Jaipur: एनआईए मामलों की विशेष अदालत ने आईएसआईएस के लिए काम करने के मामले में अभियुक्त मोहम्मद सिराजुद्दीन को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत सात साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने कर्नाटक निवासी इस अभियुक्त पर 26 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. हालांकि अभियुक्त दिसंबर 2015 से ही जेल में बंद है. अदालत ने गत 17 फरवरी को अभियुक्त को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 13, 38 और धारा 39 के साथ ही आईपीसी के तहत दोषी माना था.


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अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया एटीएस ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर काम करने वाले सिराजुद्दीन को 10 दिसंबर 2015 को गिरफ्तार किया था. वहीं मामले की जांच एनआईए को दिए जाने के बाद एनआईए ने जांच कर आरोप पत्र पेश किया था. आरोपपत्र में कहा गया था कि आरोपी सिराजुद्दीन फेसबुक, व्हाट्सएप और टेलीग्राम सहित अन्य हाईटेक माध्यमों से युवाओं को आईएसआईएस में शामिल करने के लिए उकसाता था.


 एटीएस की ओर से आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद पता चला कि वह भारत में आईएसआईएस का ठिकाना बनाना चाहता था. वहीं गजवा-ए-तुल चैनल में उसने कश्मीर के आतंकियों को शहीद भी बताया था. उसके कब्जे से ओसामा बिन लादेन, मौलाना अनवर अवलाकी मौलाना और आसिम उमर आदि के भाषण और पुस्तकें भी बरामद हुई थी. अभियुक्त कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बताकर भारत को अवैध कब्जा करने वाला बताता था. आरोप पत्र में यह भी कहा गया था कि यहां आईएसआईएस का नेटवर्क तैयार होने के बाद वह लीबिया जाने वाला था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई है.


Reporter-Mahesh Pareek


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