Jaipur: जयपुर पुलिस कमिश्नरेट ने एक बड़े गिरोह का खुलासा करते हुए फर्जी डिग्री बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है. गिरोह का मुख्य सरगना पिछले 15 सालों से इसी कारोबार से जुड़ा हुआ था.


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डीसीपी वेस्ट वन्दिता राणा ने बताया कि द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में सक्रिय नकल गिरोह के आरोपी एलची सारण, इन्दुबाला, मोटाराम, दिनेश कुमार, रमेश, के कब्जे से फर्जी डिग्रियां और सर्टिफिकेट मिले थे . जिस पर करणी विहार थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था और जांच जारी रखी.पूछताछ के लिए मुख्य सरगना भूपेंद्र सहारण को पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर लिया और पूछताछ की.


पूछताछ के दौरान उसने जानकारी दी कि वो ईमलीवाला फाटक के पास स्थित गणेश नगर थाना ज्योती नगर जयपुर निवासी अशोक विजय से यह फर्जी डिग्रियां / मार्कशीट / सर्टिफिकेट लेता था. इस जानकारी के आधार पर अशोक विजय की तलाश की गई और अशोक विजय और उसके इस काम में सहायक कैलाश सिसोदिया को तलाश कर गिरफ्तार किया गया और उनके कब्जे से फर्जी डिग्रियां / मार्कशीट / सर्टिफिकेट बरामद किये गये.


आरोपी अशोक विजय और कैलाश ने जांच के दौरान बताया कि हाल ही में नकल प्रकरण चर्चा में होने के कारण इन्होने अपना ऑफिस सांगानेर जयपुर में शिफ्ट कर दिया है. इस पर अभियुक्त अशोक विजय के मनभर मैरिज गार्डन सांगानेर जयपुर में पहुंचकर वहां पर बने ऑफिस से लगभग 50 विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं की फर्जी दस्तावेजात तैयार करने के लिए शीट रिम, स्याही (इंक) की शीशियां मिली जिन्हे जब्त किया गया.अशोक विजय ने पूछताछ के दौरान अलग अलग संस्थानों में यह काम अजय भारद्वाज , प्रमोद सिंह की सहायता से करवाता है. इस पर अजय भारद्वाज और प्रमोद को गिरफ्तार किया गया.कैसे चलाते थे रैकेट 


मुख्य आरोपी अशोक विजय लगभग 15-20 वर्षों से अलग अलाव शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रों का प्रवेश करवाने का काम करता था . शुरू में वो ये काम कुछ ओपन यूनिवर्सिटी के लिये करता था जब इसने देखा कि बाहर की अधिकतर शैक्षणिक संस्थाएं प्रक्रिया की पालना किये बिना ही डिग्री / सर्टिफिकेट दे रही है तो इसने स्वयं ने ही अपने स्तर पर यह डिग्रियां / सर्टिफिकेट तैयार करना शुरू कर दिया.


अशोक विजय अलग अलग संस्थाओं मे अलग-अलग एजेन्ट व्यक्तियों के मार्फत कुछ छात्रों का प्रवेश करवाता और वहां से मिली डिग्री / सर्टिफिकेट की विभिन्न कम्प्युटर सॉफ्टवेयर जो उसके लेपटॉप / हार्डडिस्क में मिले है जैसे - Adobe Page Maker, Adobe corel draw आदि की सहायता से हूबहू नकल तैयार कर उन्ही एनरोलमेंट नंबर एवं अन्य विवरणों के आधार पर फर्जी डिग्री / मार्कशीट बना देता है. अभियुक्त अशोक विजय के पास मिले लेपटॉप एवं हार्डडिस्क में 25 से अधिक इस प्रकार के सॉफ्टवेयर मिले है जिनकी सहायता से किसी भी डिग्री को स्केन करके हुबहू वैसी ही डिग्री अन्य नामों से तैयार कर लेते और अशोक विजय के पास मिले रंगीन प्रिंटर से उसका प्रिंट निकालकर इसके पास मिली विभिन्न संस्थाओं की मोहरे स्टाम्प हस्ताक्षर की मोहरे आदि लगाकर यह फर्जी डिग्रियां बना लेता है.


इस कार्य को बखूबी करने के लिये इसने विभिन्न संस्थाओं के होलोग्राम तैयार करवाये एवं विभिन्न संस्थाओं की मोहर एवं स्टाम्प तैयार करवाई, अभियुक्तों के पास 4000 होलोग्राम व 100 से अधिक मोहरें मिली है व साथ ही किसी भी मोहर को स्वयं ही तैयार कर लेने वाली किट भी मिली है. अलग अलग शैक्षणिक संस्थाओं की डिग्रियां तैयार करने के लिए यह अलग- अलग एजेन्टों की सहायता लेता था जैसे OPIS यूनिवर्सिटी चूरू की डिग्रियां तैयार करने के लिए गिरफ्तार सहअभियुक्त प्रमोद सिंह की सहायता लेता था एवं उसकी सहायता से यह उस शैक्षणिक संस्थान के सभी विवरणों की जानकारी करके डिग्रियां बनवा लेता था.


अशोक विजय एवं प्रमोद सिंह ने मिलकर अभ्यर्थियों से पैसे लेकर फर्जी डिग्रियां तैयार की थी जो छात्र विश्वविद्यालय वेरिफाई करने हेतु जाते थे. उन्हें प्रमोद सिंह अटेंड करता और बाहर से ही संतुष्ट करके भेज देता था प्रमोद सिंह द्वारा यदि किसी व्यक्ति की नौकरी लगती तो उसका सत्यापन करवाने का आश्वासन भी देता था. इस हेतु उसके पास विश्वविद्यालय के खाली लैटर पैड भी मिले है. कुछ अभ्यर्थी के चयन होने पर उसका वेरीफिकेशन लेटर यह विभाग से प्राप्त कर लेता व स्वयं ही संबंधित विश्वविद्यालय के लेटर पैड पर सत्यापन कर देता था.


इसी तरह गिरफ्तार आरोपी अजय सिंह के साथ मिलकर JS यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद यू.पी. महात्मा गांधी एलम यूनिवर्सिटी सिक्किम मेघालय इत्यादी की फर्जी डिग्रियां / मार्कशीट तैयार करने का काम करता है .अजय सिंह और प्रमोद सिंह ने मिलकर अशोक विजय के साथ लगभग 4 वर्ष से यह काम रहे थे. अशोक विजय के सांगानेर स्थित मनभर मैरिज गार्डन से मिले, लेपटॉप, कम्प्यूटर हार्डडिस्क में निम्न जानकारियां प्राथमिक तौर पर मिली है. JS यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद यू.पी. की भूपेन्द्र सारण के पास मिली डिग्रियां भी अशोक विजय ने अजय सिंह से तैयार करवाई थी.


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