Health news: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के चलते लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर हो रही है. खासतौर पर बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. कोविडकाल के बाद आंखों को लेकर अस्पताल पहुंचने वालों में बच्चों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें- राजस्थान भाजपा मिशन -25 के लिए निर्दलीय विधायकों को 'साध' रही बीजेपी क्या रुकावटों को पार करने से मिलेगी हैट्रिक


आज हर घर में युवा हो या बड़े बुजुर्ग हो सभी के लिए स्मार्टफोन उनके जीवन का एक हिस्सा बन गया है. स्मार्टफोन लोगों को कई सुविधाएं तो दे रहा है लेकिन, इसके अत्यधिक इस्तेमाल से कई प्रोब्लम भी क्रिएट कर रहा है. जिसमें आंखों की रोशनी महत्वपूर्ण है.


 घंटो मोबाइल फोन देखने के कारण लोगों की नजर कम होने लगी है. एसएमएस अस्पताल में आई ऑप्थोमोलॉजी के एचओडी डॉ पंकज शर्मा ने कहा कि, कोरोना के बाद बच्चों में आंखों की समस्या बढ़ी है. आजकल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण कई बच्चों की आंखों की रोशनी तक चली गई.


एसएमएस अस्पताल में नेत्र रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ महिमा पंवार ने बताया कि, कई पेरेंट्स बच्चों में आंखों की समस्या को लेकर पहुंचते हैं. जो बताते हैं कि बच्चे मोबाइल में तो ठीक से देख रहे हैं लेकिन, टीवी में सही दिखाई नहीं देता है. ये प्रोब्लम मायोपिया कहलाती है. बच्चों में मोबाइल की ज्यादा लत के कारण उनके टेड़े- मेढे़ देखने की समस्या भी बढ़ रही है.


जयपुरिया अस्पताल की नेत्र रोग स्पेशलिस्ट डॉ मधु गुप्ता ने कहा कि मोबाइल, लैपटॉप के ज्यादा उपयोग के चलते आंखों में आई ड्राइनेस की समस्या बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि मोबाइल के सीमित उपयोग और आंखों की ब्लिंकिंग से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है.


डॉक्टरों का कहना है कि मोबाइल से आई विकनेस की समस्या लगातार बढ़ रही है. उनका कहना है कि पेरेंट्स बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की कोशिश करें, ताकि बच्चों की आंखों पर असर नहीं हो. इसके साथ ही उन्होंने देर रात तक सोते हुए मोबाइल देखने को भी गंभीर माना है. उनका कहना है बार बार पलक झपकने से भी इस समस्या पर कंट्रोल किया जा सकता है.


यह भी पढ़ें- Rajasthan Breaking News: अजमेर के मदार में रेल हादसा, 4 डिब्बे हुए बेपटरी