Jaipur: ब्रेन डेड हो चुके शख्स ने दो लोगों को दी जिंदगी,राजस्थान ट्रैफिक पुलिस की रही अहम भुमिका
Jaipur news: कहते हैं न अंग दान महा दान. अकसर आपने देखा होगा लोगों के मरने के बाद उनके शरीर के अंगों को मेडिकल चिकित्सकों व्दारा अन्य जरूरत मंद मरीजों को दे दिया जाता है.ज्यादातर लोग मरने से पहले अपने अंगों को किसी और मरीज को देने के लिए दान कर जाते हैं.
Jaipur news: कहते हैं न अंग दान महा दान. अकसर आपने देखा होगा लोगों के मरने के बाद उनके शरीर के अंगों को मेडिकल चिकित्सकों व्दारा अन्य जरूरत मंद मरीजों को दे दिया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया मरने वाले के इछा तथा परिवार के आदेश से ही किया जाता है. ज्यादातर लोग मरने से पहले अपने अंगों को किसी और मरीज को देने के लिए दान कर जाते हैं.
56 वर्षीय मानक लाल
ऐसा ही एक किसा राजस्थान के जयपुर में देखने को मिला है. जहां पर रहने वालें को 56 वर्षीय मानक लाल ने अपने अंगों को दान कर दिया. दरअसल राजस्थन सरकार ने आर एन टी मेडिकल कॉलेज उदयपुर को अंगदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नॉन ट्रांसप्लांट ऑर्गन रेट्रीवल सेन्टर बनाया था.
दो जगह हुआ दान
जिसके बाद से आर एन टी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में 17 दिसम्बर को भर्ती हुए 56 वर्षीय मानक लाल ब्रेन डेड घोषित कर दिए गए थे. उसके उनकी सहमति के बाद राजस्थान में कार्यरत स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन राजस्थान के माध्यम से एक किडनी सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर को , एक किडनी व लिवर महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर को आवंटित की गई.
ट्रैफिक पुलिस की भुमिका
इसी पुरी प्रक्रिया में राजस्थान सरकार की ट्रैफिक पुलिस की सहायता ने बहोत अहम भुमिका निभाई. सभी अंगों को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से जयपुर एयरपोर्ट से सवाई मानसिंह अस्पताल व महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर पहुंचवाया गयाऐ.आपको बता दें कि यह अंग दान राजस्थान प्रदेश का 57 वां अंगदान है.
अजीत पाल
इसे पहले भी राजस्थान के धौलपुर जिले का रहने वाले 23 साल के अजीत पाल ने अपने अंगों को मरने के बाद से दान किया था. जिसके बाद लोगों ने कहा कि अजीत पाल मरा नहीं बल्कि अमर हो गया है.
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