Jaipur News : जनसंख्या के हिसाब से जयपुर देश का 10वां सबसे बड़ा शहर है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मामले में तीन गुणा छोटे शहरों से भी पिछड़ा हुआ है. शहरी विकास मंत्रालय के पैमानों के तहत 10 हजार की आबादी पर करीब 6 बसें होनी चाहिए. लेकिन यहां स्थिति बेहद खराब है. 55 लाख की आबादी के बावजूद यहां महज 300 लो फ्लोर और 1000 मिनी बसों के भरोसे शहर का ट्रांसपोर्ट सिस्टम चल रहा है. जबकि नियमों के अनुसार यहां 3 हजार 300 बसों की जरूरत है.

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जयपुर शहर परिवहन की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (JCTSL) की व्यवस्था पंक्चर होती जा रही है. सबसे बड़ी वजह है- विभाग की उदासीनता. राजधानी में एक तरफ तो आबादी 40 से बढ़कर 55 लाख तक पहुंच गई, दूसरी तरफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चलने वाली लो फ्लोर बसें चार साल में 400 से घटकर 300 रह गईं. अब एक अप्रैल को 100 बसें और कम हो जाएंगी. 10 साल या 8 लाख किलोमीटर चलने के बाद जेसीटीएसएल में शामिल 100 बसें 31 मार्च को कंडम हो रही हैं. इनके बंद होने की वजह से शहर के 60 हजार लोग प्रभावित होंगे. साथ में 12 लाख रुपये प्रतिदिन का नुकसान होगा. कबाड़ होने वाली बसें मार्च 2013 में खरीदी गई थीं.


प्रदेश में दिसंबर 2019 में कांग्रेस सरकार आई थी. उस समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 408 बसें चल रही थीं. सरकार के चार साल के कार्यकाल में नई बसों की एंट्री नहीं हुई. अब मार्च 2023 में 208 बसें रह जाएंगी..बसें बढ़ने की अपेक्षा लगातार घट रही हैं. JCTSL की लो फ्लोर बसे बंद होने के बाद इन रूटों पर प्राइवेट बस ऑपरेटर्स का एकछत्र राज हो जाएगा. ये मनमर्जी से लोगों और स्टूडेंट्स से किराया वसूलेंगी. प्रतिदिन लो फ्लोर बसों में सफर करने वाले स्टूडेंट्स और लोगों को भारी परेशानी होगी. लो फ्लोर -कॉलेज आईडी दिखाने के बाद 50 प्रतिशत की छूट मिलती है. वही 30% छूट मिलती है महिला और वरिष्ठ नागरिकों को, वहीं विशेष योग्यजन और 80 साल से ऊपर के व्यक्ति फ्री यात्रा करते हैं. बसें बंद होने से इनके सामने संकट खड़ा हो जाएगा.

जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (JCTSL) के बेड़े में शामिल होने वाली 100 इलेक्ट्रिक बसें लेने की फाइल तीन महीने से फाइनेंस डिपार्टमेंट की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं. 5 महीने पहले हुई जेसीटीएसएल की बोर्ड बैठक में एक साल में 1 हजार बसें खरीदने का प्रस्ताव पारित किया था. इसमें से मार्च तक 100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जानी थीं. एफडी की मंजूरी के लिए जेसीटीएसएल प्रबंधन ने तीन महीने पहले फाइलें भेजी थीं. बसों का संचालन ऑपरेटिंग मॉडल और सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंडिंग का पैटर्न और स्रोत के आधार पर लेनी है. 2024 में 300 नई बसें और 2025 में शेष 400 बसें बेड़े में शामिल की जानी प्रस्तावित है. लेकिन इतना जरूर है कि यदि मार्च माह में बसे नही आती है तो 1 अप्रैल से बगरू, चाकसू, बस्सी, कूकस, गोनेर और पत्रकार कॉलोनी के लिए तो पूरी तरह कनेक्टिविट खत्म हो जाएगी.


इन कस्बों से अगर प्राइवेट वाहन करके आते हैं तो 500 रुपए से अधिक राशि चुकानी पड़ेगी. ऑटो रिक्शा, मैजिक और अन्य प्राइवेट बसों की इन रूट्स पर पहले से ही कमी है. किसी व्यक्ति को कार टैक्सी और कैब से अजमेरी गेट से चाकसू, चौमूं पुलिया से बस्सी चांदपोल से बगरू जाना होगा तो 1 हजार तक भुगतान करना होगा. ऑटो, ई -रिक्शा और मैजिक इन रूटों पर चलती नहीं है. रोडवेज की बसें जाती है. लेकिन ये दिनभर नहीं होती. बसें बंद होने से प्राइवेट जीप का चलन बढ़ जाएगा. ये ओवरक्राउड चलेगी. इस वजह से आए दिन सड़क हादसे होंगे.


बहरहाल, बसों की कमी की वजह से कुछ रूट बंद होंगे. कई रूटों से बसें हटा कर बंद होने वाली बसों के रूट पर संचालन करेंगे. इलेक्ट्रिक बसों के लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा हुआ है. लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं आई है, जितनी बसें हैं, उतने में ही काम चलाना होगा.


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