Rajasthan News: सीएस सुधांश पंत आज, 18 अप्रैल को सवा नौ बजे अचानक विद्युत भवन पहुंच गए. सीएस के विद्युत भवन पहुंचने की जानकारी कार्मिकों को लगी, तो वह हांफते हुए भाग दौड़ करते हुए दफ्तर पहुंच रहे थे. सीएस ने निरीक्षण के दौरान कम्प्यूटर खुलवाकर फाइलों की पेंडेंसी देखी. कई अधिकारियों के चैंबर भी खुद पहुंचे. अंदर किसी को आने भी नहीं दिया गया. इसके साथ ही सीएस ने प्रसारण निगम के सीएमडी को देखकर पूछ लिया कि कब आए हो, जिस पर उन्होंने 7 मिनट देरी से आने के लिए कहा. बाद में सीएस ने कहा कि जब अधिकारी ही लेट आएंगे, तो कैसे काम चलेगा. इसके साथ ही जेएस के वहां दिखने पर कहा कि आपका चैंबर सचिवालय में नहीं है क्या. कहा कि जेएस स्तर के अधिकारियों का चैंबर सचिवालय में ही होना चाहिए. इसके बाद एक एक कर कई अधिकारियों के चैंबर में पहुंचे. एक एईएन के डिस्पोजल टाइम अधिक होने पर नाराजगी जताई. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ठीक से काम नहीं करने वालों के खिलाफ हो एक्शन- सीएस पंत 
इसके साथ ही सीएस ने विद्युत भवन में निरीक्षण और सुधार को लेकर कहा कि मैंने एक घंटे यहां निरीक्षण किया है. अभी यहां और सुधार की जरूरत है. कुछ अधिकारियों का फाइल डिस्पोजल टाइम अधिक हैं. उन्हें सुधार के लिए हिदायत दी है. वहीं, कुछ अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं. उनको हम प्रेरित भी कर रहे हैं और अच्छा करने के लिए, ये एक सतत प्रक्रिया है. कई दौरे होने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं होने पर बोले जो ठीक से काम नहीं करते उन पर एक्शन भी लेना पड़ता है. विद्युत भवन में कई अधिकारियों के सीट से नदारद रहने पर बोले जयपुर डिस्कॉम सीएमडी भानु प्रकाश एटूरू स्वास्थ्य कारणों से नहीं आए हैं. इसके अलावा जो अधिकारी नहीं मिले उनके बारे में रिपोर्ट ली जाएगी. 


विभागीय अधिकारियों को दी हिदायत 
सीएस ने रिटायर्ड कार्मिकों को फिर से काम पर लगाने पर कहा कि ये कोई ब्लैंकेट ऑर्डर नहीं है. पहले रिटायर्ड कर्मचारी रूटिन में लगते थे, अब जरूरत के हिसाब से एक दो होंगे. ऐसे में कोई दिक्कत भी नहीं है. काम प्रभावित नहीं होना चाहिए. अब रिटायर्ड कर्मचारियों को लगाने की परिपाटी में भी बदलाव आया है. इसके साथ ही सीएस सुधांश पंत ने कहा कि बिजली विभाग आम लोगों से जुड़ा महत्वपूर्ण विभाग है. प्रदेश में 1 करोड़ से ज्यादा विद्युत उपभोक्ता हैं. कहीं एक घंटे भी बिजली बाधित हो जाती है, तो लोगों के सामने मुश्किल खड़ी हो जाती है. असली परीक्षा फील्ड अधिकारियों के सामने है जो जेईएन, एईएन फील्ड में रहकर काम कर रहे हैं. जैसे मैं ऑफिसों के दौरे कर रहा हूं, वैसे ही विभागीय अधिकारियों को भी नीचे फील्ड ऑफिसर्स की मॉनिटरिंग करनी चाहिए, जिससे काम की गुणवत्ता में सुधार आ सके. 


ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन से रेल यातायात प्रभावित, कई ट्रेनें हुई रद्द, कुछ के बदले रूट