Jaipur : कोरोना काल में कोई व्यक्ति भूखा ना सोए इसके लिए प्रदेश की सरकार ने लोक कल्याणकारी योजना इंदिरा रसोई का संचालन किया. इंदिरा रसोई (Indira Rasoi Yojna) के जरिए ही जरूरतमंद लोगों को भोजन दिया जा रहा है, लेकिन राजधानी जयपुर के चौमूं कस्बे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस योजना को गैर जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं. इंदिरा रसोई पर जरूरतमंद लोग भोजन  का इंतजार करते रहते हैं. घंटो तक इंतजार करने के बाद भी उन्हें भोजन नसीब नहीं होता. इधर नगर पालिका के कर्मचारी गली मोहल्लों में भोजन बांट कर वाहवाही लूटने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं. 


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आज दोपहर को भी इंदिरा रसोई पर मीडिया कर्मियों ने इंदिरा रसोई का रियलिटी चेक किया तो. करीब एक दर्जन मजदूर भोजन के लिए बाहर बैठे हुए मिले. जब मजदूरों से पूछा गया तो बोले पैसे होते तो हम कहीं भी भोजन खा लेते हैं लेकिन यहां हमें भोजन नहीं दिया जा रहा है.


मजदूरों ने लड़खड़ाती जुबान से अपनी पीड़ा जाहिर की. मजदूरों ने कहा कि बार बार बोलने के बाद भी टरकाया जा रहा है. भोजन नहीं दिया जा रहा. इंदिरा रसोई में मौजूद नगर पालिका के कर्मचारी नेमी चंद सैनी खुद कबूल रहे है सुबह जो भोजन के लिए फोन करता है उसे शाम तक भोजन दिया जाता है. कोई दोपहर बाद फोन करता है तो उसके लिए कोई भोजन की व्यवस्था नहीं होती है. इतना ही नहीं इंदिरा रसोई में रखी गोभी को देखकर तो होश उड़ गए. गोभी के फूल भी सड़े गले पड़े हैं, जिनमें कीड़े लगे हुए दिखाई दे रहे हैं. यानी सड़ी गली सब्जियां लाकर पकाकर केवल भोजन देने की खानापूर्ति की जा रही है.


लिहाजा ऐसे में इंदिरा रसोई की व्यवस्था पर सवाल खड़ा होना तो लाजमी है. हालांकि इस पूरे मामले को लेकर जब मीडिया कर्मी नगर पालिका पहुंचे तो ना अधिशासी अधिकारी ऋषभ ओला मिले और ना ही चेयरमैन विष्णु सैनी. अधिशासी अधिकारी से दूरभाष पर बात की तो मीटिंग में होने की बात कहकर फोन काट दिया. इधर यूडीएच मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने कहा था कि कोई भी लापरवाही करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब देखने वाली बात होगी की जिस तरह की लापरवाही चौमूं की इंदिरा रसोई में देखी गई है यहां क्या कार्रवाई होती है.


रिपोर्ट : प्रदीप सोनी 


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