Jaipur PHED Chief Engineer News : पीएचईडी (PHED) में क्वालिटी पर किसी तरह का कोई कंट्रोल नहीं है. पाइप लाइनो और कार्यों में निर्धारित मापदंडों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है इसलिए अब चीफ इंजीनियर क्वालिटी कंट्रोल केडी गुप्ता ने आदेश जारी किए है लेकिन सवाल ये है कि राजस्थान में राज बदलते ही आखिर क्वालिटी पर कंट्रोल की क्यों याद आई. आखिरकार कैसे नियमों को ताक पर रखकर क्वालिटी से खिलवाड़ किया जा रहा है. पढ़ें



ड्राइंग डिजाइन बिगाड़ रहे इंजीनियर्स-फर्म


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राजस्थान में राज बदलते ही क्वालिटी पर कंट्रोल होना शुरू हो गया है इसलिए दो साल से चीफ इंजीनियर क्वालिटी कंट्रोल की कुर्सी पर बैठे चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता को क्वालिटी की याद आ गई और मंत्री कन्हैयालाल चौधरी की पहली मीटिंग के बाद आदेश जारी कर दिए. खैर चीफ साहब को क्वालिटी की याद तो आ गई नहीं तो ड्राइंग डिजाइन बिगाड़ने में इंजीनियर्स और फर्मे बाकी प्रोजेक्ट्स में भी कोई कसर नहीं छोड़ते.


वैसे कसर अब तक तक तो छोडी भी नहीं क्योंकि चीफ इंजीनियर के आदेश में ही जलदाय विभाग की क्वालिटी की पोल खुल गई. क्वालिटी में सुधार के लिए चीफ इंजीनियर ने 2 जुलाई 2021,14 सितंबर 2022 और 29 दिसंबर को निर्देश दिए, लेकिन इसके बावजूद चीफ इंजीनियर के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है हालांकि जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी कह चुके है अब क्वालिटी से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होगा.


 


पाइप लाइन की गहराई अब याद आई


डेढ साल से चीफ इंजीनियर के पद पर नियुक्त एडिशनल चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता अब पाइपों की गहराई याद आ रही है. केडी गुप्ता के पास क्वालिटी कंट्रोल के साथ साथ शहरी चीफ इंजीनियर की भी जिम्मेदारी है.प्रोजेक्ट्स में पाइप लाइनों की गहराई,पाइप की घटिया क्वालिटी,लोहे ही जगह प्लास्टिक के पाइप, ड्राइंग डिजाइन में नियमों को ताक पर रखा जा रहा है.


अलवर में जी मीडिया ने जमीन खोदकर क्वालिटी की सच्चाई बताई. जिसमें 8 दिसंबर को 12 इंजीनियर्स को नोटिस थमाकर जवाब मांगा, लेकिन अब तक चार्जशीट नहीं दी गई. पाइप लाइन की गहराई 1 मीटर तक होनी थी,लेकिन वहां 6 से 9 इंच की गहराई तक ही लाइने डाली गई थी.


ट्यूबवेल्स में ये खामियां, जो हादसों को दे रहे दावत


-नियमों के तहत 8 फीट लंबा,6 फीट चौड़ा बोर्ड लगना चाहिए था,बोर्ड में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए योजना की डिटेल लिखनी होती है,जैसे एजेंसी का नाम और क्या क्या स्वीकृत है.ये बोर्ड नहीं लगे हुए रहते.


-योजना पर नलकूप का पैनल का साइज 90 सेंटीमीटर ऊंचाई,60 सेंटीमीटर लंबा और 45 सेंटीमीटर चौडा पाउडर कोटेड होना चाहिए.कोटेड की लाइफ 5 साल से ज्यादा होती है.लेकिन यहां नार्म्स के आधार पर नहीं है और नीचे सीमेंट कंक्रीट का स्टैंड भी सही नहीं लगाया जाता.


- सुप्रीम कोर्ट के 11 फरवरी 2010 के आदेश के तहत नकलूप के चारो ओर 50 सेंटीमीटर लंबा,50 सेंटीमीटर चौड़ा और 60 सेंटीमीटर उंचा सीमेंट कंक्रीट ब्लॉक बनाना जरूरी है.जिसका 30 सेंटीमीटर हिस्सा ग्राउंड के अंदर और 30 सेंटीमीटर हिस्सा ग्राउंड के बाहर होना चाहिए, लेकिन साइट पर ब्लॉक ही दिखाई नहीं देता.


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- इसके साथ साथ पैनल से नलकूप तक केबल खुली छोडी जाती है,जो हादसों को दावत दे रही है. वहीं नलकूप से पानी मापने का मीटर भी नहीं मिलते. गांव में कनेक्शन खुले में छोड़ दिए जाते है.


अब क्या राज बदलते ही क्वालिटी पर कितना और कैसे कंट्रोल होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन खैर अब जलदाय विभाग को क्वालिटी कंट्रोल की याद तो आई.