जानें कौन थीं खाटू श्याम जी की दादी, जो थी एक राक्षसी
Khatu Shyam Ji: राजस्थान के सीकर जिले खाटू श्याम (Khatu Shyam Ji) की दादी एक राक्षसी थी, जो अपने भाई के साथ रहती थी. आज उनकी पूरे संसार में पूजा की जाती है और इनके मंदिर को ढुंगरी मंदिर के नाम से जाना जाता है.
Khatu Shyam Ji: राजस्थान के सीकर जिले खाटू श्याम के बारे में हम सबने सुना है, लेकिन आज मैं आपको बाबा श्याम नहीं उनकी दादी के बारे में बताने जा रही हूं. कहते हैं कि बाबा श्याम की दादी एक राक्षसी थी, जो अपने भाई के साथ रहती थी. चलिए आज हम आपाको खाटू श्याम की दादी के बारे में बताते हैं, जो आज मां हिडिंबा के नाम से पूरे संसार में पूजी जाती हैं.
मां हिडिंबा का मंदिर हिमाचल प्रदेश के मनाली में है. यह मंदिर के गुफा की तरह बना हुआ है और जंगल के बीच में स्थित है. यहां के लोग इसे ढुंगरी मंदिर (Dhungiri Temple) के नाम से भी जानते हैं. बता दें कि यहां देवी हिडिंबा की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि उनके उनके पैरों के निशान की पूजा होती है. यह मंदिर लकड़ी से बना हुआ है.
14 मई को मनाया जाता है खाटू श्याम की दादी का जन्मदिन
यहां रहने वाले लोगों में मां हिडिंबा या हिरमा देवी की काफी मान्यता है. इनका वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में किया गया है. माना जाता है कि मां हिडिंबा बहुत दयालु थी. यहां पर हर साल 14 मई को हिडिंबा देवी का जन्मदिन मनाया जाता है.
खाटू श्याम की दादी ने की तपस्या
कहते हैं कि जब मां हिडिंबा का बेटा घटोत्कच बड़ा हुआ तो हिडिंबा अपना जीवन बिताने के लिए जंगल में तपस्या करने लग गई थी. हिडिंबा ने अपनी राक्षसी की पहचान को मिटाने के लिए एक चट्टान पर बैठकर कई सालों तक तपस्या की और जब उनकी तपस्या पूरी हुई, तो उन्हें देवी का स्वरूप मिला. जानकारी के अनुसार, जिस चट्टान पर मां हिडिंबा ने तपस्या की थी उसी पर मंदिर का निर्माण राजा बाहुदर सिंह ने 1553 ईसवी में करवाया था.
खाटू श्याम की दादी ने की भीम से शादी
यह मंदिर मां हिडिंबा के समर्पित है. कहते हैं कि हिडिंबा एक राक्षसी थी, जो अपने भाई हिडिंब के साथ यहां जंगलों में रहती थी. यहां हिडिंबा ने कसम ली थी कि उनके भाई को जो लड़ाई में हरा देगा, वह उसी से शादी करेगी. इस समय पांडव निर्वासन में थे, तभी भीम ने ने हिडिंब के अत्याचारों से लोगों को बचाने के लिए उसे मार दिया. इसके बाद हिडिंबा ने भीम से शादी कर ली और उनका एक बेटा हुआ, जिसका नाम घटोत्कच था, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के लिए लड़ते हुए मारा गया.
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