गहलोत-पायलट विवाद का 1200 किमी दूर होगा निपटारा! सोनिया-राहुल प्रियंका पहुंचे
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गहलोत-पायलट विवाद का 1200 किमी दूर होगा निपटारा! सोनिया-राहुल प्रियंका पहुंचे

Ashok Gehlot Sachin Pilot : रायपुर में हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन को राजस्थान के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के विवाद से पार्टी कि बहुत किरकिरी हो चुकी है. दोनों विपक्ष को घेरने की बजाए एक दूसरे में ही उलझ बैठते हैं, ऐसे में पार्टी के लिए भी असमंजस की स्थिति है कि आखिर किसे आगे करे और किसके नेतृत्व में चुनाव लड़े. 

गहलोत-पायलट विवाद का 1200 किमी दूर होगा निपटारा! सोनिया-राहुल प्रियंका पहुंचे

Ashok Gehlot Sachin Pilot : राजस्थान कांग्रेस में चुनावी साल में भी सियासी रस्साकशी जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच साल 2018 में उपजा विवाद अब तक सुलझ नहीं सका है. इस साल के अंत में राजस्थान में चुनाव होने हैं, लिहाजा ऐसे में इसे लेकर जयपुर से 1200 किमी दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर में मंथन का दौर जारी है. इस साल राजस्थान के साथ-साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव है, इसके बाद अगले साल लोक सभा चुनाव भी होने हैं. 

पायलट खेमे का 'बदलाव' का दावा

दरअसल यह अधिवेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि सचिन पायलट के समर्थक विधायक खिलाडी लाल बैरवा ने दावा किया था कि रायपुर अधिवेशन में राजस्थान को लेकर फैसला हो सकता है. उन्होंने राहुल गांधी के बयान का जिक्र कर कहा था कि भले ही राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को एसेट बताया लेकिन पायलट कांग्रेस की वर्किंग कैपिटल हैं और गहलोत फिक्स डिपॉजिट हैं. साथ ही उन्होंने साल 2023 में सचिन पायलट के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की थी.

रायपुर में हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन को राजस्थान के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस अधिवेशन से पहले प्रदेश से 75 AICC मेंबर बनाए हैं। इनमें 55 मेंबर संगठन चुनावों में चुने हुए और 20 कॉप्टेड मेंबर हैं. AICC सदस्यों में आधे से ज्यादा मंत्री-विधायकों को जगह दी गई है. इस सूची में सीएम अशोक गहलोत खेमे का दबदबा रहा है. इससे भी सचिन पायलट को मायूसी हाथ लगी है. हालांकि पायलट कैम्प को इस अधिवेशन से कई उम्मीदें है. 

गौरतलब है कि राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के विवाद से पार्टी कि बहुत किरकिरी हो चुकी है. दोनों विपक्ष को घेरने की बजाए एक दूसरे में ही उलझ बैठते हैं, ऐसे में पार्टी के लिए भी असमंजस की स्थिति है कि आखिर किसे आगे करे और किसके नेतृत्व में चुनाव लड़े. हालांकि कहा जा रहा है कि अगर इस अधिवेशन में कोई फैसला नहीं होता है तो सचिन पायलट इसके तुरंत बाद जनता के बीच में जाएंगे और चुनाव की तैयारी करेंगे. 

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