Jaipur News: राजस्थान की सभी 25 सीट पर चुनाव हो चुके हैं. दो चरण में 25 सीट पर वोटिंग के बाद से ही नतीजों को लेकर कयास और दावे जारी हैं. केन्द्र में सत्ता पर काबिज पार्टी अपना दावा 25 से कम करने के लिए किसी सूरत में तैयार नहीं दिखती जबकि सट्टा मार्केट 5 से 7 सीट का नुकसान बीजेपी को होने का आंकलन कर रहा है. उधर पूर्व सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि वे प्रदेश में 22 सीट पर जाकर आए हैं और राजस्थान के माहौल को देखते हुए कांग्रेस डबल डिजिट में ज़रूर पहुंचेगी.


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राजस्थान में लोकसभा की सभी सीट पर चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और इन चुनाव के बाद इस बार कांग्रेस को भी नई आस जगी है. दरअसल चुनाव के नतीजों को लेकर सबके अनुमान और दावे हैं लेकिन पॉलिटिकल पार्टियों के दावे उनके नज़रिये से ही होते हैं.



बीजेपी किसी सूरत में अपने दावे को 25 सीट से कम करने को तैयार नहीं है लेकिन फलौदी सट्टा मार्केट बीजेपी के दावों से अलग दिख रहा है. सट्टा मार्केट के कयासों को देखें तो इस बार क्लीन स्वीप की हैट्रिक होने के आसार कम ही दिख रहे हैं. सट्टा मार्केट का अनुमान है कि इस बार कांग्रेस भी कुछ सीटें जीतेंगी. फलौदी सट्टा मार्केट के मुताबिक इन सीटों का आंकड़ा 5 से लेकर 7 तक हो सकता है.


फलौदी का आंकलन - इस बार नहीं क्लीन स्वीप.
लोकसभा में राजस्थान की 25 सीटों का आकलन.
फलौदी सट्टा मार्केट के मुताबिक इस बार कड़ा मुकाबला.
कांग्रेस के खाते में 5 से 7 सीट के बताए आसार.
सट्टा मार्केट के संकेत - बीजेपी नहीं करेगी क्लीन स्वीप की हैट्रिक.



भले बीजेपी अपने दावे को कम करने के लिए टस से मस ना हो लेकिन पूर्व मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत अपने अनुभव से अलग आंकलन बताते हैं. गहलोत का कहना है कि वे प्रदेश में 22 सीट पर प्रचार करके आए हैं, ऐसे में अलग-अलग जगहों के माहौल और लोगों के रेस्पॉन्स को देखते हुए उन्हें लगता है कि कांग्रेस इस बार डबल डिजिट में ज़रूर पहुंचेगी.


सट्टा बाज़ार के भाव के हिसाब से देखें तो मार्केट टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीज बराबरी का मुकाबला बता रहा है. जबकि झुंझुनूं, सीकर, दौसा, करौली-धौलपुर और नागौर सीट बीजेपी के हाथ से निकलने के आसार बताये जा रहे हैं. इस बीच कांग्रेस ने दिल्ली आलाकमान को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें श्रीगंगानगर, जयपुर ग्रामीण, चूरू, बाड़मेर, बांसवाड़ा-डूगरपुर और कोटा सीट का नाम भी शुमार है. हालांकि सभी पक्ष नतीजों का आकलन अपने हिसाब से कर रहे हैं लेकिन नेताओं की अधीरता बता रही है कि 4 जून के जल्दी आने की आस कर रहे हैं.