बैठक में उन्हें हर तकनीकी बिंदु पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई गई थी.
डोटासरा ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ( ERCP) को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के एक प्रेस नोट जारी किया है. इस बैठक में भाजपा नेता राजेंद्र राठौर ने ERCP के तकनीकी पहलुओं पर जानकारी मांगी.
बैठक में उन्हें सभी आक्षेपों एवं तकनीकी पहलुओं पर जानकारी उपलब्ध करवाई गई, लेकिन बैठक के बाद भाजपा नेताओं के जारी प्रेस नोट में इन तथ्यों की जानकारी नहीं दी गई है. यह आश्चर्य की बात है कि इस बैठक में बार-बार ERCP को गैर-राजनीतिक मुद्दा बताने वाले राजेंद्र राठौर ने उक्त तत्वों को छिपाते हुए प्रेस नोट जारी किया.
डोटासरा ने कहा कि इस बैठक में बताया गया कि बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जारी सिंचाई एवं बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लिए जारी 2010 की गाइडलाइंस में 75% जल निर्भरता (वॉटर डिपेंडिबिलिटी) पर राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के कोई मापदंड नहीं है. परियोजना की DPR जलशक्ति मंत्रालय की 2010 में जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक ही बनाई गई है.
डोटासरा ने कहा कि इस प्रेस नोट में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के एक पत्र का उल्लेख किया है. राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के बीच हुए अंतर्राज्यीय जल समझौते के संबंध मे राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल की 13वीं बैठक जो 25 अगस्त 2005 को हुई थी, जिसमें निर्णय किया गया कि राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट से प्राप्त संपूर्ण पानी एवं दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10% प्रयोग कर योजना बना सकते हैं. साथ ही, ऐसी परियोजना का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य में नहीं होना चाहिए, जिसके लिए अन्य राज्य की अनापत्ति आवश्यक नहीं होने की बात भी उक्त निर्णय में कही गई है.
ERCP की DPR इस बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार ही बनाई गई है इसलिए इस परियोजना के लिए मध्य प्रदेश की अनापत्ति अपेक्षित नहीं है. मध्य प्रदेश ने अपने राज्य में इसी निर्णय के आधार पर नेवज नदी पर मोहनपुरा बांध एवं कालीसिंध नदी पर कुंडालीय बांध का निर्माण किया है एवं परियोजना के लिए बाह्य सहायता (एक्सर्टनल एजेंसी) के लोन के लिए जरूरी होने पर परियोजना पूरी होने के बाद राजस्थान से अनापत्ति ली. गौरतलब है कि काम पूरा होने के बाद की ये अनापत्ति पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा ही की गई थी.
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डोटासरा ने कहा कि भाजपा के जारी इस प्रेस नोट में 27 जून 2018 को राजस्थान-मध्य प्रदेश अन्तर्राज्यीय जल नियंत्रण मंडल की 12वीं बैठक का जिक्र किया गया है. तथ्य यह है कि इस मंडल की 12वीं बैठक 2005 में हुई थी. 27 जून 2018 को राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतर्राज्यीय जल नियंत्रण मंडल की कोई बैठक आयोजित नहीं हुई, जिसमें 75% जल निर्भरता का कोई फैसला हुआ हो.
डोटासरा ने कहा कि इस सर्वदलीय बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया शामिल नहीं हुए जबकि इन दोनों का विधानसभा क्षेत्र ERCP के जिलों में शामिल है. यह भाजपा नेताओं की ERCP के प्रति गंभीरता दिखाता है.
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