Jaipur News: मुख्य सचिव सुधांश पंत के काम संभालने के बाद 'गुड गर्वनेंस' के टास्क के एक महीने के अंदर सुखद रिजल्ट देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश में अब फाइलों पर धूल चढ़ने की बजाय आठ घंटे में फाइलों का डिस्पोजल हो रहा है. इस टास्क को पूरा करने के लिए आज से नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने भी काम करना शुरू कर दिया है. आयुक्त रूक्मणि रियाड के प्रयासों के बाद आज से नगर निगम ग्रेटर में ई-फाइलिंग (पेपरलेस) वर्क शुरू हो गया है. अब सभी फाइलों का संचालन और मूवमेंट अब ई-फाइल सिस्टम के जरिए होगा, जिसमें फिजिकल फाइल न होकर सारा काम ऑनलाइन होगा और ऑनलाइन ही अधिकारियों के सिग्नेचर और टिप्पणियां होगी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जयपुर कलेक्ट्रेट, जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) समेत दूसरे विभागों की तरह जयपुर नगर निगम ग्रेटर में भी अब ऑनलाइन ई-फाइलिंग सिस्टम शुरू हो गया है. आज से नगर निगम ग्रेटर में ऑनलाइन ही फाइलों का जनरेशन करके उस पर नोटिंग करने से लेकर तमाम काम कम्प्यूटर के जरिए करके उसका डिस्पोजल तक का ऑनलाइन हो गया है. इस तरह का सिस्टम शुरू करने वाला नगर निगम ग्रेटर प्रदेश का पहला निकाय बन गया है. नगर निगम ग्रेटर आयुक्त रूक्मणि रियाड ने बताया कि गुड गर्वनेंस और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ाने के उदेश्य से शुरू किया गया ये काम नगर निगम के जोन ऑफिसों और शाखाओं में चालू किया गया है. 


सभी पत्रावलियों का संचालन और संधारण राजकाज एप्लिकेशन पर होना शुरू हो गया है. बकायदा इस सिस्टम को शुरू करने से पहले सभी शाखाओं के अधिकारियों-कर्मचारियेां को ट्रेनिंग दी गई थी. रियाड ने बताया की ई-फाइलिंग इस सिस्टम के शुरू होने से सबसे बड़ा फायदा टाइम बाउंड काम का होगा. इसमें अधिकारी या कर्मचारी ये बहाना नहीं बना सकता है कि फाइल नहीं मिल रही क्योंकि सारा काम ऑनलाइन होगा और वह किसी भी जगह बैठकर फाइल को अपनी लॉग आईडी से देख सकता है. 


इस सिस्टम के शुरू होने से न केवल कागज की बचत होगी, बल्कि समय भी बचेगा. यही नहीं नगर निगम में फाइलें कहां है, कौन से सेक्शन में पड़ी है, कब से डिस्पोजल नहीं हुई ये सब समस्याएं आगे से नहीं होगी. हर फाइल का एक बार कोड और यूनिक आईडी नंबर जनरेट होगा. इस नंबर और बारकोड से ये पता चल जाएगा कि फाइल कब शुरू हुई और वर्तमान में किस सेक्शन में किस अधिकारी के पास है. इस सिस्टम के शुरू होने का सबसे बड़ा फायदा फाइलों के गुम होने की शिकायतें खत्म हो जाएगी. इसके साथ ही ऑनलाइन सिस्टम होने से फर्जी पट्‌टे जारी करने समेत दूसरे केस भी नहीं हो सकेंगे. पिछले साल प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान नगर निगम ग्रेटर में फर्जी पट्‌टे जारी होने के बहुत केस सामने आए थे. इसमें नगर निगम के कर्मचारियों की ही भूमिका थी. अगर उस समय ई-फाइल सिस्टम होता तो ऐसा फर्जीवाड़ा नहीं होता. इसके साथ ही कई ऐसे मामले होते है, जिनमें कर्मचारी या दूसरे व्यक्ति जानबूझकर फाइलों को इधर-उधर कर देते हैं. ई-फाइलिंग सिस्टम के होने से ऐसी फाइलों के गुम होने या इधर-उधर होने की शिकायतें भी नहीं रहेंगी. 


ई-फाइलिंग सिस्टम शुरू होने के बाद नगर निगम कार्मिक शाखा की उपायुक्त कविता चौधरी का कहना है कि कम समय में फाइलों का निस्तारण होगा साथ में टेबलों पर फाइलों का ढेर अब नजर नहीं आएगा. ऑनलाइन वर्क होने से फाइलों का निस्तारण वर्क फ्रॉम होम के जरिए भी हो सकेगा. वर्तमान में अगर कोई अधिकारी छुट्‌टी पर कहीं बाहर गया है और उसके साइन की जरूरत है तो वह बाहर बैठे भी ऑनलाइन फाइल को पढ़कर उस पर ई-साइन करके उसका अप्रूवल दे देगा. 


इस सिस्टम से फाइलों का डिस्पोजल टाइम बाउंड हो जाएगा. नगर निगम के अधिकारियों के मुताबित अब से जितनी भी नई फाइलें जनरेट होगी, वह सब ऑनलाइन होगी. इसके अलावा जो फाइलें पाइपलाइन में ऑफलाइन लाइन चल रही है, उनको भी धीरे-धीरे करके ऑनलाइन किया जा रहा है. अब तक 250 से ज्यादा फाइलों को स्कैनिंग करके उनको ऑनलाइन भी किया जा चुका है. काम और प्राथमिकता के आधार से फाइलों को ए, बी, सी और डी में बांटा गया है. 


इसमें ए और बी की पत्रावलियों को पहले ऑनलाइन किया गया है. इसमें 90 दिन तक काम आने वाली फाइलें शामिल हैं. इसके बाद फाईल्स पूर्णतः ऑनलाइन ही राज-काज के माध्यम से प्रेषित की जाएंगी. इसके अलावा सभी तरह की नई पत्रवालियां ऑनलाइन ही प्रेषित की जाएगी. गौरतलब है कि परिवहन मुख्यालय के निरीक्षण के दौरान मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कहा था कि केंद्र सरकार में पोस्टिंग के समय उनका फाइल डिस्पोजल टाइम 12 घंटे था लेकिन लगातार प्रयास और सतत मॉनिटरिंग से ये टाइम 2 घंटे पर आ गया है. केन्द्र में कई अधिकारियों का 1 घंटे भी डिस्पोजल टाइम है. 


बहरहाल, ई-फाइल डिस्पोजल सुशाल के लिए अहम कड़ी है. ई-फाइलिंग सिस्टम शुरू होने से इसका सबसे बड़ा रिजल्ट फाइल डिस्पोजल का औसत समय 24 घंटे से घटकर 8 घंटे से भी कम रह गया है. अब अधिकारियों और कर्मचारियों की टेबल पर न तो फाइलों का ढ़ेर दिखाई देगा और ना ही दफ्तर में इन पर धूल जमेगी यानी ऑनलाइन जनरेट हो रही हर एक फाइल औसतन 8 घंटे में एक अधिकारी के यहां से क्लीयर हो रही है. 


यह भी पढ़ेंः Rajya Sabha Election 2024 : BJP ने राजस्थानी नेताओं पर जताया भरोसा, लेकिन कांग्रेस ने "बाहरी" पर क्यों खेला दांव


यह भी पढ़ेंः Khatu Shyam Ji: ज़ी मीडिया की खबर का असर, जागा प्रशासन, ठेकेदारों पर हुई कार्रवाई