Jaipur : 26 मई को किसान संगठनों और राजनीतिक दलों की तरफ से काला दिवस मनाने का ऐलान किया गया है. इस ऐलान के बाद तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के चलते केंद्र सरकार का विरोध कर रहा धड़ा और बीजेपी के नेता आमने-सामने दिख रहे हैं.


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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Gulab Chand Kataria) ने कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद 26 मई को काला दिवस मनाने वाले किसान नेता और राजनीतिक दलों को पहले यह भी साफ करना चाहिए कि आखिर वह काला दिवस मना किस लिए रहे हैं? कटारिया ने कहा कि उन्हें यह भी बताना चाहिए कि कृषि कानूनों का विरोध करने से पहले इन नेताओं ने जो आशंका जताई थी क्या उनकी आशंकाएं सच साबित हुई?


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कटारिया ने खासतौर पर काला दिवस (Black Day) का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों से यह सवाल करते हुए कहा कि उनका विरोध इस बात से था कि मंडिया समाप्त हो जाएंगी. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह आशंका निर्मूल साबित हुई है और इस कानून के पास होने के बाद देश में अब तक कहीं पर भी मंडिया बंद नहीं हुई हैं.


इसके साथ ही किसान संगठनों का आरोप था कि समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद भी केंद्रीय कानून लागू होने के बाद बन्द हो जाएगी. कटारिया ने कहा कि फसलों की खरीद आज भी पहले की तरह जारी है. उन्होनें कहा कि न सिर्फ खरीद जारी है बल्कि पिछली सरकारों से कई गुना ज्यादा खरीद की जा रही है.


कटारिया ने कहा कि पहले कांग्रेस राज में कुछ ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होता था. जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 फसलों का समर्थन मूल्य देना घोषित किया और जरूरत के हिसाब से खरीद भी की. कटारिया ने काला दिवस मनाने वाले लोगों से पूछा कि इतना सब होने के बाद भी विरोध किस आधार पर हो रहा है? इसको भी स्पष्ट किया जाना चाहिए.
 
कटारिया ने केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाई. किसानों के भले के लिए किए गए काम भी गिनाए. काला दिवस मनाने वालों से उन्होंने पूछा कि 'क्या काला दिवस इसलिए मनाया जा रहा है कि किसान सम्मान निधि के 10 करोड़ 50 लाख रुपये किसानों के खातों में 8 किश्तों में सीधे ही जमा कराए जा चुके हैं.'


कटारिया ने बताया कि हाल ही में नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसान हित में DAP खाद पर खाद सब्सिडी बढ़ाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है. किसानों को DAP पर 500 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर अब इसे 1200 रुपये प्रति बोरी की सब्सिडी दी गयी है. इससे किसानों को लगभग 14 हज़ार 400 करोड़ रुपया का फायदा हुआ है. कटारिया ने विरोध करने वालों से पूछा कि क्या किसानों को इस राहत से होने वाले लाभ के चलते काला दिवस मनाया जा रहा है?


कटारिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि किसान संगठन और विपक्षी दल केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध नहीं कर रहे बल्कि प्रधानमंत्री का विरोध करना ही उनका एकमात्र उद्देश्य रह गया है और इस कारण से ही कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है.


कटारिया ने कहा कि जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार है, वे इसका लाभ किसानों को नहीं दे पा रहे हैं.  इस शर्मिंदगी को मिटाने के लिए 26 मई को काला दिवस मनाने वाले लोगों का विपक्षी  राजनैतिक दल समर्थन कर रहे हैं.


कटारिया ने जनता से ऐसे नेताओं और पार्टियों को उनके ऐसे कुकृत्यों के लियव बेनकाब करने का आह्वान भी किया. उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में किसानों का बहाना लेकर अपने राजनैतिक फायदे के लिए गलत कामों को सही साबित नहीं कर सकेंगे.


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