जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बाद भी नर्सिंग ऑफिसर भर्ती में एनजीओ के जरिए संविदा पर कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर को अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं करने को लेकर चिकित्सा विभाग को फटकार लगाई है.  प्रमुख चिकित्सा सचिव व निदेशक और सीएमएचओ जयपुर-प्रथम व द्वितीय सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. अदालत ने उनसे पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश नरेन्द्र रैगर व अन्य की याचिका पर दिए.


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एकलपीठ ने चिकित्सा सचिव निदेशक और सीएमएचओ को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि नर्सिंग ऑफिसर को अभी तक अनुभव प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया गया. ये नियम के तहत कार्य किए हैं तो इनका हक बनता है कि इन्हें प्रमाण पत्र मिले. जस्टिस नरेंद्र सिंह ने बताया कि यह पूरा मामला अवमानना का बनता है. लिहाजा जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी किया जा रहा है. 


संविदा पर काम करने वाले नर्सिंग ऑफिसर को प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया


याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि चिकित्सा विभाग हाल ही में नर्सिंग अधिकारी की भर्ती निकाली है. इसमें चिकित्सा विभाग की विभिन्न योजनाओं में संविदा पर काम करने वाले नर्सिंग ऑफिसर को एक साल के लिए दस अंक व तीन साल के अधिकतम तीस बोनस अंक का लाभ दिया जा रहा है. प्रार्थी भी एनजीओ के जरिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें चिकित्सा अधिकारियों ने अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं किया.


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एकलपीठ ने जवाब तलब किया


जिस पर हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2022 को उनकी याचिका पर विभाग को उन्हें अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए थे, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी उन्हें अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए. ऐसे में अदालती आदेश की पालना कराई जाए और दोषी अफसरों को अवमानना के लिए दंडित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.


Reporter- mahesh pareek