Jaipur Mayor By election: जयपुर नगर निगम ग्रेटर के मेयर के उपचुनाव में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का दर सताने लगा है. जिसे लेकर कांग्रेस अपने पार्षदो की मनुहार कर रही है. जिससे वह उपचुनाव में समझदारी के साथ वोटिंग करे.


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जयपुर नगर निगम ग्रेटर के मेयर के उपचुनाव को अब केवल 72 घंटे बचे है, जिसकेबाद यह साफ हो जाएगा कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर की कुर्सी कौन संभालेगा .  उपचुनाव को लेकर इस बार कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही कशमकश में है जहां भाजपा को क्रॉस वोटिंग का डर है तो वहीं कांग्रेस इस क्रॉस वोटिंग के जरिए अपनी मेयर प्रत्याशी सिंघानिया को ''सिंघासन'' पर बैठाना चाहती है. इधर, भाजपा के लिए थोड़ी राहत की बात ये है कि उनकी बाड़ेबंदी के कुनबे में 16 और पार्षद जुड़ गए है. 


इसके बाद उनकी  सांख का सवाल जिन विधायकों के लिए है वो बाड़ाबंदी से बाहर पार्षदो के घर पहुंचकर मनुहार कर रहे है. साथ ही होटल जाकर भी पार्षदों के बीच  पार्टी की रीतिनीति को समझाने में लगे है. उधर, नामांकन वापस के अंतिम दिन किसी भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है. ऐसे में अब महा-मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में होना तय माना गया है.


भाजपा - कांग्रेस आमने सामने
जयपुर नगर निगम ग्रेटर महापौर के चुनाव में ''रश्मि'' भाजपा के ''रथ'' पर सवार है और हेमा ''सिंघानिया'' को कांग्रेस ''सिंहासन'' पर बैठना चाहती है. ग्रेटर निगम मेयर चुनाव में अब तीन दिन ही शेष हैं.  भाजपा और कांग्रेस दोनों साम, दाम, दंड भेद पर उतर आए हैं.  दोनों ओर से बड़े चेहरों ने मोर्चा संभाल लिया है. बाड़ों में पार्षदों को समझाने और मनाने का कार्यक्रम चल रहा है. भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में शांत है. लेकिन पार्षदों के क्रॉस वोटिंग की बेचैनी भी है. इधर भाजपा ने ''रानी के ताज'' का साज विधायकों की प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है. ऐसे में हर पार्षद उनकी ''राडार पर है.


 सूत्रों के मुताबिक पिछले 2 साल में ये पहला मौका है. जब पार्षदों की उनके विधायक इतनी मनुहार कर रहे है. यहां विधायकों की साख का सवाल है कि अगर उनके क्षेत्र का कोई भी पार्षद क्रॉस वोटिंग करता है तो उनकी प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि साल 2019 में भी ऐसा ही हुआ था, जब मालवीय नगर, विद्याधर नगर और सांगानेर एरिया में सबसे ज्यादा पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग करके अपनी ही पार्टी के मेयर उम्मीदवार को हरवाया था. उस समय भी पार्षद पूरे समय बाड़ेबंदी में ही थे, लेकिन विधायकों के कर्न्वसेंशन में कमी के चलते ये घटनाक्रम हुआ था. उधर, नामांकन वापस के अंतिम दिन किसी भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया. रिटर्निंग अधिकारी शंकर लाल सैनी ने बताया कि दोपहर 3:00 बजे तक नामांकन वापस लेने का अंतिम समय था लेकिन किसी भी प्रत्याशी ने नाम वापस नहीं लिया है. अब 10 नवंबर को सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक मतदान होगा और उसके तुरंत बाद मतगणना होगी.


बाड़ेबंदी की कमान संभाल रहे भाजपा विधायक और प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने दावा किया है उनके यहां 93 (भाजपा और निर्दलीय) में से 84 पार्षद होटल पहुंच चुके है, जबकि 9 ही पार्षद ऐसे है, जो बाड़ेबंदी से दूर है. उन्होंने बताया कि इनमें से 3 ऐसे पार्षद है, जिनकी तबियत खराब है. शेष जो 6 पार्षद है वह देर शाम तक हमारे कैंप में शामिल हो जाएंगे. रामलाल शर्मा ने बताया कि विद्याधर नगर से वार्ड 16 की पार्षद दीपमाला शर्मा, वार्ड 21 से प्रियंका अग्रवाल और सांगानेर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड 68 से हरीश शर्मा की तबियत खराब है. इसलिए उन्होंने सीधे वोटिंग स्थल पर ही पहुंचकर वोट देने के लिए कहा है.


 वहीं भले ही कार्यवाहक मेयर शील धाबाई को पार्टी ने मेयर की दौड़ से बाहर कर दिया हो. लेकिन वे अब भी मेयर के काम-काज को बदस्तूर जारी रखे हुए है. वे आज भी दोपहर बाद नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय पहुंची और अपने चैम्बर में बैठकर लोगों की जनसमस्याएं सुनी. हालांकि उन्होंने आचार संहिता लगने के चलते किसी भी अधिकारी से ऑफिशियल बैठक नहीं की और ना ही किसी फाइल या नोटशीट पर अपनी टिप्पणियां की. शील धाभाई ने कहा कि कार्यवाहक मेयर के तौर पर में काम कर रही हूं. और जब तक नया मेयर नही बनेगा तब तक काम करती रहूंगी. भाजपा की बाड़बंदी में नही जाने सवाल पर कहा कि निगम में कामकाज होने के बाड़ाबंदी में नही जा पाऊंगी.


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बहरहाल, भाजपा के पास जीत का बल तो है लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा. दोनों ही दल अपने-अपने पैतरे महापौर के चुनाव में आजमा रहे हैं. कौन इस सियासी पिच पर जीत हासिल करेगा यह तो 10 नवंबर दोपहर बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.