Jaipur News: राजस्थान के व्यस्ततम जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर वाहन चालकों से सुरक्षित सफर के नाम पर करोड़ों रूपयों की टोल वसूले जा रहे हैं. जबकि धरातल पर सुविधाओं के नाम पर हकीकत उलट है. हाइवे पर आवारा पशु वाहन चालक व यात्रियों के लिए सिरदर्द बने हुए है. पेड़ों की कटाई करना और आवारा पशुओं को पकड़ने की जिम्मेदारी टोल प्रशासन और NHAI की होती है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं है.


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राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 का है मामला


नेशनल हाइवे पर पशुओं के झुंड मौत को दावत दे रहे हैं. NHAI प्रशासन के दावे ओर वादे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए है. हाइवे पर न ही पूर्ण रैलिंग सुविधा है और न ही सुरक्षित सड़क है. कहीं आवारा पशुओं का जमावड़ा है तो, कही सड़क पर आवारा मवेशी लड़ते व झगड़ते नजर आते हैं. सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात नहीं होने से वर्तमान में नेशनल हाईवे आवारा पशुओं का तबेला बनकर रह गया है.


चालकों को दुर्घटना का अंदेशा 


ऐसे में वाहन चालकों को हर समय दुर्घटना का अंदेशा रहता है. जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिन-रात आवारा पशुओं का जमावड़ा होने की वजह से सड़क से गुजरने वाले वाहन चालकों, राहगीरों व स्थानीय नागरिकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. आजकल नेशनल हाइवे पर आवारा मवेशी न केवल आराम फरमाते हैं, बल्कि टहलते व लड़ते हुए भी दिखाई देते है.


पशुओं के झुंड के झुंड बैठे रहते हैं


हाइवे पर पशुओं के झुंड बैठे रहने से रात में तेज स्पीड में चलने वाले वाहन चालक अचानक ब्रेक लगाते है, जिसके कारण वाहन चालकों को हादसे का शिकार होना पड़ता है. पूर्व में भी कई बार आवारा पशुओं की टक्कर से कई लोग घायल तो कई वाहन क्षतिग्रस्त हो चुके है. वहीं वाहन की टक्कर से कई मवेशियों की तो मौत भी हो चुकी है. एनएचआई प्रशासन के नाक के नीचे इतना सब कुछ होने के बाद भी अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोए हुए है.


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