Jaipur: मंदिरों से लेकर घर-घर हो रही भगवान गणेश की पूजा, ऑनलाइन हुए दर्शन
सभी मंदिर प्रबंधनों ने वेबसाइट के जरिए ई-दर्शन की व्यवस्था की गई और मंदिरों के बाहर पुलिस का पहरा भी नजर आया.
Jaipur: भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी शुक्रवार को रवियोग, स्वाति नक्षत्र सहित विशेष संयोगों में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. अलसुबह से बड़े मंदिरों के बाहर लगने वाला भक्तों का तांता इस बार भी नजर नहीं आया. मोतीडूंगरी गणेश मंदिर, गढ़ गणेश, नहर के गणेश, ध्वजाधीश गणेश मंदिर परिसर के बाहर सन्नाटा पसरा रहा. कोरोना (Corona) के चलते आम दर्शनार्थियों का प्रवेश निषेध रहा. मंदिर से कुछ मीटर की दूरी पर प्रथम पूज्य के हाथ जोड़ते हुए नजर आए.
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) पर घरों से लेकर मंदिरों तक रवियोग, रवियोग, स्वाति नक्षत्र सहित विशेष संयोगों में प्रथम पूज्य गजानन की पूजा हुई. पूरा शहर भगवान गणेश जी की भक्ति और अराधना में डूबा नजर आया. भगवान को मोदक का भोग लगाया गया. कोरोना संक्रमण के चलते मोतीडूंगरी गणेश मंदिर, गढ़ गणेश, नहर के गणेश मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ नदारद रही. लोग मंदिर से कुछ मीटर की दूरी पर प्रथम पूज्य के हाथ जोड़ते हुए नजर आए. मोतीडूंगरी गणेश मंदिर से चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती रही. घरों से ही भक्तों ने आनलाइन विघ्नहर्ता के दर्शन कर दिन का श्रीगणेश किया.
यह भी पढ़ेंः Ganesh Chaturthi के लिए बनी अनोखी मूर्ति, मूर्तिकार ने गणेश जी को दिया ये अद्भुत रूप
सभी मंदिर प्रबंधनों ने वेबसाइट के जरिए ई-दर्शन की व्यवस्था की गई और मंदिरों के बाहर पुलिस का पहरा भी नजर आया. मंदिरों में सभी कार्यक्रम बिना भक्तों की आवजाही के मंदिर महंत परिवार और पुजारियों के सान्निध्य में हुए. श्रद्धालुओं ने घरों में विराजित द्वारपाल गणेशजी का अभिषेक कर सिंदूरी चौला धारण कराकर गुड़धानी और मोदक का भोग लगाया और आरती उतारी. उधर ध्वजाधीश गणेश, श्वेत सिद्धि विनायक, बंगाली बाबा गणेश, परकोटे वाले गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेसिंग के साथ दर्शन किए. अलग-अलग मुहूर्त में घर—घर गणपति विराजमान किए गए. मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना और झांकी सजाई गई. वहीं घरों में विराजित द्वारपाल गणेशजी का अभिषेक कर भोग लगाया गया. इसी बीच मंदिरों में सुबह मंगला आरती की गई, दिनभर सभी झांकियां देखने लायक रही. इसके साथ ही अबूझ मुहूर्त होने से दिनभर बाजारों में ग्राहकों की रौनक भी नजर आई.
मोतीडूंगरी गणेश मंदिर (Motidungri Ganesh Temple) में जन्मोत्सव दर्शन की मंगला आरती से शुरुआत हुई. महंत कैलाश शर्मा के सान्निध्य में जन्मोत्सव दर्शन सुबह 5 बजे मंगला आरती से हुई. माणक-पन्ना युक्त सोने का मुकुट और नौलखा हार धारण किए गणेशजी चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया गया. विशेष गणपति पूजा दोपहर 12.24 बजे से हुआ. ब्रह्मपुरी स्थित दाहिनी सुंड वाले नहर के गणेशजी मंदिर में महंत जय शर्मा के सानिनध्य में गणपति को गोटा-पन्नियों से श्रृंगारित कर राजशाही पोशाक, रजत मुकुट और आभूषण धारण करवाए गए.
युवाचार्य पं.मानव शर्मा ने बताया कि गणपति का पंचामृत अभिषेक और महागणपति पूजन हुआ और कल ऋषि पंचमी महोत्सव मनाया जाएगा. गणेश पूजन समिति और नगर निगम की ओर से परकोटे के दरवाजों पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की गई. गढ़ गणेश मंदिर में महंत प्रदीप औदिच्य के सान्निध्य में पुरुषाकृति गणपति का अभिषेक हुआ. जौहरी बाजार केजीबी का रास्ता स्थित सिद्धि गणेश मंदिर में लड्डुओं का भोग लगाया गया. सागर रोड आमेर स्थित प्राचीन आंकड़ा गणेश मंदिर में में कार्यक्रम हुआ. चांदपोल स्थित परकोटे वाले गणेशजी मंदिर में पं.अमित शर्मा के सान्निध्य सोने का वर्क से चोला चढ़ाकर फूल बंगले की झांकी सजाई. सूरजपोल बाजार स्थित श्वेतसिद्धि विनायक मंदिर में महंत मोहनलाल शर्मा के सान्निध्य में भगवान का दुग्धाभिषेक हुआ. दोपहर में यज्ञ में आहुतियां देकर भगवान का अलौकिक शृंगार किया गया. गलता गेट स्थित गीता गायत्री गणेश मंदिर में पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में गणपति का पंचामृत अभिषेक कर नवीन सिंदूर का चोला चढ़ाया.
यह भी पढ़ेंः घर आएंगे गणपति, नहीं सजेंगे पंडाल, मोतीडूंगरी मंदिर में ऑनलाइन दर्शनों की व्यवस्था
रिद्धि-सिद्धि के दाता, प्रथम पूज्य, लोक मंगल के देवता, सुख संपदा और समृद्धि प्रदान करने वाले देवता भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव सेलिब्रेशन हो रहा हैं. भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश से अधिक लोकप्रिय शायद ही कोई देवता होंगे क्योंकि हर शुभ कार्य का शुभारंभ ''श्री गणेशाय नमः से होता है. भगवान गणेश ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं. ये विघ्नहर्ता, परेशानियों को दूर करने वाले और सभी देवताओं में प्रथम पूज्य गणाधिपति ही हैं, जिन्हें किसी दूसरे का आदेश मानने की मजबूरी नहीं. शास्त्रों में भगवान गणेश के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है और मान्यता है कि इनके हर एक रूप में सुख और समृद्धि का वास होता है.