खुली हवा में सांस लेने में भी `मैरिट`, ओपन जेल में शिफ्टिंग का मामला
राज्य की जेलों में 22 हजार से ज्यादा कैदी बंद है. इनमें हत्या सहित विभिन्न अपराधों में सजा प्राप्त या अंडर ट्रायल कैदी शामिल हैं. इनमें भी ज्यादातर कैदी ऐसे हैं जो जाने अनजाने में हुए अपराध के कारण जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं, लेकिन वो अपने गुनाहों से तौबा कर रहे हैं.
Jaipur: पढ़ाई और नौकरी की तरह ही कैदियों को खुली हवा में सांस के लिए भी 'मैरिट' जरूरी है. जेलों में बंद कैदियों को खुली जेलों में शिफ्ट करना मैरिट के आधार पर ही तय होता है. हालांकि अब प्रदेश में कैदियों को खुली जेल में जाने के अधिक मौके मिल रहे हैं. दूसरी ओर जेल प्रशासन का दावा है कि इस साल तक सभी पात्र कैदियों को खुली जेलों में शिफ्ट कर दिया जाएगा.
राज्य की जेलों में 22 हजार से ज्यादा कैदी बंद है. इनमें हत्या सहित विभिन्न अपराधों में सजा प्राप्त या अंडर ट्रायल कैदी शामिल हैं. इनमें भी ज्यादातर कैदी ऐसे हैं जो जाने अनजाने में हुए अपराध के कारण जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं, लेकिन वो अपने गुनाहों से तौबा कर रहे हैं. ये कैदी जेल की ऊंची और बंद दीवारों से बाहर खुली हवा में सांस लेने के लिए तरस रहे हैं. ऐसे कैदियों को सजा का एक निश्चित पीरियड पूरा होने पर खुली जेल में भेजा जाता है.
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खुली जेल मतलब आजादी में सांस, परिवार के साथ जिंदगी
खुली जेल का मतलब ही आजादी के साथ सांस लेना, परिवार के साथ रहकर रोजगार करना है अर्थात कैदी खुली जेल में जाने के बाद परिवार के साथ रह सकते हैं, वहीं सुबह से शाम तक खुद का रोजगार, काम धंधा या नौकरी करते हैं. इस तरह सजा के दौरान ही बंदी समाज में मिल जाते हैं, वहीं सजा पूरी करने के बाद भी समाज के बीच आसानी से जीवन यापन कर सकते हैं. इसके लिए हर कैदी का सपना होता है कि वो खुली जेल में जाएं.
खुली जेल में जाने के लिए भी 'मैरिट'
खुली जेल में जाने के लिए कैदी की पात्रता तय है, लेकिन इसके बाद भी मैरिट के आधार पर ही तय होता है कि कौनसा कैदी खुली जेल में शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए कैदियों को इंतजार करना पड़ रहा है. अच्छे आचरण के साथ ही जिसकी सजा की अवधि ज्यादा काटी, वही पहले खुली जेल में शिफ्ट होने का पात्र.
खुली जेल में जाने के लिए यह जरूरी
जेल आईजी विक्रम सिंह बताते हैं कि बंदी सजा की एक तिहाई अवधि पूरा करने पर खुली जेल में जाने के योग्य हो जाता है. इसमें आचरण व अन्य दूसरे कारण भी शामिल है. उदाहरण के तौर पर आजीवन कारावास में 20 साल की सजा मानी जाती है, जिसमें 6 साल आठ महीने काटने पर योग्य होता है. इसी तरह 10 साल की कैद में तीन साल चार महीने की सजा तथा 6 साल की कैद पर 2 साल सजा कटाने पर खुली जेल का हकदार होता है.
इस साल अंत तक सभी पात्र कैदी खुली जेलों
आईजी जेल विक्रम सिंह कहा कहना है कि पहले आठ से दस साल तक की सजा पूरी करने वाले कैदियों का भी खुली जेल में नम्बर नहीं आता था, लेकिन वर्तमान डीजी जेल भूपेंद्र दक के प्रयासों से खुली जेलों की संख्या बढ़ी तो यह अवधि पहले छह साल तथा अब पांच साल तक सजा जिनकी पूरी हो चुकी है उन्हें ओपन कैम्प में भेजा जा रहा है. विक्रम सिंह कहते हैं कि इस साल अंत तक सभी योग्य कैदी खुली जेल में शिफ्ट किए जा सकेंगे.
ये कैदी नहीं ले सकते खुली हवा में सांस
जेलों में बंद कुछ कैदी ऐसे भी हैं, जो खुली हवा में सांस यानी खुली जेल में जाने के हकदार नहीं है. इनमें राष्ट्रद्रोह, एनडीपीएस एक्ट, विस्फोटक अधिनियम, टाडा, बलात्कार, लूट, पॉक्सो जैसे कई अन्य विशिष्ट अपराधों में सजायाफ्ता कैदियों को खुली जेल भेजने का प्रावधान नहीं है. इसी तरह 25 साल से कम और 60 साल से ज्यादा उम्र के कैदियों को भी नहीं भेजा जाता है.
अविवाहित पर लिया फैसला
पहले अविवाहित कैदी को भी पात्रता पूरी होने के बाद भी खुली जेल नहीं भेजा था था. वहीं दूसरे राज्य के निवासी कैदी जो राज्यों की जेलों बंद है, को भी नहीं भेज सकते थे. लेकिन पिछले दिनों सरकार ने मानवीय संवेदना दिखाते हुए इन दोनों श्रेणियों के कैदियों को खुली जेल में भेजने का निर्णय किया था.
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