Congress Politics : 24 साल के बाद हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावों के परिणामों से मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल गया है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा सहित कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने आज मल्लिकार्जुन खड़गे को जीत की बधाई दी है. सभी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पार्टी को फिर से सत्ता में लाने का दावा कर रहे हैं लेकिन आठ साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस पार्टी को फिर से मज़बूत करना अनुभवी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए भी आसान नहीं होगा.


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सभी कह रहे हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए 2024 का मिशन सबसे बड़ी चुनौती साबित होने वाली है लेकिन सच तो ये है कि उससे पहले, सबसे पहली और सबसे बड़ी चुनौती खड़गे के लिए राजस्थान के सियासी मसले का हल निकालना है. ये सही है कि मल्लिकार्जुन खड़गे अशोक गहलोत के पुराने मित्र रहे हैं, लेकिन खड़गे की सबसे बड़ी वफ़ादारी गांधी परिवार के प्रति है. राजस्थान के सियासी मसले का हल निकालने में जो फ़ैसला करेंगे, उसमें गांधी परिवार की छाप साफ तौर पर नजर आएगी. ऐसे में सवाल यही है कि अब गांधी परिवार राजस्थान के मसले पर मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिए किस तरह का निर्णय करता है.


 फैसले के लिए खड़गे के सामने चार तरह की परिस्थितियां 
1. राजस्थान में सियासी स्थिति को यथावत बने रहने दें


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए उन्हें 2023 तक मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखें. सचिन पायलट को केंद्रीय संगठन में बड़ी ज़िम्मेदारी देकर राजस्थान में सक्रिय बने रहने की छूट दे दी जाए. इस बात की संभावना सबसे अधिक नज़र आ रही है क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी से मुलाक़ात करने के बाद जयपुर में इस तरह के संकेत दे चुके हैं. गांधी परिवार से अपने रिश्तों की बात कहते हुए अशोक गहलोत ने ये भी साफ़ किया था कि 19 अक्टूबर के बाद भी गांधी परिवार के साथ उनके रिश्ते वैसे ही रहने वाले हैं जैसे पिछले 50 सालों से हैं.


2. बगावत के सूत्रधार रहे 3 बड़े नेताओं पर कड़ा एक्शन
खड़गे जो दूसरा फ़ैसला कर सकते हैं उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कंटिन्यू करते हुए विधायक दल की बैठक से बगावत करने के सूत्रधार रहे 3 बड़े नेताओं शांति धारीवाल, धर्मेन्द्र राठौड़ और महेश जोशी के ख़िलाफ कड़ा एक्शन लेकर अपनी मंशा साफ कर दे कि आलाकमान के निर्देशों के खिलाफ़ कोई भी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी.


3. फिर भेजे जाए पर्यवेक्षक
इसके अलावा निर्णय ये भी लिया जा सकता है कि मिशन 2023 के मद्देनजर नए नेता के चुनाव के लिए एक बार फिर से राजस्थान में पर्यवेक्षकों को जयपुर भेजा जाए, जो विधायकों से वन-टू-वन बात करें उनकी मंशा जाने और फिर आलाकमान उसी आधार पर फ़ैसला करें.


4. पायलट को PCC चीफ का जिम्मा


इसके अलावा इस बात की भी संभावना है कि मुख्यमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत बने रहे और संगठन में बदलाव करते हुए सचिन पायलट को PCC चीफ़ की ज़िम्मेदारी सौंपी जाए सचिन पायलट को चुनाव प्रचार की कमान सौंपते हुए अगली बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया जाए.


कुल मिलाकर ये तय है कि पिछले चार सालों में राजस्थान की सियासत में चल रहे सियासी घमासान का स्थायी हल निकालना मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए भी आसान नहीं होगा लेकिन हर बड़ा बदलाव के नए फ़ैसले करता है. दिल्ली में अगर हवा बदली है है तो उसका असर राजस्थान की सियासत पर भी निश्चित तौर पर पड़ने वाला है.


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