Jaipur News: राजस्थान विधानसभा में डेडबॉडी के साथ प्रदर्शन पर रोक, भुगतनी पड़ेगी इतने साल की सजा
Jaipur News Today: राजस्थान में अब अपनी गैर वाजिब मांगें मनवाने के लिए सड़क पर शव के साथ प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे. यदि किसी ने शव के साथ प्रदर्शन किया तो 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा भुगतनी होगी. विधानसभा में गुरुवार को राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 पारित किया गया.
Jaipur News: प्रदेश में अब अपनी गैर वाजिब मांगें मनवाने के लिए सड़क पर शव के साथ प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे. यदि किसी ने शव के साथ प्रदर्शन किया तो 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा भुगतनी होगी. विधानसभा में गुरुवार को राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 पारित किया गया.
संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि यह कानून मृत शरीरों की गरिमा को बनाए रखते हुए शवों के धरना-प्रदर्शन में किए जाने वाले दुरूपयोग पर प्रभावी रोक लगाएगा.
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इस विधेयक से लावारिस शवों की डीएनए एवं जेनेटिक प्रोफाइलिंग कर डाटा संरक्षित भी किया जाएगा ताकि भविष्य में उनकी पहचान हो सके. धारीवाल ने गुरूवार को विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक पर चर्चा का जवाब में यह बात कही. चर्चा के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
शव के साथ प्रदर्शन के चार साल में 82, अगले चार साल में 306 मामले
संसदीय कार्यमंत्री धारीवाल ने कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. वर्ष 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 एवं वर्ष 2019 से अब तक 306 घटनाएं हुई हैं. वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिए कानून में प्रावधान नहीं हैं, इसीलिए यह विधेयक लाया गया है.
कानून सजा का यह किया गया प्रावधान
परिजन द्वारा मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में एक वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है. साथ ही, परिजन द्वारा धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसी प्रकार, परिजन से अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा शव का विरोध के लिए इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा एवं जुर्माने से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है.
तो कार्यपालक मजिस्ट्रेट करवायेगा अंतिम संस्कार
कार्यपालक मजिस्ट्रेट को मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे में कराने की शक्ति प्रदान की गई है. यह अवधि विशेष परिस्थितियों में बढ़ाई भी जा सकेगी. साथ ही, परिजन द्वारा शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की स्थिति में लोक प्राधिकारी द्वारा अंतिम संस्कार किया जा सकेगा.
इसलिए लाया गया कानून
धारीवाल ने बताया कि सिविल रिट पिटीशन आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में उच्चतम न्यायालय ने मृत शरीरों के शिष्टतापूर्वक दफन या अंतिम संस्कार के निर्देश प्रदान किए थे. इस निर्देशों की पालना में इस विधेयक में लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड संधारित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं.