Jaipur: पहले कोरोना संक्रमण (Corona Infection) और अब पशुओं में फैली खुरपका और मुंहपका बीमारी से पशुपालक खासे परेशान नजर आ रहे हैं. इस बीमारी से जमवारामगढ़ उपखंड क्षेत्र (Jamwaramgarh Subdivision Area) की ग्राम पंचायत नांगल तुलसीदास में करीब 250 पशु ग्रसित हो रहे हैं.


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एक माह से फैल रही यह बीमारी धीरे-धीरे स्वस्थ पशुओं को अपने गिरफ्त में लेती जा रही है. बीमार पशुओं की दिनों-दिन संख्या बढ़ने को लेकर पशुपालकों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है हालांकि भानपुर कलां पशु चिकित्सालय प्रभारी डॉ. कल्याण सहाय के नेतृत्व में सहायक चिकित्सा सहायक राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, पशुधन परीचर हनुमान सहाय आदि टीम ने पीड़ित पशुओं इलाज कर रहे हैं लेकिन फिर भी पशु पालकों को कोई राहत की उम्मीद नजर नहीं आ रही है.


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महिला पशुपालकों ने बताया कि क्षेत्र में इन दिनों पशुओं में फैल रही बीमारी से खासी परेशानी का सामान करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पहले कोरोना संक्रमण के चलते दुग्ध के वाजिब दाम नहीं मिल रहे थे और अब कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम हुआ है और त्योहार पर बाजार में दुग्ध की डिमांड बढ़ने से भावों में वृद्धि हुई है, जिससे पशुपालकों को अपने उत्पाद का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद थी लेकिन इन दिनों पशुओं में फैली बीमारी ने एक बार फिर पशुपालकों की कमर तोड़ दी है.


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इधर ग्रामीण का कहना है गांव में करीब 250 पशु इस बीमारी की चपेट में है. जिनमे से करीब 80 पशुओं की मौत हो चुकी है. हमारे परिवार का जीविकापार्जन मुख्य रूप से पशुपालन पर ही निर्भर है लेकिन कई दुधारू पशु बीमारी की चपेट में आने के बाद से दुग्ध देना बंद कर दिए हैं. जिसके कारण आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.


पशुपालकों को मिल सकेगी राहत
जमवारामगढ़ में बढ़ती पशुओं की बीमारी को लेकर जहां पशुपालक सहित ग्रामीण दुखी हैं. वहीं, समाज सेवा से जुड़े लोग भी चिंतित हैं. अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष शिवप्रकाश शर्मा सहित पशुपालकों ने विभाग से पांव पसार रही बीमारी के लिए कारगर कदम उठाने की मांग की है ताकि पशुपालकों को राहत मिल सके.


मिक्सिंग इंफेक्शन कह सकते हैं इस बीमारी को


क्षेत्र में फैली बीमारी को लेकर चिकित्सक बराबर देख रेख कर रहे हैं लेकिन बावजूद इसके पशुओं की बीमारी रुकने का नाम नहीं ले रही है. पशु चिकित्सक डॉ. कल्याण सहाय मीना का कहना है. इस बीमारी को मिक्सिंग इंफेक्शन कह सकते हैं. यह वायरस से फैलती है. पशु जब बाहर चरने जाता है तो स्वस्थ पशु पहले से संक्रमित पशु के सम्पर्क में आने से यह फैलता है. इससे संक्रमित पशु के मुंह से लार आना खुरों में घाव होना शरीर का तापमान बढ़ना आदि लक्षण होते हैं. इसके लिए पशुपालक को सबसे पहले संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग बंधना चाहिए. इसके बाद उसके खुरों और मुंह को पर फिनायल लगाना चाहिए और पोटेशियम परमेगनेट का पानी में घोल बनाकर नियमित रूप से धोना चाहिए. इस बीमारी में उपचार ही बचाव है.


वायरस वापस पशुओं में तेजी से फैल रहा


पशु चिकित्सा विभाग और प्रसाशन की तरफ से अगर समय रहते पशुओं के टीकाकरण का काम कर लिया जाता तो आज पशुओं में जिस तरह से ये बीमारी फैल रही है वो नहीं फैल पाती. पशुपालन विभाग द्वारा हर प्रति वर्ष साल में दो बार अगस्त और मार्च माह में खुरपका और मुंहपका बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण किया जाता है लेकिन पशुपालकों विभाग के उच्चाधिकारियों के अनुसार, इस बार अगस्त 2020 के बाद विभाग द्वारा टीकाकरण उपलब्ध नहीं होने से मार्च में अगस्त 2021 में टीकाकरण नहीं हुआ.


ऐसे में यह वायरस वापस पशुओं में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में पशुपालकों को डर सता रहा है कि ये महामारी सभी पशुओं को अपने आगोश में नहीं ले ले. अब विभाग और प्रसाशन को चाहिए की बीमारी का टीकाकरण कर अभियान शुरू कर पशुपालकों को राहत दी जानी चाहिए. नहीं तो हो सकता है अंजाम इससे भी बुरे होने की संभावना है.


Reporter- Amit Yadav