घर आएंगे गणपति, नहीं सजेंगे पंडाल, मोतीडूंगरी मंदिर में ऑनलाइन दर्शनों की व्यवस्था
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घर आएंगे गणपति, नहीं सजेंगे पंडाल, मोतीडूंगरी मंदिर में ऑनलाइन दर्शनों की व्यवस्था

रवियोग, चित्रा नक्षत्र और ब्रह्मयोग में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. शास्त्रानुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्यान्ह काल में चतुर्थी होने से यह पर्व मनाया जाता है.

रवियोग, चित्रा नक्षत्र और ब्रह्मयोग में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.

Jaipur: प्रथम पूज्य देव गणपति के आगमन के पर्व गणेश चतुर्थी पर हर वैष्णव घर में गणेशजी की पूजा और आराधना हो रही है तो मंदिरों में लंबोदर का जन्माभिषेक-पूजन हो रहा है. 

मोतीडूंगरी गणेश मंदिर (Moti Dungri Ganesh Ji Temple) में भगवान श्रीगणेश विशेष पोशाक में सोने के मुकुट धारण कर चांदी के सिंहासन में विराजमान होकर भक्तों को ऑनलाइन दर्शन देंगे.

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आज गणेश चतुर्थी है. रवियोग, चित्रा नक्षत्र और ब्रह्मयोग में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. शास्त्रानुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्यान्ह काल में चतुर्थी होने से यह पर्व मनाया जाता है. इस दौरान घर-घर गणेश पूजा अर्चना कर भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना की जाएगी. शास्त्रानुसार गणेश जी का जन्म वृश्चिक लग्न सहित मध्यान्ह काल में बताया गया है, जो इस बार सुबह 11.10 बजे से दोपहर 1.38 बजे तक रहेगा. वहीं, वृश्चिक लग्न सुबह 11.16 से दोपहर 1.34 बजे तक रहेगा. सुबह 6.14 से 10.51 बजे तक चर, लाभ, अमृत का दोपहर 12.24 से 1.56 का शुभ का शाम 5.02 से 6.34 का चर का चौघड़िया रहेगा. इस दौरान पूजा के साथ-साथ वाहन, प्रापर्टी क्रय खरीद करना फलदायी रहेगा. शर्मा ने बताया कि तीन ग्रह स्वराशि में रहेंगे. इनमें सूर्य सिंह राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे. इसके साथ ही शुक्र तुला राशि में रहेंगे.

ऑनलाइन ही दर्शन देंगे बप्पा
वहीं, बुध ग्रह उच्च राशि कन्या राशि में रहेंगे. यह संयोग लगभग 29 साल बाद बनेगा. आगामी दिनों में व्यापारिक क्षेत्र में उन्नतिकारक योग बनाएगा. मोती डूंगरी गणेश जी, नहर के गणेश जी, गढ़ गणेश जी, श्वेत विनायकजी, बंगाली बाबा गणेश मंदिर, परकोटे वाले त्रिनेत्र गणेश जी सहित अन्य मंदिरों में गणेश जी की जन्मोत्सव झांकी के दर्शन होंगे. छोटीकाशी में गणेश चतुर्थी पर रिद्धि-सिद्धि के दाता विघ्नहर्ता गणपति गजानन पूरी शान से विराजेंगे. भगवान श्रीगणेश सोने का मुकुट धारण कर चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर विशेष पोशाक में ऑनलाइन ही दर्शन देंगे. ब्रह्मपुरी स्थित नहर के गणेश मंदिर में नवीन चौला और श्रृंगार किया गया हैं. गणपति कल राजशाही पोशाक और रजत मुकुट धारण कर ऑनलाइन ही दर्शन देंगे.

कोरोना गाइडलाइन का रखा जाएगा ख्याल
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व दूसरी बार कोरोना संक्रमण के चलते बिना भक्तों की आवाजाही के मनाया जाएगा. शहर के बड़े मंदिरों में जहां हर साल लाखों भक्तों का रैला नजर आता था. इस बार तीसरी लहर के चलते राज्य सरकार की गाइडलाइन के बाद पूरी तरह से मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है गणेश चतुर्थी और इससे पूर्व निभाई जाने वाली सभी रस्में मंदिर महंत परिवार और पुजारियों के सान्निध्य में निभाई जा रही हैं. भक्तों के लिए आनलाइन वेबसाइट के जरिए दर्शन की व्यवस्था की गई है. 

सुबह चार बजे होगा पंचामृत अभिषेक 
मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि कल सुबह 5 बजे मंगला आरती होगी. सुबह 11:30 बजे श्रृंगार आरती होगी. दोपहर 2:15 बजे भोग आरती होगी. इसके बाद शाम 7 बजे संध्या आरती होगी और फिर शाम 7.45 बजे शयन आरती होगी. www.motidungri.com वेब लिंक के जरिए भक्तों द्वारा ऑनलाइन दर्शन किए जा सकेंगे. गणेश चतुर्थी पर घरों से लेकर मंदिरों में प्रतिष्ठित प्रथम पूज्य की भक्तिभाव से पूजा की जाएगी. घर के मुख्य द्व‌ार पर विराजित द्वारपाल गणेशजी का अभिषेक कर सिंदूरी चोला धारण करवाया जाएगा. चांदी के वर्क से श्रृंगार कर फूल माला चढ़ाकर गुड़धानी और मोदक का भोग लगाकर डंके भी अर्पित किए जाएंगे. घरों में दाल-बाटी-चूरमा बनाकर मंदिरों में भोग लगाया जाएगा. ब्रह्मपुरी स्थित गढ़ गणेश मंदिर में कल सुबह सुबह चार बजे पंचामृत अभिषेक होगा. यहां गणेशजी की पुरुषाकृति प्रतिमा विराजमान है. इस मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि यह बिना सूंड वाले गणेशजी की प्रतिमा है. यहां भगवान गजानन के बाल रूप की पूजा होती है. ध्वजाधीश गणेश मंदिर, चांदपोल परकोटा गणेश मंदिर, श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर, गढ़ गणेश, ध्वजाधीश गणेश, बंगाली बाबा गणेश  सहित अन्य मंदिरों में गणेश उत्सव मनाया जाएगा.

बहरहाल, गणपति बप्पा को अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं. इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन भक्त ढोल नगाड़ों के साथ गणपति बप्पा को अपने घर लेकर आते हैं. सारा वातावरण गणपति बप्पा मोर्या के जयकारों से गूंज उठता है और गणेशोत्सव समापन के बाद धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है. वहीं अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं.

 

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